ख़ामोशी का सच

हर किसी का अपना -आत्म सम्मान होता है,, लेकिन जाने -अनजाने औरों के द्वारा उसे ठेस पहुँचाया जाता है | ऐसे में वह खामोश रहना ही उचित समझता है | वह अपने अन्दर उठती भावनाओं को लिख कर शांत करना चाहता है |

लेकिन कलम कभी कभी इज़ाज़त नहीं देती है | वह इंसान अपने अन्दर चल रहे अंतर्द्वंद में  फँसा  रहता है | लेकिन उसकी ख़ामोशी ही सब कुछ बयां कर देती है |

आज मेरी कविता एक छंद है

 क्योंकि ,

कलम  और मेरे बीच एक द्वंद है

लिखने को तो बहुत सारी  बातें है

लेकिन

मेरी भावनाओं पर प्रतिबन्ध है |

सोचता हूँ खामोश ही रहूँ

अपनी बातें किसी से न कहूँ

क्योंकि

लोग सुन कर तो हंसेगे ही

अच्छा है उन्हें मैं खुद ही सहूँ |

आज है जो कल खत्म हो जाएगा

बाकी सिर्फ कहानी रह जाएगा ..

फिर नए लोग नए विचार आयेंगे

ज़िन्दगी का नया फलसफा सिखलाएंगे |

पुराने लोग पुरानी बातें सब भूल जाएंगे

और एक नया  इतिहास बनायेंगे  |

उन पन्नों में हमारा वजूद सिमट जाएगा  

और लोग शायद पहचान भी न पाएंगे |

ज़िन्दगी बस ख़ामोशी में गुज़र जायेगी

मेरी तन्हाई किसी को नहीं रुलाएगी

और , फिर एक दिन वो भी आएगा

जब मेरा मैं यहाँ से रुखसत हो जायेगा |

इसी कसमकश में खामोश रहता हूँ

पर किसी से कुछ भी नहीं कहता हूँ

समझने वाले चाहे  कुछ भी समझे,

अपनी ख़ामोशी से सच बयाँ करता हूँ  |

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Categories: kavita

31 replies

  1. खामोशी बेहतर है। 👌👌👌👍🎉

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  2. So true! Well penned!!

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  3. अच्छी कविता।

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  4. Khamosh (film star shatruganh sinha ke tone mein)

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  5. Olá amigo ✨ Linda foto 🌷

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  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    मेरी ज़िंदगी मे एक ऐसा शक्स भी है , जो मेरी पूरी ज़िंदगी है,
    और मैं उसका एक लम्हा भी नहीं |

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