# तन्हाई की आवाज़ #

यह कविता एक दिल की गहराई से उठती आवाज़ है, जो अकेलेपन और घुटन के अनुभव को बयां करती है। अपनों के होते हुए भी अपनेपन की कमी महसूस करता है
लेकिन उम्मीद की एक हल्की सी किरण भी है | इनहि शब्दों को बुनता यह कविता |।

तन्हाई की आवाज़

तूफ़ान दिल में उठता है,
पर आवाज़ दब जाती है,
भीड़ तो बहुत है चारों तरफ,
पर तनहाई मेरे संग आती है।

आँखों में पानी है, पर कोई
हाथ नहीं उठता उसे पोछने वाला ,
कहने को सब अपने हैं यहाँ,
नहीं है दिल का हाल सुनने वाला ।

शिकवे हैं, गिले हैं॰
दिल में दबे अरमान हैं,
पर कौन सुनेगा वो कहानियाँ,
जब अपने ही बने अनजान हैं।

क्या कहूँ, किससे कहूँ,
यह घुटन, यह चुप्पी कैसी है?
दिल से सवाल करता हूँ,
पर जवाबों भी बस खामोशी जैसी है।

तू कह, ऐ दिल, अब क्या करूँ?
इस शोर को कैसे शांत करूँ?
जब दर्द समझने वाला ही नहीं,
तो इस तन्हाई को कैसे सहन करूँ?

फिर भी उम्मीद के धागे थामे हैं,
शायद कोई आएगा खामोशी सुनने,
मेरे आँसू पोछेगा, और दर्द बाँटेगा,
इतनी सी बात दिल को समझाये कौन ?
(विजय वर्मा)

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Ek Adhoori Prem Kahani / एक अधूरी प्रेम कहानी (Hindi Edition)



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13 replies

  1. सुंदर अभिव्यक्ति।

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    • आपकी सराहना के लिए दिल से धन्यवाद! 😊
      आपके ये शब्द मेरे लिए बेहद मूल्यवान हैं। इसी तरह प्रेरित करते रहें, आपकी प्रोत्साहना मेरे लिए बहुत मायने रखती है। 🙏🌹

      Liked by 3 people

  2. बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति 👌🏾

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  3. Superb sir jee

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