# आज मुझे रो लेने दो #

हम सभी लोग जमीन से जुड़े रहना चाहते है,  और अच्छी या बुरी  जो भी परंपरा है उसे निभाने के चक्कर में हम वो सभी कार्य भी करते है जिसे हम  करना पसंद नहीं करते है  |

आज के युग में इसी परंपरा का फायदा उठा कर कुछ दबंग लोग अपनी मनमानी करते है |

आज हमारा विद्रोही मन इन्ही गलत परम्पराओं के विरूद्ध इस कविता के माध्यम से कुछ कहने की कोशिश कर रहा है …

आज मुझे रो लेने दो

परंपरा की इस अंधी दौड़ में

सर अपना मत पीटो तुम

जो जीने के लिए ज़रूरी है

वो हक़ मेरा मत छीनो तुम

बहता है पानी तो रोको 

बाँध बनाना सीखो तुम 

कहीं लग जाए आग अगर

सूखे पत्ते जल जाने दो तुम

मगर फुल खिले है जो

उन्हें फल  बन जाने दो तुम

इन खून खराबा से क्या हासिल

प्यार के फुल खिलने दो तुम

आज न कहा तो कह न पाउँगा

आज मुझे  कह लेने दो तुम

मन की वेदना  से नम है आँखें

आज मुझे रो लेने दो तुम

( विजय वर्मा )

आधे अधूरे ख्वाब ब्लॉग  हेतु  नीचे link पर click करे..

https://wp.me/pbyD2R-47V

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments

Please follow the blog on social media …link are on contact us page..

www.retiredkalam.com



Categories: kavita

11 replies

  1. Bela reflexão…belo poema ☀️ Gratidão ✨🙏

    Liked by 1 person

Leave a reply to vermavkv Cancel reply