
हूँ गरीब, गरीबी से, अब तक लड़ता आया हूँ।
कुदरत के हर मार को, अब तक सहता आया हूँ।।
जो भी बन सका मुझसे, सवाभिमानि बन सब किया,
ईमानदारी और मेहनत से, पेट पालता आया हूँ।।
जो किस्मत करता है, वो किस्मत को करने दो।
जीत जाऊंगा इस परिस्थिति से, बस मुझे लड़ने दो…
रात के नौ बज चुके थे और अंजिला की तबियत भी पहले से कुछ बेहतर लग रही थी | मुझे पता था कि उधर रघु काका भी रिक्शा के लिए रैन बसेरा में मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे |
अब तो मुझे यहाँ से जाना होगा | ऐसा सोच कर मैंने अंजिला से कहा …अब आप की तबियत कुछ ठीक लग रही है इसलिए मुझे अब वापस जाने की इजाजत दीजिये |
परन्तु अंजिला ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा ….. मैं चाहती हूँ कि आज की रात तुम यही रुक जाओ, मैं अभी उस सदमे से उभर नहीं पायी हूँ | मुझे अकेले में घबराहट होगी |
लेकिन मेम साहब, मैं आप के साथ इस कमरे में नहीं रह सकता हूँ, होटल वाले क्या समझेंगे ….मैंने अंजिला को समझाया |
अंजिला ने कहा …रात में तबियत ख़राब हो गई तो मुझे कौन सहायता करेगा | तुमने तो अपनी जान जोखिम में डाल कर आज मुझे गंगा में डूबने से बचाया है | अब रात कट जाएगी तो कल तक शायद मैं ठीक हो जाउंगी |
ठीक है मेम साहब मैं इस कमरे में तो नहीं , बल्कि reception में बैठा रहूँगा | अगर किसी तरह की सहायता की ज़रुरत हो तो मोबाइल से सूचित कर दीजियेगा ..ऐसा कह कर मैं रिसेप्शन में जाकर वहाँ सोफे पर बैठ गया |
और बैठे बैठे कब मेरी आँखे लग गई पता ही नहीं चला | अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बज उठी और मैं हडबडाहट में उठा और घड़ी की तरफ देखा — सुबह के पांच बज रहे थे और अंजिला का कॉल था | मुझे लगा शायद मेम साहब को मेरी सहायता की ज़रुरत आ पड़ी है | इसलिए भाग कर उनके कमरे के पास पहुँचा और कॉल बेल को दबाया |
कॉल बेल बजते ही दरवाज़ा खुला, सामने अंजिला खड़ी थी ..उसने अन्दर आने का इशारा किया | मैंने देखा, मैडम बिलकुल स्वस्थ लग रही थी और बहुत खुश भी नज़र आ रही थी |
उन्होंने मुझे बिस्तर पर ही बैठाया और चाय की ट्रे लेकर आ गई |
मुझे उसे ठीक -ठाक देख कर बहुत प्रसन्नता महसूस हो रही थी | हालाँकि मैं रात भर ठीक से सो नहीं पाया था इस कारण से सिर भारी – भारी सा लग रहा था |
अंजिला ने अपने हाथों से दो कप चाय बनाया और एक कप मुझे दे दिया | हम दोनों चाय पिने लगे | चाय पीने के बाद मेरी थकान थोड़ी कम हुई और मुझे आराम महसूस होने लगा |

तभी किसी ने कमरे की कॉल बेल बजाई | अंजिला ने मेरी ओर देखा तो मैंने कहा …ठीक है मैं देखता हूँ और जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने का दृश्य देख कर मेरा दिल धक् से हो गया … सामने रघु काका खड़े थे, और वो बहुत ही गुस्से में नज़र आ रहे थे |
उन्होंने मुझे अंजिला के साथ कमरे में एक साथ देख कर पता नहीं क्या समझा और गुस्से भरे लहजे में कहा …राजू, मैं पहले ही तुझे समझाया था, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी |
तुम्हारी मनमानी इतनी बढ़ गई कि मेरा ही रिक्शा तू ने रात में मेरे हवाले नहीं किया और मैं वहाँ बैठा – बैठा रात भर किसी आशंका में जागता रहा |
ऊन्होने मेरे से चाभी लेकर कहा ..आज से तुम मेरा रिक्शा नहीं चलाओगे और आज से हमारा तुम्हारा रिश्ता भी ख़तम |
मुझे तो अपनी सफाई में कुछ भी बोलने का मौका ही नहीं दिया | उन्होंने हम दोनों को इस कमरे में एक साथ देख कर शायद कुछ गलत धारणा बना ली थी |
मैं उनकी डांट फटकार से आहत हो गया और कमाई के साधन भी छीन जाने से दुखी हो गया | उदास मन से वापस आकर बचे हुए चाय पिने लगा |
तभी अंजिला प्लेट में ब्रेड टोस्ट लेकर आयी और अचानक मेरे उदास हुए चेहरे को देख कर पूछ बैठी…क्या बात हो गई राजू , अचानक तुम्हारे चेहरे पर उदासी क्यों ?
मैंने रघु काका वाली सारी बात बता दी और यह भी कहा …अब आज से मेरे पास रिक्शा भी नहीं रहा | आज से आप को अपने काम के लिए कोई दूसरा रिक्शा ठीक करना पड़ेगा |
लेकिन राजू…. अब तुम क्या करोगे ?…अंजिला ने जानना चाही |
मैं कोई दुसरे काम की तलाश करता हूँ …मैंने जबाब दिया |
इतना कह कर मैं उठा और मैडम को नमस्कार कर वापस जाने की इज़ाज़त मांगी |
वो मेरी बात सुन कर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे पर बिठाया और प्लेट में लाये हुए नास्ते को देते हुए कहा …पहले तुम ब्रेकफास्ट कर लो |
हम दोनों नास्ता कर रहे थे तभी अंजिला ने मेरी ओर देखते हुए कहा …राजू ! तुमने मेरी ना जाने कितनी बार सहायता की है और अब जब तुम मुसीबत में हो तो तुम्हे अकेला कैसे छोड़ दूँ ?

नहीं राजू …अब तुम तो मेरे दोस्त हो, मेरे गाइड हो | तुम मेरे साथ ही रहोगे और आज हमलोग दुसरे की रिक्शा लेकर काम पर चलेंगे |
मैडम नास्ता लेकर तैयार होने लगी और इसी बीच मैं भी होटल के गेस्ट रूम में नहा धोकर तैयार हो चूका था |
आज मुझे अजीब महसूस हो रहा था जब मैडम के बगल में बैठ कर दुसरे की रिक्शा में जा रहा था | रोज़ तो मैडम मेरे रिक्शा में बैठती थी और मैं रिक्शा चलाता था |
लेकिन मैडम तो जैसे मुझसे बिलकुल चिपक कर ही बैठी थी लेकिन मुझे झिझक हो रही थी |
खैर किसी तरह विश्वनाथ मंदिर पहुँच गए और मैडम अपने काम में लग गई |
शाम के पांच बज रहे थे और मैं मंदिर में टहलते हुए बाबा भोलेनाथ के सामने पहुँच गया और हाथ जोड़ कर बस इतना कहा …भोलेनाथ, मुझ जैसे पढ़े लिखे इंसान को रिक्शा चलाना पड़ रहा है, अब तो मेरे अच्छे दिन दिखला दो, प्रभु |
तभी पीछे से अंजिला आ गई और हँसते हुए पूछा …तुम भगवान् से क्या मांग रहे थे ?
नहीं नहीं , कुछ भी तो नहीं .. मैंने हडबडाते हुआ कहा |
अंजिला ने कहा …मुझे सब पता है | तुम्हारी मनोकामना जल्द ही पूरी होने वाली है |
मैंने उसे आश्चर्य से पुछा …कौन सी मनोकामना ?
चलो मेरे साथ | और मुझे बाहों से पकड़ कर रिक्शे में बिठाया और हमलोग चल पड़े मार्किट की ओर |
थोड़ी देर में हमलोग एक इ..रिक्शा के शोरूम में थे | मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैं आश्चर्य से अंजिला की ओर देखा |
अंजिला ने वहाँ के मेनेजर से कुछ बाते की और पूछा …इ – रिक्शा क़िस्त पर खरीदने के लिए कोई स्कीम है क्या ?
मेनेजर ने कहा … जी मैडम | एक चौथाई मार्जिन तत्काल जमा करना होगा और बाकि के ७५% राशी 24 मासिक किश्तों में जमा करानी होगी |

और इसके लिए कोई गारंटर चाहिए जो अपनी गारंटी दे सके |
इस पर अंजिला ने पूछा … क्या मैं गारंटर बन सकती हूँ ? मेरे पास पासपोर्ट है ।
इस पर मेनेजर ने कहा ,,जी हाँ ,आप गारंटी दे सकती है |
फिर अंजिला ने ही लाल रंग की रिक्शा पसंद की और मार्जिन मनी का भुगतान अपने कार्ड से कर दिया |
राजू बस चुप चाप आश्चर्य से देखता रहा ..थोड़ी ही देर में एक चमचमाता हुआ इ-रिक्शा मेरे सामने खड़ा था.. वो कभी अपने नयी रिक्शा को तो कभी अंजिला देखता रहा |
मेनेजर ने आवश्यक कागजातों पर हमलोगों के दस्तखत करवाए और फिर अंजिला ने “इ-रिक्शा” के साथ शोरूम में फोटो खिचवाए और मुझे चाभी मेरे हवाले करते हुए उसने कहा …तुम जैसे पढ़े लिखे इंसान को जानवर की तरह रिक्शा खीचते देखती हूँ तो मुझे बहुत तकलीफ होती है | इसलिए आज यह “मशीनयुक्त – रिक्शा” तुम्हारे लिए है |
और हाँ, वो मंदिर वाली बात याद है न ? सचमुच तुम्हारी मनोकामना पूरी हुई …. बोल कर हँसने लगी | मैंने भी खुश होकर कहा …ठीक है मैडम, आप इस रिक्शा पर बैठिये | सबसे पहले मंदिर में चल कर भगवान् को धन्यवाद करेंगे और उनकी पूजा अर्चना कर इसकी शुरुवात करते है …….(क्रमशः)

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beautiful drawings!
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Thank you so much.
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My pleasure!
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Good evening.
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Nice 🙂 drawings are beautiful 😍💐
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Thank you so much.
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Wonderful drawings sir
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Thank you so much.
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My pleasure dear friend💞🤗👍
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