Good evening

कभी – कभी ऐसा महसूस होता है कि बाहर चारों तरफ खुशियाँ है पर मेरे अंदर नहीं | मेरा मन हमेशा किसी न किसी बात से आहत होता रहता है | ऐसा क्यों होता है, पता नहीं |
मैं तो खुश होना चाहता हूँ फिर भी उदासी आ जाती है | कुछ तो है जो अंदर ही अंदर खाए जाती है |शायद इसीलिए मेरा मन हमेशा तनहाइयों में भटकता रहता है | कुछ शब्दों को लिख कर मन को शांत करने की कोशिश है यह कविता |

भूरी आँखों वाली “वो”
जब भी मुझे प्यार से देखती है
उसकी मुस्कान मेरी दुनिया रौशन कर देती है |
काले बालों वाली “वो”
जब खिलखिलाती है ,
मेरे कानों में मृदंग बजने की ध्वनि सुनाई देती है |
घुंघराले बालों वाली “वो”
जब भी रोती है,
उसके दिल में सिसकता दर्द, मुझको उदास कर देती है |
मुस्कान बिखेरने वाली “वो”,
जब…
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मैं भी अकसर ऐसे ही उलझ जाती हूँ
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यह तो बिलकुल स्वाभाविक है। लेकिन समय समय पर मूल्यांकन करें। आप हमेशा winner की तरह बाहर निकल आएंगी। आप खुश रहें।
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जी बिल्कुल, आप भी स्वस्थ रहे, खुश रहे हमेशा की तरह।
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बहुत बहुत धन्यवाद, शैफाली ।
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