# चाय पर चर्चा # 

कभी कभी ज़िन्दगी  ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ी कर देती है जब अपने पास समय भी होता है, पैसे भी होते है , पर साथ बैठ कर चाय पिने वाला कोई नहीं होता है |

आज लोगों के पास इतनी फुर्सत कहा है कि अपने बुजुर्गों के मन की बात को समझ सके | आज उन  बुजुर्गों के  मन की बात और उनकी  व्यथित भावनाओं को कुरेदने का  प्रयास है …

चाय पर चर्चा

आओ किसी का यूँ ही इंतजार करते हैं

चाय के साथ  फिर कोई बात करते हैं

उम्र पचपन  की हो गई है तो क्या

अपने बुढ़ापे का इस्तक़बाल करते है |

किसको पड़ी है फिक्र हमारी सेहत की

आओ हम एक दूसरे की देखभाल करते हैं,

बच्चे हमारी पहुँच से दूर हैं तो क्या

आओ उन्ही को फिर से रिकॉल करते हैं |

जिंदगी जो बीत गई सो बीत गई

 जो बची है उससे  ही प्यार करते हैं.

जो भी दिया लाजवाब दिया ऊपर वाले ने

इसके लिए कोटि कोटि धन्यवाद करते है |

आओ किसी का यूँ ही इंतजार करते हैं

चाय के साथ फिर कोई  बात करते हैं |

विजय वर्मा

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Categories: kavita

12 replies

  1. Like the coffee cup image!

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  2. अच्छी कविता।

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  3. संजीव कुमार पाण्डेय's avatar

    बेहतरीन रचना

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  4. 💗

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  5. Sundar kavita

    But, me chai ni pita, phr kispe charcha kare?

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