
इस ग़ज़ल में शहरों के बीच के अंतर को बारिश के माध्यम से दर्शाया गया है। जहाँ एक शहर की बारिश में ट्रैफिक जाम लगता है, वहीं दूसरे शहर में वही बारिश दिलों को करीब लाने का बहाना बन जाती है।
यह ग़ज़ल दो शहरों के जीवनशैली, उनके रिश्तों और वहां के अनुभवों की सुंदरता को उजागर करती है।
यही फर्क है
यही फर्क है तेरे और मेरे शहर की बारिश में,
तेरे वहां जाम लगता है, मेरे यहाँ जाम लगते हैं।
तेरे शहर की गलियाँ सजती हैं चमचमाती रौशनी में,
मेरे यहाँ दिलों की बस्तियाँ, प्यार से रोशन रहती हैं।
तेरे वहाँ फुर्सत के पल, बस गाड़ियों की रफ़्तार में,
मेरे यहाँ हर लम्हा, रिश्तों की मिठास में बहते हैं।
तेरे शहर की बारिशें, लेकर आती हैं जाम का मंजर,
मेरे यहाँ वही बारिशें, चाय और कहकहे लाती हैं।
तेरे जहाँ शोर में खो जाते हैं लोग, अपने आप को,
मेरे यहाँ खामोशी में भी, दिलों की आवाज़ें सुनाई देती हैं।
यही फर्क है तेरे और मेरे शहर की बारिश में,
तेरे वहां जाम लगता है, मेरे यहाँ जाम लगते हैं।
(विजय वर्मा)

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Categories: kavita
बहुत सुन्दर।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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NICE 💚💓💯
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Thank you so much.💕💕
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very nice
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Thank you so much.
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