जहाँ सूर्य की किरण हो वही प्रकाश होता है …
और जहाँ प्रेम की भाषा हो, वही परिवार होता है…

दोस्तों,
हमारी ज़िदगी एक तराजू की तरह है, जिसके एक पलड़े में ख़ुशी है तो दुसरे पलड़े में गम है .|
जब ख़ुशी का पलड़ा झुक जाता है तो सुख का अनुभव होता है और जब गम का पलड़ा झुक जाता है तो दुःख का अनुभव होता है |
लेकिन भाग्य का विधान भी अजीब है, क्योंकि सुख और दुःख के पलड़े बराबर नहीं रह कर कभी ऊपर कभी नीचे होते रहते है |
और अक्सर जब सुख का पलड़ा थोडा भारी होता है तभी हम सब कुछ भूल कर बस अपने आप में मस्त हो जाते है और यह सोचते ही नहीं है कि कल दुःख का पलड़ा भी भारी हो सकता है .|
इंसान ख़ुशी के पलड़े को झुकाने के लिए तरह – तरह के प्रयत्न करता रहता है, लेकिन इंसान के कर्म तो ऐसे होते है मानो उस पलड़े पर मेढकों को रख रहा हो , जो…
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