# मैंने तुझको देखा है #

जिंदगी क्या है ? शायद यह कुछ समय का एक कारवाँ है, और हम सब इस कारवाँ के मुसाफिर है | बस चल रहे है किसी अनजान मंजिल की ओर | कुछ लोग रास्ते में बिछड़ गए और कुछ ने तो मंजिल ही बदल लिया |

रास्ते के पड़ने वाले ज़िन्दगी के तीन पडावों को पार करना है — बचपन, जवानी और बुढ़ापा | देखे, किसे कौन सा पड़ाव नसीब होता है | कुछ नए साथी मिलेंगे तो कुछ पुराने छुट जायेंगे , लेकिन रुकना मना है क्योंकि चलना ही जीवन की सच्चाई है |

मैंने तुझको देखा है

जब भी आईना देखा है

ये ज़िन्दगी मैंने तुझको देखा है

चाहे जितनी भी मुसीबतें आये    

तुझे मुस्कुराते हुए देखा है

यूँ तो कभी सोचा ना था कि 

उन से नज़रें  चार हो जाएगा

ऐ ज़िन्दगी किसी मोड़ पे

तुझ से यूँ प्यार हो जाएगा

सोचता था रास्ते  में तूफ़ान आयेंगे

और तुम्हारा ज़ज्बा हार जायेगा ,

अब तो पक्का भरोसा है कि

कठिनाइयों से तू  पार  पायेगा

मेरी कश्ती अब डूबेगी  नहीं, बल्कि

मुझे ज़िन्दगी का  नया रूप दिखायेगा,

जब भी आईना देखा ……………..

( विजय वर्मा )

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Categories: kavita

13 replies

  1. बहुत बढ़िया 👌

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  2. Very nice philosophical poem with meaningful inspiring video clip. 👌👌

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  3. अच्छी कविता। यूँ ही लिखते रहो।

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  4. बहुत अच्छे 👌👌

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  5. Beautiful post and poetry.

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  6. Nice composition

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  7. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    When you start to enjoy your Life,
    you will see how amazing is this world is..
    Stay happy … Stay blessed.

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