यादों के पन्नो से भरी है ज़िन्दगी ,
सुख और दुःख की पहेली है ज़िन्दगी …
कभी अकेले बैठ कर विचार कर के तो देखो
संबंधों के बगैर , अधूरी है ज़िन्दगी …

मेरी पहचान क्या है ?
मैं बिहारी हूँ , मेरा जनम बिहार में हुआ है या मैं एक पति हूँ, एक बाप हूँ, एक हिन्दू हूँ या फिर रिटायर्ड बैंकर हूँ ‘’’
नहीं, मेरी यह पहचान नहीं है शायद | मैं अपनी पहचान बनाना चाहता हूँ |
मेरी अपनी पहचान होगी… मेरी सोच से , मेरे ख्वाबों और मेरे ख्यालों से |
मेरी कोशिश जारी हैं …मैं रोज़ अपने आप से बातें करता हूँ.. क्योंकि मुझे लगता है कि मैं खुद के बारे में ज्यादा वाकिफ नहीं हूँ ,,,
इसलिए कुछ लिखने के बहाने अपनी पहचान खोज रहा हूँ |

ज़िन्दगी की किताब
आज मैं अपने ज़िन्दगी की किताब खोले बैठा हूँ
बीते हुए खट्टे मीठे लम्हों का हिसाब लिए बैठा हूँ
समय के चक्रचाल को भला कौन समझ पाया है
बीते लम्हों का दिन महीने साल लिए बैठा हूँ,
पलट कर गौर से देखता हूँ उन भरे हुए पन्नो…
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