ज़िन्दगी में एक दुसरे के जैसा होना ज़रूरी नहीं होता.
एक दुसरे के लिए होना ज़रूरी होता है …

मैं अपनी पहचान ढूंढ रहा हूँ | मेरी पह्चान क्या है — जब हम माँ की कोख में थे तो पूरी दुनिया हमें हमारी माँ के मध्यम से जान पाती थी |
जब हम धरती पर पहला कदम रखते है तो उस क्षण हमें एक नाम दिया गया , जिसके बाद पिता का नाम जुड़ जाता है |
हालाँकि बचपन से ही मेरा एक सपना था , अपनी एक अलग पह्चान बनाने की | अपने को समृद्ध एवं प्रसिद्धि प्राप्त करते हुए देखना चाहता था |
मेरी कोशिश कि हर कोई हमारे माँ-बाप के नाम से नहीं बल्कि माँ –बाप को लोग हमारे नाम से जाने |
इसी भावनाओ को समेटे मैं कुछ लिखने का प्रयास किया है…आप जरूर पढ़े और अपने विचारों से अवगत कराएँ …

मेरी पहचान
विशाल आकाश का सूरज नहीं तो क्या
जलता दीपक बन , अपना घर रोशन तो किया
किसी सागर सा विशाल अस्तित्व…
View original post 131 more words
Categories: Uncategorized
बहुत सुंदर लिखा है सर आपने 👌🏼👌🏼
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद दीक्षा |
तुम्हारा प्रशंसा के शब्द मुझे लिखने को प्रेरित करते है |
स्वस्थ रहो…खुश रहो …
LikeLike
बहुत ही सुंदर ❤
LikeLiked by 2 people
आपके हौसलाअफजाई के लिए
बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
LikeLike
Belo, bonito poema 🌻✨
LikeLiked by 1 person
Muito obrigado querido ,
Fico feliz em ouvir suas palavras
LikeLike
🧚♀️✨🙏
LikeLiked by 1 person
continue sorrindo.
LikeLike
🌻
LikeLiked by 1 person