# एक बार फिर #

आज कल नफ़रतों का बाज़ार गरम है | हर तरफ लोग सिर्फ अपनी फिक्र करते है | आपसी प्रेम जैसे समाप्त ही हो चला है | अक्सर लोग भूल जाते है उन बातो को जिन्हे सोच कर अब भी कुछ लोगो की आँख से आँसू निकल आया करते है |

हमे फिर से लोगो के दिलो मे प्यार पैदा करना होगा | ज़िंदगी मिली है तो क्यों न प्रेम – मोहब्बत के साथ ज़िंदगी का लुफ्त उठाया जाये |

इन्ही भावनाओं को महसूस कराने का मेरा एक प्रयास …

चलो एक बार फिर...

आपसी नफरत को भूल

सहमी सी चाहत और

बेबस ज़िन्दगी से दूर

कसमसाती ख्वाहिशें और ..

धुंधलाती सपनों से दूर

मुठ्ठी में कुछ सपने हो

और जेबों में हो आशाएं

फौलादी इरादे मन में हो

      दिल में कुछ अरमान हो

हम सब की कोशिश हो प्यारे .

अपने सब सपनों साकार हो  

मानवता के फुल खिले और  

जहाँ जीने की आज़ादी हो

ऐसी रचना इस धरती पर..

ऐसी स्वर्ग का निर्माण करें 

जितनी भी हो विघ्न बाधाएँ

हम उन सभी को पार करें

जाना तो है सब को एक दिन,..

मुझको भी यह एहसास है

हर लम्हा जीना है मुझको   ..

इस ज़िन्दगी से प्यार है

आओ हम इस धरती पर प्यारे ..  

अपने सपनों  को  साकार  करें

क्रोध- नफरत से क्या हासिल

आओ एक दूसरे से प्यार करें |

            (विजय वर्मा )

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Categories: kavita

11 replies

  1. Sundar kavita!!
    Acha message he kavita me 👏🏻👏🏻🔆

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।

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  3. अच्छी कविता।

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  4. Acchi Kavita.Dil khus hua.

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  5. आओ एक दूसरे से प्यार करें

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  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Good afternoon friends.

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