अपनी तरह से ज़िन्दगी जीने के लिए जुनून चाहिए वरना
परिस्थितियां तो हमेशा विपरीत ही होती है ||

अँधेरा क्या छाता है
परछाइयां भी दगा दे जाती है
टूटता है विश्वास तो
चनक सी सीने में होती है
यूँ तो पोछ लेते हैं आँसुओं को
पर, वह ज़ख्म तो सदा हरी होती है …
जब राधिका के बहुत कोशिश के बाबजूद भी माँ अपने घर छोड़ने को राज़ी नहीं हुई तो अंत में हार कर राधिका ने कहा …आप सब लोगों की परेशानियों की जड़ मैं ही हूँ , इसलिए मुझे ही पिता जी के पास लौट जाना चाहिए |
इतना सुनना था कि माँ ने राधिका की तरफ गुस्से से देखा और कहा …तुम्हारी इस तरह की बातें हमलोग को कमज़ोर बना देती है |
एक बात कान खोल कर सुन लो, मरना तो एक दिन सबको है | लेकिन जितना दिन भी जिएं, सिर उठा कर अपनी मर्ज़ी और ख़ुशी से जिएं, वर्ना जिंदा तो जानवर भी रहतें है |
मैं तो तुम्हारे साथ इसलिए जाना…
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Sahi kaha apne. Junoon.
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बहुत बहुत धन्यवाद..
यह सही है कि जूनून हो तो विपरीत परिस्थिति में भी
वांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है |
.
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Sahi kaha apne.
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आप कहानी भी पढ़ें, मुझे ख़ुशी होगी |
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