
यह ग़ज़ल दो अलग-अलग शहरों की बारिश के अनुभवों की तुलना करती है। एक ओर, जहां बारिश भीड़-भाड़ और व्यस्त जीवनशैली का हिस्सा है, वहीं दूसरी ओर, यह प्यार, उनकी यादों और आंतरिक संसार से जुड़ी है। मुझे आशा है आप को यह पसंद आएगी |
तेरे शहर की बारिश
यही फर्क है तेरे और मेरे शहर की बारिश में,
तेरे वहाँ जाम लगता है, मेरे यहाँ तेरी यादें।
तेरे शहर की बूंदें, तेरे होठों को चूमती हैं,
मेरी आँखों में समंदर सा, प्यार बहता है।
तेरे वहाँ रौनकें, बस भीड़ में ही दिखता हैं,
मेरे यहाँ हर पत्थर, तेरी कहानी कहता है।
तेरे शहर की बारिशें, लौटाती हैं अतीत को,
मेरे यहाँ हर बूंद, एक नए सपने सजाती है।
तेरे वहाँ खामोशी, बस शोर में गुम होती है,
मेरे यहाँ हर साँस, तेरी यादों से भरी होती है।
यही फर्क है तेरे और मेरे शहर की बारिश में,
तेरे वहाँ जाम लगता है, मेरे यहाँ तेरी यादें ।
(विजय वर्मा)

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