# एक अधूरी प्रेम कहानी #….14 

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मुझे हैरत है मुहब्बत पर मेरी…

ये कैसा मुकाम मेरी ज़िन्दगी में आया,

लाकर खड़ा कर दिया दिल ने ऐसे दोराहे पर..

ना आगे बढ़ सका ना पीछे जा पाया..

दोराहे पर खड़ी ज़िन्दगी

सुमन की बात सुनकर रामवती को विश्वास हो चला था कि उसका पति उसे बहुत ज़ल्द मिल जायेगा | उसे तो  सुमन के व्यवहार से  ऐसा लग रहा था जैसे  उसे बहुत पहले से जानती हो |

सुमन के लिए उसके दिल में इज्जत बढ़ गई थी | रामवती, सुबह उठ कर यही सोचते हुए अपना बिस्तर ठीक कर रही थी | तब तक सुमन की भी नींद खुल चुकी थी |

क्या कर रही हो दीदी…सुमन ने आँखें मलते हुए पूछा |

कुछ नहीं, थोडा घर की सफाई कर दूँ ..रामवती हँसते हुए बोली |

तुम रहने दो, मैं कर लुंगी…सुमन ने कहा |

लगता है, तुमने अभी तक मुझे अपना नहीं समझा है …रामवती शिकायत भरे लहजे में बोली |

अच्छा छोड़ो,  तुम्हारे लिए चाय लाऊं क्या ? मुझे भी चाय की इच्छा हो रही है …रामवती सुमन के पास आ कर बोली |

ठीक है दीदी,  मुझे भी चाय की इच्छा है..सुमन उसकी ओर देखते हुए बोली |

सुमन हाथ मुहँ धो कर आई, तब तक रामवती  चाय बना कर ले आई और दोनों सोफे पर बैठ  कर चाय पीने  लगे |

अच्छा सुमन एक बात पूंछू  …तुम बुरा तो नहीं मानोगी ? …रामवती ने झिझकते हुए कहा |

अरे दीदी, तुम भी कैसी बाते करती हो…तुम्हे तो बड़ी बहन माना है, अब तो तुम्हारा अधिकार  है |

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अच्छा बताओ…तुम अब तक शादी क्यों नहीं की ? तुम पढ़ी लिखी हो ,सुंदर हो, अच्छी नौकरी है, तुम्हे तो किसी चीज़ की कमी नहीं है …रामवती बोल रही थी |

कमी है ना….एक “मरद” की … तभी बीच  में बात कट कर सुमन हँसते हुए बोल पड़ी | ..

तुम चाहो तो हजारो “मरद” मिल जायेंगे, तुमसे शादी करने को…रामवती हँसते हुए बोली |

हमें लगता है तुम्हारा कही चक्कर तो है….रामवती मजाक से बोली .|

हाँ दीदी….सुमन, उदास स्वर में बोली |

तो मुझे बताओ, मैं सब ठीक कर दूंगी |

यह इतना आसान नहीं है दीदी / पहले मेरी शादी माँ-बाप कम उम्र में ही कर दिए थे, और  मैं शादी के छह महीने में विधवा हो गई | अब मैं जिसको चाहती  हूँ, वो पहले से शादी – शुदा है,  …सुमन अपने दिल की बात बता रही थी |

तो तुम कोई दूसरा पसंद क्यों नहीं कर लेती ?  यूँ  दुखी होकर जीवन क्या जीना …रामवती  समझाते हुए बोली |

हाँ,  मैं कोशिश की थी | अभी करोना के कारण वह अपने गाँव चला गया था और मैं दिल को तसल्ली दे कर उसे भूलने की कोशिश कर रही थी | लेकिन तभी एक दिन….एक अजीब सी घटना हो गई …बोलते बोलते वो रुक गई |

कौन सी घटना ? .. ..रामवती की जिज्ञासा बढ़ गई |

एक दिन जब मैं  फैक्ट्री से घर आ रही थी तो रास्ते  में एक  आदमी का एक्सीडेंट हो गया था और वो रोड पर तड़पता, ज़िन्दगी और मौत से जूझ रहा था | वो और कोई नहीं, वही था, इस प्रकार फिर उससे मिलना हो गया |

वो सोचता है कि उसकी  ज़िन्दगी मेरे कारण ही बच पाई इसलिए वो मुझे  पहले से ज्यादा चाहने लगा है ….सुमन  चाय का प्याला समाप्त करते हुए उठने लगी |

रामवती उसका  हाथ पकड़ कर वापस बैठा ली..और प्यार भरी नजरो से देखती हुई बोली….मैं तुम्हारे  दर्द को समझ सकती हूँ |  लेकिन एक बार उसकी पत्नी से मिलने की कोशिश क्यों नहीं करती हो ?

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कोई फायदा नहीं होगा,  हमारा समाज दो पत्नी रखने की इजाजत नहीं देता है |

अगर सब लोगों का दिल एक दुसरे से मिल जाये तो साथ क्यों नहीं रह सकते है ? जब ख़ुशी -ख़ुशी रहेंगे तो समाज मान्यता दे ही देगा …रामवती उसके  सिर पर प्यार से हाथ रखते हुए बोली …चिंता मत करो…भगवान् कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकाल देगा |

अच्छा छोड़ो.. तुम बताओ ?..तुम्हारे “मरद” को कैसे ढूँढा जाये…सुमन उसकी ओर देखते हुए बोली |

वो तो तुम जानो, तुमने ही हमसे वादा किया है, उसे खोजने का |

ठीक है,  मैं एक काम करती हूँ…. तुम्हे रोज पढना – लिखना सिखाती हूँ ….ताकि तुम नाम लिखना सीख जाओ और अपने पति का नाम लिख सको | तभी तो खोज पाएंगे उसे… .सुमन समझाते हुए बोली |.

ठीक है, और कुछ किताब भी लाना ..तुम्हारे साथ रह कर मैं अनपढ़ नहीं रहना चाहती …..रामवती हँसते हुए बोली |

बिलकुल ठीक और तुमको भी अपना चेहरा मोहरा ठीक करना होगा और समार्ट बनना होगा और यहाँ के माहौल के अनुसार अपने को ढालना होगा ….और तुम को दीदी, एक दम “मेम” बना देंगे | तुम्हारा “मरद” जब तुमको देखेगा तो पहचान ही नहीं पायेगा …सुमन हँसते हुए बोली और फिर उठ कर स्नान करने चली गई |

रामवती भी हँसते हुए किचन में चली गई | सुमन से बात कर के उसे बहुत अच्छा लग रहा था |

इधर रघु सुमन के बारे में सोच रहा था ….कि कल से ना सुमन को देखा और ना बात ही हो सकी | घर में बैठे – बैठे बोर हो रहा हूँ | इसलिए उसने  सुमन को फ़ोन लगा दिया …..रिंग हो रहा था तो रामवती चौक गई और दौड़ कर बाथरूम के दरवाजे पर जाकर कहा ..सुमन, तुम्हारा फ़ोन आ रहा है |

ठीक है दीदी . … तुम फ़ोन उठा कर बात कर लो , देखो किसका फ़ोन है ? … सुमन अंदर से ही रामवती को बोली |

रामवती जल्दी से फ़ोन के पास गई और बात करने की लिए फ़ोन उठाया ही था कि फ़ोन कट गया   | वो फिर दुबारा रिंग होने का इंतज़ार करती रही |

सुमन जब फ़ोन नहीं उठाई तो मैं समझ गया कि सुमन कोई दुसरे काम में व्यस्त होगी, इसलिए उसे परेशान करना उचित नहीं समझा |

सुबह के दस  बज रहे थे और बच्चे को दूध पिला कर रामवती नास्ता टेबल पर लगाया और सुमन को आवाज़ लगा दी |

सुमन तैयार हो कर आई और रामवती को भी साथ नास्ते पर बैठा ली |

रामवती पहली बार डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी, इसीलिए थोडा झिझक रही थी |

यह देख कर सुमन बोली…दीदी,  अच्छे से टेबल कुर्सी पर बैठ कर खाने की प्रैक्टिस कर लो | कल हमलोग किसी बड़े से होटल में खाना खाने जायेंगे |

ठीक है …,रामवती खुश होते हुए बोली |

तभी फ़ोन की घंटी फिर बज उठी और  रामवती फ़ोन उठा कर सुमन को दी |

अरे, यह तो सेठ जी का फ़ोन है…..हेल्लो, मैं सुमन बोल रही हूँ |

हाँ सुमन …तुम ठीक से हो ना | अभी भी वहाँ जल जमाव है क्या ?

नहीं सेठ जी,  यहाँ तो अभी स्थिति में कुछ सुधार हो रहा है, लेकिन फैक्ट्री में अभी भी जल जमाव है  …सुमन ने कहा |

तुमलोग तब तक स्टूडियो वाला काम क्यों नहीं कर लेते हो | वो तो अभी हो सकता है | तुमलोग स्टूडियो में जाकर फोटो शूट करो और कुछ फोटोग्राफ मुझे भी भेजो ….सेठ जी निर्देश दे रहे थे |

ठीक है, मैं कल से काम शुरू कर देती हूँ …सुमन ने कहा |

सुमन नास्ता समाप्त कर अपने रूम से एक फाइल ढूंढ कर निकाल लायी और कुछ फोटो और ड्रेस को सलेक्ट कर कल के शूटिंग का कार्यक्रम फाइनल करने लगी |

और फिर सुमन ने मुझे फ़ोन मिला दी .. रिंग होते ही  मैं समझ गया कि यह फ़ोन सुमन का ही होगा , और मैं सही था |

जैसे ही फ़ोन उठा कर हेल्लो बोला….  कि सुमन की आवाज़ आयी ….रघु, उधर जल जमाव की क्या स्थिति है ? क्या तुम कल स्टूडियो में आने की स्थिति में  हो ?

मैंने कहा … मेरे मन में अभी से लड्डू फुट रहे है | मैं तो आज से ही जाने को तैयार बैठा हूँ,  कल से घर में बैठे बैठे बोर हो गया हूँ |

ठीक है,  आज तुम पांच बजे शाम में वहाँ पहुँचो, मैं भी आती हूँ… .सुमन बोलते हुए सोच रही थी कि  मैंने  भी तो कल से रघु को नहीं देखा है | सुमन को रघु से बात कर के ख़ुशी का अनुभव हो रहा था |

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ठीक पांच बजे सुमन स्टूडियो में पहुँची जहाँ मैं पहले से ही सुमन का इंतज़ार कर रहा था |

हमलोग एक दुसरे को देख कर खुश थे ..आज सिर्फ दो दिनों के बाद ही मिले थे, लेकिन ऐसा लग रहा था कि बहुत समय बाद मिल रहे हो.. |.

मैंने तो  अपने दिल की बात बोल दिया…. सुमन, कब तक ऐसे ही चलता रहेगा | अब तो तुमको देखे बिना चैन भी नहीं आता है | हम कब तक यूँ ही जीवन बिताते रहेंगे ?

मेरा भी यही हाल है रघु | पर समाज हमें किसी शादी-शुदा मरद की बीबी बनने की इजाजत नहीं देता और सब यही कहेंगे कि मेरे पैसो के लिए तुम मुझे अपना रहे हो |

मैं चाहती हूँ कि पहले तुम्हे उस उचाईयों पर ले कर जाऊं ,जहाँ सामाजिक रीति – रिवाज़ क असर हमारे ज़िन्दगी पर ना पड़ सके |

तुम एक नेक इंसान तो हो ही.  मैं तुम्हे एक सफल और अपने बराबर तक ले कर  आना चाहती हूँ , ताकि कोई यह नहीं कह सके कि मैं तुम पर कोई एहसान कर  रही हूँ | हमारे कारण रामवती को भी कष्ट नहीं होनी चाहिए |

अभी उस वक़्त का इंतज़ार करो और  तुम्हे खूब मेहनत  करना होगा | ऐसे ढेरो उदहारण है, जहाँ कम पढ़े लोग भी सफलता की बुलंदियों को छुआ है | अगर सच्ची लगन और कड़ी परिश्रम करे तो क्या नहीं हो सकता | तुम तो मॉडल के रूप में हिट हो जाओगे, ऐसा मुझे विश्वास है |

ठीक है सुमन , मैं मेहनत  करने से पीछे नहीं हटूंगा .. .मैंने कहा और फोटो सेशन की तैयारी शुरु कर दी |

काम समाप्त करते हुए घडी देखा तो रात के नौ बज चुके थे | सुमन जल्दी से चलने की  तैयारी  शुरू कर दी | इसी बीच फोटो शूट की सारी फोटो तैयार हो कर आ गए  |

फोटो देख कर सुमन उछल पड़ी और मुझे दिखाते हुए बोली …देखो रघु, हमदोनो के फोटोग्राफ कितने शानदार आये है | सेठ जी ने फोटो मंगाया है ..वो इसे देख कर ज़रूर सेलेक्ट कर लेंगे और हमारे साथ तुम भी मॉडल बन जाओगे ……वो खुश होते हुए  बोली |

धन्यवाद सुमन,  तुम मेरे लिए कितना फिक्र करती हो ….मैं ने सुमन की ओर देखते हुए कहा |

अच्छा  ठीक है, अब  मैं चलती हूँ….  तुम भी मेरे साथ चलो | तुम्हे रास्ते में ड्राप कर दूंगी…सुमन बैग उठाते हुए बोली  |

क्यों ? रोज की तरह , आज घर तक चलने के लिए नहीं कहोगी ?,….मैं ने मजाक से कहा |

नहीं , आज नहीं बोल सकती | आज हमारे यहाँ एक गेस्ट आयी हुई है, वो खाने पर मेरा इंतज़ार कर रही होगी |

ठीक है जैसा आप का हुक्म … बोलते हुए गाड़ी में बैठ गया …… (क्रमशः )

इससे आगे की घटना जानने के लिए नीचे दिए link को click करें….

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