# तलाश अपने सपनों की #…6 

उस शाम मॉल में संदीप को सोफ़िया के साथ देख कर राधिका को बहुत जोर का गुस्सा आया था |  संदीप के रोकने के बाबजूद वह हाथ झिड़क कर गुस्से में पैर पटकती वापस घर आ गई थी और अकेले में बैठ कर बहुत देर तक रोती रही थी |

उसे तो सोफ़िया से भी नफरत सी हो गई थी, उन दोनों ने मेरे विश्वास को ठेंस पहुँचाया है….राधिका मन ही मन ऐसा सोच रही थी  |

रात काफी हो गई थी और राधिका बिस्तर पर पड़े इन्ही सब बातों में उलझी ना जाने कब उसे नींद लग गई थी | रात का खाना भी नहीं खाया क्योकि गुस्से के कारण भूख भी गायब हो गई थी |

सुबह देर तक राधिका को सोता देख कर माँ ने डांटते हुए कहा  ….आज कल तुझे क्या हो गया है ?  रात में खाना भी नहीं खाई  और अभी इतनी देर तक बिस्तर पर पड़ी है |

मैं तो कब का मदिर से पूजा करके भी चली आयी |

अच्छा है पापा घर पर नहीं है,  वर्ना वो तेरी खबर लेते |

सॉरी माँ, राधिका बिस्तर से उठते हुए बोली | वो माँ से लिपट गई और धीरे से बोली…मेरी अच्छी माँ |

अच्छा अच्छा ठीक है,  अब ज्यादा लाड़ – प्यार मत दिखा और जल्दी से तैयार हो जा |

आज ही लड़के वाले तुझे देखने आ रहे है …. माँ ने बिना उसकी ओर देखे बिस्तर ठीक करती हुई बोली |

अचानक  माँ की बात सुन कर राधिका बिस्तर से लगभग कूद पड़ी और माँ की तरफ आश्चर्य से देख कर बोली …क्या ? यह क्या कह रही हो माँ  ?

मैं ठीक ही कह रही हूँ , तुम्हारे पापा उनलोगों से मिलने गए है और साथ ही वे लोग भी यहाँ आने वाले है, तुम्हे देखने के लिए  …..माँ ने राधिका से सच्चाई बता दी |

लेकिन माँ , मुझे तो अभी शादी करनी ही नहीं है | और मैंने तो तुम्हे यह बात बताई भी थी  |

तुम्हारे मन में क्या है,  तू सच सच बता दे | मैं  तुम्हारी बात पापा तक पहुँचा दूंगी..माँ ने अपनी मज़बूरी बताई |

राधिका पास में पड़े सोफे में बैठ कर रोने लगी | उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करे | एक तरफ पापा जबरदस्ती शादी वहाँ कराना चाहते है जहाँ मैं नहीं चाहती और दूसरी तरफ  मेरा दिल  जिसको पसंद करता है, वो बेवफा ही निकल गया |

राधिका का दिमाग इन सब बातों को सोच कर चिंता (टेंशन) से फटा जा रहा था |

वह अपनी आँखे  बंद किये यूँही सोफे पर बैठी रही और उसे कल की घटना फिर एक बार याद आने लगी |  संदीप को सोफ़िया के साथ मॉल में खरीदारी करने की क्या ज़रुरत थी ?

लेकिन फिर राधिका का  दिल कहता… इन छोटो छोटी बातों में बेकार का शक  करना ठीक नहीं है |

हो सकता है संदीप की  कोई मज़बूरी हो | कभी कभी लोगों को दुसरे का मन रखने के लिए भी  ऐसा करना पड़ता है …इतनी सी बात पर उसे बेवफा समझना जल्दीबाजी होगी |

मुझे मॉल से हाथ झटक कर बिना बात के गुस्सा नहीं करना चाहिए था बल्कि वो जो कहना चाह  रहा था उसे सुनना और समझना चाहिए था |

शायद इसके पीछे उसकी कोई मज़बूरी रही हो | आखिर संदीप उसके यहाँ नौकरी ही तो करता है |

अब उसे अफ़सोस हो रहा थी कि बेकार ही इतने दिनों की दोस्ती पर शक किया |

खैर, अब उससे मिल कर सारे गिल्रे शिकवे दूर कर लुंगी |

उसके मन में यह सब  द्वंद चल ही रही थी कि तभी माँ आ गई और उसके माथे पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली….क्या बात है राधिका | आज कल तुम हमेशा गुमशुम रहती हो और ना जाने किन ख्यालों में खोई रहती हो |

खाना – पीना और पढाई लिखाई पर ध्यान नहीं है तुम्हारा | मैं तुम्हारी माँ हूँ | तुम मुझे अपनी दिल की बात बताओ ,शायद तुम्हारी उलझन को दूर करने में तुम्हारी मदद कर सकूँ |

माँ, मैं सचमुच आज कल बहुत परेशान हूँ | तुमलोग जहाँ मेरी शादी करना चाहती हो वहाँ मैं खुश नहीं रह सकती …उसके माँ को साफ़ साफ़ बता दिया |

अच्छा तो तुम संदीप से शादी करना चाहती हो ? …माँ उसके मन की बात खुद ही बता दी | वो तो पहले से ही राधिका के मन की बात जानती थी | आखिर वह उसकी माँ जो थी |

जब तुम सब जानती हो तो फिर मेरे लिए लड़का क्यों खोज रही हो ?..राधिका शिकायत भरी लहजे में बोली |

देखो राधिका , संदीप अभी बेरोजगार है ,गरीब है और अभी उसकी बहन की शादी भी करनी है |

वो खुद भला शादी पहले कैसे कर लेगा ? पता नहीं नौकरी उसकी कब लगेगी ?…..माँ ने अपनी आशंका व्यक्त करते हुए कहा |

लेकिन माँ , संदीप पढ़ा लिखा लड़का है ..आज न कल तो नौकरी मिल ही जाएगी …राधिका ने माँ को विश्वास दिलाया |

लेकिन मैं कैसे मान लूँ कि वह और उसका परिवार तेरे शादी के लिए राज़ी हो जायेंगे | अगर उन्होंने मना कर दिया तो ?….राधिका की माँ आज अपने मन की सारी आशंकाओं को दूर कर लेना चाहती थी |

संदीप तो बहुत दिनों से तुम लोगों से मिलना चाहता है , लेकिन बेरोजगार होने के कारण उसकी हिम्मत नहीं हो रही है | वो कहता है …पहले नौकरी मिल जाएगी फिर आप लोग के पास हाथ मांगने आएगा |

दूसरी तरफ आज संदीप भी काफी परेशान था और वो अपने को राधिका का गुनाहगार मान रहा था, | वो  तो उस समय को कोस  रहा था, जिस पल में उसे सोफ़िया के साथ शौपिंग पर जाने के प्रस्ताव पर अपनी हामी भरी थी | 

अब जब कि राधिका ने सोफ़िया के साथ रगें हाथो देख लिया था तो उसका गुस्सा होना स्वाभिक ही था | उसे सोफ़िया से अपने मेल – जोल को एक  सिमित दायरे में ही रखना चाहिए था |

कोई भी इस तरह उसके साथ खुलेआम  घूमना फिरना देख कर शक कर सकता है |

मेरा काम तो सिर्फ उसके बच्चे को ट्यूशन (tuition) पढ़ाना है, मुझे अपने ऊपर नियंत्रण रखना अनिवार्य है |,  

अगर उसके  पति को भी उसके संबंधो पर शक हो गया और कोई ऐसा वैसा सवाल कर दिया तो भला मैं क्या ज़बाब दे पाउँगा |  

संदीप बिस्तर पर पड़ा इन्ही सब बातों को सोचता रहा | रात काफी हो चुकी थी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी |

वह बिस्तर से उठ बैठा और लाइट जला कर कोई किताब ढूंढने लगा ताकि किताब पढ़ कर अपने मन को नियंत्रण में किया जा सके और  शायद फिर नींद आ जाये |

यही सोच कर वह  बुक – सेल्फ  से कुछ  ढूंढ ही रहा था कि बगल के कमरे में सो रही उसकी बहन रेनू की नींद खुल गयी |

जब रेनू ने देखा  कि भैया के कमरे की लाइट जल रही है  तो वो किसी आशंका से ग्रसित हो हडबडा कर उठी और भाई के पास आकर पूछी…..क्या बात है भैया ?, तबियत तो ठीक है ना ?

हाँ रेनू , मैं बिलकुल ठीक हूँ पर कुछ चिंता के कारण मुझे नींद नहीं आ रही है |

कैसी चिंता भैया …रेनू जिज्ञासा से पूछ बैठी |

संदीप ने  रेणु को कल की सारी घटना बता दी और कहा कि कल राधिका की आँखों में आँसू देख कर मुझे अपनी गलती का बोध हो रहा है |

अरे भैया , बस इतनी सी बात पर परेशान हुए बैठे हो | तुमलोग एक दुसरे को बचपन से जानते हो, और वैसे भी राधिका तो जैसे साक्षात् देवी है |

वह कभी तुनसे नाराज़ हो ही नहीं सकती |  बस थोडा ग़लतफ़हमी  हो गई है | मैं मौका पाकर तुम लोगों की मुलाकात करा दूंगी और तुमलोग बातचीत कर के अपनी गिले शिकवे दूर कर लेना |

थैंक यू रेनू …. तूने मेरे दिल पर पड़े  बोझ को हल्का कर दिया …उसने रेनू के सिर पर प्यार से हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिया |

अब तुम आराम से सो जाओ भैया,  रात काफी हो चुकी है …रेनू ने कहा और वो अपने कमरे में जाकर खुद भी सो गई |  संदीप का भी मन हल्का लग रहा था और जल्द ही नींद की आगोश में चला गया |

संदीप आज सुबह काफी देर तक सोता रहा और ना जाने कितनी देर और सोता रहता, लेकिन तभी रेनू चाय के साथ अखबार लाकर देते हुए कहा …उठो भैया , आज का पेपर देख लो |

आज भारत बंद है इसलिए जल्दी से कुछ सब्जी बाज़ार से ले आओ,  नहीं तो कुछ ही देर में सारे दुकान बंद हो जायेंगे |

संदीप हडबडा कर उठा |  सही में दिन चढ़ चूका था और उसे उठने  में काफी देर हो गयी थी |

संदीप जल्दी जल्दी चाय पीते हुए पेपर पर सरसरी निगाह डाल  रहा था तभी एक vacancy की  संक्षिप्त विज्ञापन देख कर उसकी नज़रें उस जगह ठहर गयी और बड़े ध्यान से उसे  पढने लगा |

जिसमे आज ही दो बजे दिन से वाकिंग इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया गया था  |

यह तो बिलकुल पास के शहर में ही है, जहाँ बस के द्वारा दो घंटे में ही  पहुँच सकता हूँ | उसके मन में एक आईडिया आया कि घर में कोई दूसरा बहाना यानि दोस्त के  घर जाने का कह कर इंटरव्यू देने चला जाऊंगा , क्यों कि पैरवी तो है नहीं तो नौकरी की सम्भावना कम ही है |

फेल होने का समाचार सुनकर घर वाले मुझसे ज्यादा परेशान हो जाते है …भगवान् ने  अगर साथ दिया और नौकरी मिल गई तो घर वालों को सरप्राइज दूंगा ….(क्रमशः )

इससे बाद की घटना जानने के लिए नीचे दिए link को click करें…

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