#हँसना भी ज़रूरी है #

दोस्तों,

हँसना एक अच्छा व्यायाम भी है | हम सभी जानते है कि हंसने के बहुत से फायदे है | फिर भी,  बिना हँसे कई दिन निकल जाते है |  मेरी यह कोशिश  है कि आप सब लोगों को समय समय पर यह एहसास दिलाता रहूँ कि रोज़ हँसे – खूब हँसे और खुल कर हँसे | आपके साथ मैं भी हँसना चाहता हूँ, खुश रहना चाहता हूँ |  

आज कल की परिस्थितियाँ कुछ ऐसी हो गयी है कि हमारा बहुमूल्य समय परेशानियों में ही निकल जाता है |

लेकिन हमारा यह एक प्रयास है, और हम हंसने और हँसाने का प्रयास करते रहेंगे |  आइये, छोटी छोटी खुशियों के पल आपस में शेयर करें और खुलकर हँसे, खुशियाँ मनाये, क्योंकि  ये ज़िन्दगी ना मिलेगी दुबारा |

इस सन्दर्भ में एक लघु कथा प्रस्तुत है .. इसे ज़रूर पढ़े | .. इसे पढ़ कर आपके भी  चेहरे पर मुस्कराहट  बिखर जायेगी |

बिहार का एक छोटा क़स्बा है,  बिनदेखल पुर  | वहाँ का थानेदार अक्सर अपनी दाढ़ी बनवाने एक नाई के दूकान पर जाया  करता था | दरअसल वो  नाई इतनी अच्छी हजामत बनाता  था कि थानेदार को अक्सर नींद आ जाया करती थी | और उस समय वो आराम और सुकून के पल महसूस करता था  |

लेकिन  नाई अपनी आदत के मुताबित दाढ़ी बनाते समय  थानेदार से कुछ कुछ बातें करता रहता था और अंत में एक सवाल ज़रूर पूछता था  | अगली बार थानेदार जब  अपनी दाढ़ी बनवाने आया तो नाई दाढ़ी बनाते समय बातों बातों में  एक सवाल किया कि आप पुलिस वाले रस्सी को सांप और सांप को रस्सी कैसे बना देते हो ?

यह मुहाबरा सुन कर थानेदार बस मुस्कुरा देता है , और  सवाल को टाल देता है |  अगली बार थानेदार फिर जब नाई की दूकान पर आया तो दाढ़ी बनाते हुए नाई ने फिर वही सवाल किया .. साहब, आप पुलिस वाले रस्सी को सांप कैसे बना देते हो ?

रोज़ रोज़ के एक ही सवाल से थानेदार को गुस्सा आ गया | वह चिढ़ते हुए  बोला – ठीक है, अगली बार जब आऊंगा तब तुझे  बताऊंगा कि हम पुलिस वाले रस्सी को  सांप कैसे बनाते है ?  इतना कह कर वह वहाँ से चला जाता है |

कुछ घंटे के बाद ही  उस  नाई की दूकान पर 2 – 4 पुलिस वाले अचानक आ धमके | इतने पुलिस वाले को देख कर नाई  परेशान हो उठता है , उसे कुछ समझ में नहीं आता है | वह प्रश्नभरी नज़रों से पुलिस वाले की तरफ देखता है | तब एक पुलिस वाला कहता है कि हमें खबर मिली है कि तुम गैरकानूनी तरीके से हथियार बेचते हो  |

यह सुन कर नाई पहले तो  हँसा है और फिर कहा  – क्यों मज़ाक कर रहे हो  साहब |  मैं तो एक सीधा सादा इंसान हूँ और वर्षो से इस नाई की दूकान चलाता हूँ | मैं लोगों के बाल – दाढ़ी बनाता हूँ | आपके थानेदार साहब भी मुझे जानते है और मेरे दूकान पर ही अपनी दाढ़ी बनवाते है |

पुलिस उसकी बात सुन कर कड़क अंदाज़ में बोला – मुझे एक मुखबिर ने खबर दी है | इसलिए तुम्हारे दुकान की तलाशी  लेनी है |

तलाशी के दौरान उन्ही में से एक पुलिसवाला एक पुराना जंग लगा हुआ देसी कट्टा नाई से नज़र बचा कर उसकी दूकान में छुपा देता है | थोड़ी देर तलाशी का नाटक करते हुए एक पुलिस वाला चिल्लाता है – अरे, मिल गया , मिल गया , हथियार मिल गया |

यह सब देख कर अब नाई की हालत खराब हो गयी |

तभी पुलिसवाला  कड़क आवाज़ में पूछता है – बता , यह हथियार सप्लाई का धंधा कब से करता है ?  ,और किस किस को हथियार बेचता है ? तेरा किस – किस गैंग से सम्बन्ध है ?   तेरे पर तो बहुत सारी धाराएँ लगेगी |

अब नाई की हालत ऐसी कि काटो तो खून नहीं | वो गिडगिडाते हुए कहा – साहब, मैं बेकसूर हूँ | मैंने अपनी दूकान में यह  हथियार नहीं छुपाये थे | इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता |

नाई गिदगिड़ा रहा था,  तभी थानेदार भी  उस नाई की दूकान पर आ  पहुँचा | थानेदार को देख कर नाई की जान में जान आयी और वो थानेदार साहब से हाथ जोड़ कर कहने लगा — देखिये न साहब,  आपके ही पुलिस वाले हमें हथियार का सप्लायर कह रहे है और यह हथियार भी बरामद किया है | लेकिन मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता |  आप तो मुझे अच्छी तरह जानते है |

थानेदार नाई की सारी बातें सुनता है और फिर पुलिस की ओर देखता है | तो पुलिस वाले कहते है कि इसके दूकान से गैर कानूनी हथियार बरामद हुए है |

तब थानेदार नाई को एक तरफ कोने में ले जाता है और धीरे से कहता है – मैं तुझे जानता हूँ और तू मुझे जानता है | लेकिन मैं अभी ऐसे ही छोड़ दूंगा , तो ये पुलिस वाले मेरे उपरवाले साहब से मेरी शिकायत कर  देंगे | तू तो जानता है कि  ये पुलिस वाले हरामी होते है |

अगर तेरी दूकान से कट्टा बरामद हुआ है तो केस तो बनेगा ही | लेकिन चूँकि तू मेरा जानकार है , इसलिए एक सलाह देता हूँ |  FIR अभी बनी नहीं है,  इसलिए तू  20,000  रूपये इस पुलिसवाले को दे दे तो केस यही पर समाप्त  हो जायेगा और तू जेल जाने से बच जाएगा | मैं मामला रफा दफा करवा दूंगा |

लेकिन साहब , आपतो जानते है, मेरे पास इतने रूपये कहाँ से आयेंगे ?

ये तो मुझे नहीं मालूम, अगर ऐसा नहीं करोगे  तो तुझे जेल जाना पड़  सकता है |

अब नाई को महसूस हुआ कि अगर इन लोगों से  जान बचानी है तो पैसे का जुगाड़ करना ही पड़ेगा |

वह कुछ देर की मोहलत लेकर नाई अपने घर जाता है | अपनी माँ के गहने लेता है और उसे एक जौहरी  के दूकान में 20,000 रूपये में बेच देता है |

उसके बाद भागा – भागा वह वापस आता है और 20,000  रूपये थानेदार के हवाले कर देता है |

थानेदार कहता है — अब ठीक है,  तुम पर केस नहीं होगे | अब मैं सब  संभाल लूँगा |

यह सुन कर नाई की जान में जान आयी |

फिर थानेदार नाई से पूछा  – अच्छा बता, तू पैसे लाया कहाँ से ?

तब नाई  ने जबाब दिया – माँ के गहने  बेच कर पैसे लाया हूँ |

वो गहने किसके पास  तूने बेचे है ?

उसने कहा — चौक पर स्थित  उजाला ज्वेलर्स की दूकान में |

थानेदार उसकी बातें सुनी और फिर पुलिस की ओर देख कर कहा – इस नाई के हाथ में हथकड़ी लगाओ और अपनी जीप में बिठाओ |

यह सुन कर नाई के पसीने छूटने लगे | उसने  गिडगिडाते हुए कहा – साहब , आपके कहने के अनुसार मैंने तो पुरे पैसे भी आप को दे दिए |  फिर क्यों मुझे गिरफ्तार कर रहे हो ?

थानेदार बोला –  चुपचाप अब तू चल | और उसे हथकड़ी पहना कर गाडी में बिठाया और वे लोग चल दिए  |

थोड़ी ही देर में चौक पर स्थित उजाला ज्वेलर्स की दूकान के सामने पुलिस ने अपनी जीप   खड़ी कर दी |

अब थानेदार दो पुलिस के साथ ज्वेलर्स के दूकान के अन्दर जाता है और  जौहरी  से कहता है कि हम आपको गिरफ्तार करने आये  हैं |

वो पूछता है – मेरा जुर्म क्या है ?

तुम चोरी के जेवर खरीदते हो | और जीप में  हथकड़ी पहने जो शख्स बैठा है, वो एक  चोर है और उसके द्वारा चुराए गए गहने तुमने अभी अभी  ख़रीदे है | अब मैं  तुम्हारे दूकान से सभी जेवर सीज करता हूँ और तुम्हे अब थाने चलने पड़ेंगे |

वो जौहरी ने जीप में बैठे नाई को देख कर समझ जाता है कि यह तो वही आदमी है , जिससे अभी थोड़ी देर पहले गहने खरीदे थे |

जौहरी  अब समझ जाता है कि  वो मुसीबत में घिर चूका है | अब जौहरी  भी गिडगिडाने लगता  है | साहब, मुझे मालूम नहीं था,  मुझसे गलती हो गयी |

वह थानेदार को किनारे ले जा कर कहता है कि कुछ ले दे कर मामला रफा दफा कर  दीजिये |

ठीक है !  एक  लाख रूपये निकालो तो बात बन सकती है |

जौहरी को जान बचानी थी , इसलिए तुरंत ही एक लाख रूपये पुलिस को दे दिए |

थानेदार पैसे लेने के बाद फिर कहा — तूने जो उसके चोरी के गहने लिए थे वो भी दे दे |

मरता क्या न करता,  उसने वो गहने भी पुलिस के हवाले कर दिए  |

अब थानेदार पैसे और गहने लेकर वापस जीप में आकर बैठा और फिर वापस नाई की दूकान में आ गया |

फिर नाई के हथकड़ी खोल दिए और उससे कहा — यह रख, तू अपनी माँ के गहने जो उस जौहरी को बेचे थे |  जाकर माँ को वापस कर दे |

तूने जो 20,000 रूपये दिए थे, वो  मेरे हो गए और ऊपर से एक लाख रूपये उस जौहरी से भी कमा लिए |

फिर नाई की तरफ देखते हुए थानेदार बोला – हम इसी तरह रस्सी को सांप बनाते है |

सामने वाले को पहले देखते है कि जजमान कितना पैसे वाला है,  फिर उसी के हिसाब से हम उसे लूटते है |

यह सब मुझे अभी  इसलिए करना पड़ा, क्योंकि तू ने बार – बार  यह पूछ कर मेरा  सिर खा रहा था कि हम रस्सी का सांप कैसे बनाते है ?

आज के बाद मुझसे फिर यह सवाल नहीं पूछना कि हम पुलिस वाले रस्सी का सांप……… |

हम पुलिस वाले है, रस्सी का सांप तो क्या हम “मगरमच्छ” भी बना सकते है |  इसलिए……. |

थानेदार की बात पूरी होने से पहले ही नाई ने थानेदार के पैर पकड़ लिए और कहा – मैं तो क्या , अब मेरा बाप भी कोई सवाल किसी पुलिस वाले से नहीं पूछेगा |

(Pic Source : Google.com)

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Categories: motivational

6 replies

  1. पढ़ कर मजा आया।

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  2. Ajab Kahani. Gagab baat.Bahut sundar.Video clip bhi Bahut Badhia.

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