#मोहब्बतें बेच रहा हूँ#

Good afternoon friends,

vermavkv's avatarRetiredकलम

आज जब समाचार पत्र पर नजरे जाती है तो ऐसा महसूस होता है कि आज नफ़रतों का बाज़ार गरम है | ज़्यादातर समाचार मन को दुख पहुँचने वाली ही होती है | ऐसा लगता है जैसे आपसी भाई-चारा और प्रेम मिटता जा रहा है |

दोस्तों , हमें इतना भी नीचे नहीं गिरना चाहिए कि कोई ऊपर उठाने के लिए और सहारा देने के लिए हाथ बढ़ाए तो वो हम तक पहुँचते पहुँचते रह जाये |

उन्हीं वेदनाओं को महसूस कराता है मेरी ये कविता…

मोहब्बतें बेच रहा हूँ

नफ़रतों के बाज़ार में मोहब्बतें बेच रहा हूँ

जी हाँ, गंजों के शहर में कंघा बेच रहा हूँ

खरीदार बेशक कम है, मोल जोल भी नहीं

बस, अपना समान सस्ते में बेच रहा हूँ

नफ़रतों के बाज़ार में मोहब्बतें बेच रहा हूँ

सामने वाली दुकान पर रौनक देख रहा हूँ

वहाँ ग्राहक की धक्का मुक्का देख रहा हूँ

झूठ, नफरत, धोखा…

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