# आज तुझसे मिलवाता हूँ # 

हमें अक्सर ऐसा लगता है कि खुश रहने के लिए कुछ ख़ास परिस्थितियाँ होनी चाहिए |

हमारी मनचाही परिस्थितियों और  मौजूदा परिस्थितियों के बीच  का अंतर ही यह तय करता है कि हम खुश है या दुखी |

यह बहुत हद तक हमारे  खुद के द्वारा किये गए  मूल्यांकन और निर्णय का मामला होता है।

लोगों का मानना है कि सफलता का मतलब चाही गई चीज़ को पा लेना है; और  ख़ुशी का मतलब पाई हुई चीज़ को चाहना है।

जब हमारी आमदनी और जीवन हमारे लक्ष्यों तथा अपेक्षाओं के अनुरूप होतें हैं और हम उस स्थिति से संतुष्ट होते हैं, और खुशी महसूस करते हैं  |  

दूसरी ओर, यदि किसी कारण से हमारी वर्तमान स्थिति हमारी मनचाही परिस्थिति से भिन्न होती है, तो हम असंतुष्ट और दुखी रहते हैं।

लेकिन सच्चाई तो यही है कि  खुशी के लिए कोई भी परिस्थिति, चीज या व्यक्ति कतई जिम्मेवार नहीं होता है |

हमारे अंदर ही खुशी का भरपूर खजाना मौजूद है हमें सिर्फ अपने अंदर के उस खजाने को  पाने की कला आनी चाहिए | क्या आप सहमत है  ?

चलो आज तुझसे मिलवाता हूँ

चलो, आज तुझे ही तुझसे मिलवाता हूँ,

बहुत दिन हुए, तुझे तुझसे बात करवाता हूँ

आँखे बंद कर… सपनों में जीने वाले,

आज हकीकत से रु- ब- रु करवाता हूँ |


समस्याएं तेरी हर जगह गाँठ बांधे बैठी हैं,

आज उन समस्यओं के गाँठ खुलवाता हूँ

चलो, आज तुझसे ही तुझको मिलवाता हूँ |


तू ने किया था ..कुछ वादा किसी से, पर

लोगों की खुशी के लिए तोड़ दिया था

जानता हूँ मैं ..यह तुम्हारी मज़बूरी थी,

पर, इतनी कायरता क्या ज़रूरी थी ?


वैसे तूने जितना सोचा, उससे ज्यादा पाया,

फिर भी मन की शांति,  तू ना खरीद पाया

आज तेरे पास किसी चीज़ की नही कमी है

फिर भी रहता तेरी आँखों मे सदा नमी है

चलो ,आज तुम्हारा वो राज़  खुलवाता हूँ

सच, आज तुझसे ही तुझको मिलवाता हूँ |

(विजय वर्मा)

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Categories: kavita

8 replies

  1. This definitely caught my attention. Anita

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  2. अच्छी कविता।

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  3. Acchi kavita.

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