# मेरा ही अक्स है #

Good evening

Retiredकलम

कभी – कभी ऐसा महसूस होता है कि बाहर चारों तरफ खुशियाँ है पर मेरे अंदर नहीं | मेरा मन हमेशा किसी न किसी बात से आहत होता रहता है | ऐसा क्यों होता है, पता नहीं |

मैं तो खुश होना चाहता हूँ फिर भी उदासी आ जाती है | कुछ तो है जो अंदर ही अंदर खाए जाती है |शायद इसीलिए मेरा मन हमेशा तनहाइयों में भटकता रहता है | कुछ शब्दों को लिख कर मन को शांत करने की कोशिश है यह कविता |

भूरी आँखों वाली “वो”

जब भी मुझे प्यार से देखती है

उसकी मुस्कान मेरी दुनिया रौशन कर देती है |

काले बालों वाली “वो”

जब खिलखिलाती है ,

मेरे कानों में मृदंग बजने की ध्वनि सुनाई देती है |

घुंघराले बालों वाली “वो”

जब भी रोती है,

उसके दिल में सिसकता दर्द, मुझको उदास कर देती है |

मुस्कान बिखेरने वाली “वो”,

जब…

View original post 114 more words



Categories: Uncategorized

4 replies

  1. मैं भी अकसर ऐसे ही उलझ जाती हूँ

    Liked by 1 person

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: