
सचमुच पांच साल की बच्ची शांति के द्वारा कही गयी पिछले जनम की बातें सुन कर सभी लोग हैरान थे , लेकिन सब कुछ सच लगते हुए भी विश्वास करना कठिन हो रहा था |
रंग बहादुर की मुसीबतें बढती जा रही थी , क्योकि इन सब चीजों पर सहसा विश्वास करना मुमकिन नहीं था | फिर उन्होंने उसका झाड़ – फुक भी कराया | लेकिन शांति मथुरा जाने की जिद पर अडिग रही |
उसने तो इतना तक कहा कि मेरे घर के आँगन में एक कुआँ है और घर के सामने एक मंदिर है | मैंने अपने कमरे में अपने गुल्लक में १२५ रूपये जमा कर रखे है | मेरा पति लम्बा और गोरा है, उसके बाएं गाल पर एक मस्सा है | वह चश्मा लगता है | वह अपने पति के बारे में बहुत सारी बातें बताई पर उसका नाम नहीं बताती थी |
तंग आकर उसके पिता ने कहा — ठीक है, हम वो तुम्हारी बातें मान भी लेंगे अगर तुम अपने पति का नाम बताओ ?
जब घर वाले उनके पति का नाम पूछते तो वो शरमा जाती लेकिन नाम नहीं बताती | शायद ज़माने से रित चली आ रही है कि औरत अपने पति का नाम नहीं लेती है | वही कारण होगा कि वो पति का नाम नहीं बता रही थी |
रंग बहादुर इन सब घटना से परेशान थे तभी उनके दूर के रिश्तेदार उनके घर आये | वे दिल्ली में ही थोड़ी दूर पर रहते थे | उनका नाम विशन चंद था और वो एक स्कूल में पढ़ाते थे | वो बच्चो के मानसिकता से वाकिफ थे | उनसे रंग बहादुर ने बच्ची शांति देवी के बारे में चर्चा कि तो उन्हें भी सुनकर आश्चर्य हुआ |

वे भी उस बच्ची को अकेले में ले जा कर पूछ ताछ करने लगे | उन्होंने उससे कहा – अगर तुम ठीक ठीक अपने पति का नाम बता दोगी तो हम तुम्हे वहाँ मथुरा ले जा सकते है |
मथुरा जाने के लालच में शांति ने अपने पति का नाम बता दिया | उसने कहा – मेरे पति का नाम केदार नाथ चौबे है और मुथुरा में सब लोग मुझे चौबाइन कह कर बुलाते थे |
उसने यह भी कहा कि ठीक घर के सामने ही द्वारिकाधीश मंदिर है, और कुछ दुरी पर ही मेरा दूकान भी है — चौबे स्टोर |
विशन चंद ने एक चिट्टी केदार नाथ चौबे के नाम से लिखी , जिसमे उन्होंने पूरी घटना का वर्णन किया और यह भी लिखा कि यह बच्ची आपको अपना पति बताती है ? चिट्ठी को शांति के बताये पते पर लिख कर पोस्ट कर दिया |
जब केदार नाथ चौबे ने चिट्ठी में लिखी सारी बातें पढ़ी तो वे हैरान हो जाते है, क्योंकि उसमे लिखी सारी जानकारी बिलकुल सच थी |
लेकिन लुगदी के मरने के बाद चौबे जी ने तीसरी शादी कर ली थी और ऐसे घटना के बारे में जान कर उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे ?
फिर वे घर वालों से विचार विमर्श कर अपने छोटे भाई को वहाँ सच्चाई जानने के लिए भेजते है |
उनका भाई कांजी लाल मथुरा से दिल्ली आते है और विशन चंद से भेंट करते है | बिशन चंद उसे लेकर शांति के पास आते है और उससे कहते है — शांति , देखो तुम्हारा पति केदार नाथ चौबे आ गया है, क्या तुम इन्हें पहचानती हो ?
कांजी लाल को देख कर वो शर्मा जाती है और धीरे से कहती है ये मेरे पति नहीं है, ये तो उनके छोटे भाई है | उसकी बातें सुन कर सारे घर वाले चौक उठते है |
कांजी लाल भी हैरान थे क्योकि शांति ने जो कुछ भी घर के बारे में और वहाँ के लोगों के बारे में बताया वो बिलकुल सही था | उसे तो लगा यह लुगदी ही है |
वो वापस मथुरा आ कर हकीकत बयां करते है तो घर के सभी लोग के साथ साथ चौबे जी भी हैरान हो जाते है |

केदार नाथ चौबे दुसरे दिन ही अपनी माँ और बेटे नवनीत को लेकर शांति के घर पहुँच जाते है| फिर विशन चंद केदार नाथ चौबे को शांति के सामने खड़ा कर कहते है …ये है तुम्हारे पति के बड़े भाई , क्या तुम इन्हें पहचानती हो ?
शांति देवी केदार नाथ को देखते ही शरमा कर नज़रें नीची कर लेती है और कहती है , यही हमारे पति है, यही केदार नाथ चौबे है और मैं इनकी चौबाइन | फिर उनकी माँ को देख कर कहती है कि ये मेरी सास है, इतना कह कर उनके पैर भी छूतीं है |
नवनीत की ओर देख कर कहती है कि यह मेरा बेटा है | यह सब देख कर वहाँ उपस्थित सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते है | फिर चौबे जी ने शांति से सवाल किया … इस बच्चे के जन्म के बाद तुम ने इसे एक बार देखा होगा और यह बच्चा अब १० साल का हो गया है, फिर तुमने इसे कैसे पहचाना ?
मैं माँ हूँ इस बच्चे का, माँ हजारो बच्चो में अपने बच्चे को पहचान लेगी ? बच्चा १० साल का और शांति खुद 7 साल की और उसके मुँह से इस तरह की बारें सुन कर सभी लोग भौचक्के हो उसे बस देखते रहते है |
तब चौबे जी शांति को अकेले कमरे में ले जाते है और वो सब बाते पूछते है जो उनके और लुगदी के बीच हुई थी | शांति ने उन सभी सवालों का सही जबाब दिया और इतना ही नहीं , शांति ने चौबे जी से ही प्रश्न कर दिया…आपने तो मुझसे वादा किया था कि आप कभी तीसरी शादी नहीं करेंगे , फिर आपने वादा क्यों तोडा ?
चौबे जी को कोई जबाब देते नहीं बना, क्योंकि शांति का सवाल वाजिब था |
खैर रात होने वाली थी इसलिए खाना खा कर वे लोग अपने घर मथुरा जाने को तैयार होते है तो शांति भी साथ जाने की जिद करने लगती है | किसी तरह उसे समझा बुझा कर चौबे जी अपनी माँ और बेटे के साथ मथुरा लौट आते है |

मथुरा आने पर यह कहानी वहाँ चर्चा का विषय बन जाती है और एक समाचार पत्र में प्रकाशित हो जाती है | फिर इस कहानी को देश ही नहीं सारी दुनिया में पुनर्जन्म की कहानी के रूप में प्रस्तुत की जाती है |
संयोग से यह कहानी उस वक़्त महात्मा गाँधी के कानो तक भी पहुँचती है | इसके बाद गाँधी जी ने शांति को अपने आश्रम में बुलवाया और उसके मुँह से पूरी कहानी सुनते है तो उन्हें भी आश्चर्य होता है |
उन्होंने भी अपने स्तर से इसकी जांच पड़ताल करवाई और कुछ लोगों के साथ शांति को मथुरा भेजने का फैसला किया गया | ट्रेन द्वारा कुछ लोगो के साथ शांति दिल्ली से मथुरा स्टेशन आती है | स्टेशन पर एक तांगा किया जाता है और शांति को उस घर तक पहुँचने के रास्ते बतलाने को कहा गया |
शांति ने बिलकुल सही रास्ता बताया और तांगा ठीक चौबे जी के दरवाजे पर खड़ी हो गयी | हालाँकि शांति पैदा होने के बाद पहली बार मथुरा आई थी | घर में पहुँच कर सभी सदस्यों की सही सही पहचान कर देती है |
फिर घर के दूसरी मंजिल पर पहुँचती है जहाँ लुगदी के रूप में रहती थी | वहाँ अपना पुराना गुल्लक भी पहचान लेती है , जिसमे १२५ रूपये आज भी जमा थे | इस तरह काफी छान बीन करने के बाद सभी लोग इस नतीजे पर पहुंचे कि शांति देवी की पुनर्जन्म वाली बात सही है |
हालाँकि शांति को लेकर उसके घर वाले वापस दिल्ली आ जाते है क्योकि चौबे जी का अपना पूरा परिवार था उनकी तीसरी पत्नी थी | वहाँ सात साल की बच्ची को बुजुर्ग चौबे जी की पत्नी के रूप में रहना संभव नहीं था .|
समय बीतता है और शांति बड़ी हो जाती है | उसे महसूस होता है कि मथुरा में अपने ससुराल में रहना संभव नहीं है , फिर भी वह चौबे जी को ही अपना पति मानती है |
लोगों ने उसे शादी कर अपना घर बसाने को भी कहा | लेकिन वह तैयार न हुई क्योकि किसी और को पति मानना उसका दिल गवारा ही नहीं किया | उसके बाद शांति अपने ज़िन्दगी को समाज सेवा और पूजा पाठ में लगा दिया और आजीवन शादी नहीं की |
अंत में ६५ साल की उम्र में उसने अपने शरीर का त्याग किया फिर उसके अगले जन्म के बारे में और कोई कहानी सामने नहीं आई |
अंत में यह आप पर निर्भर है कि आप इस पुनर्जन्म वाली कहानी किस रूप में लेते है, इस पर विश्वास करते है या नहीं….. आप अपने विचार ज़रूर लिखें |
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Categories: story
अद्भुत !!
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जी , बहुत बहुत धन्यवाद सर जी |
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Very nice story
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Yes dear,
This is nice and real story..
Thanks for your stay..
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Amazing but i believe in rebirth.
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Yes, there are so many stories about rebirth..
I am still confused about
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Yeah.I know and I believe in theory of Rebirth according the Hindu rituals and customs.
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Some incidents are such that after reading we feel
like believing in reincarnation.
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Yeah.true.
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Thanks for sharing your thought..
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Most welcome,dear!!🌷
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Stay Blessed..
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As a hindu you have to believe in incarnation if you believe in karma according to which we are punished/rewarded for what we did in our previous life. And God punishes us by giving us birth/body and if you have body you will have pain and sorrows. That’s part of life and rebirth or reincarnation.
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Very well said Sir,,
All these are to be believed even in this scientific era,
Sometimes the science has no answer to something like karma .
Thanks for sharing your views..
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Very nice story.
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Yes dear, this is very interesting but true incidence ..
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But true.
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Yes dear..
This is true story ..
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Most welcome,dear🌷
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stay blessed..
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Same to you.bless you.😊
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कैसी है जिन्दगी और अन्य कवितायें बहुत सुन्दर हैं।आपका ब्लाॅग अद्भुत है।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
मैंने आपके ब्लॉग को भी visit किया | मुझे बहुत पसंद है ,
समय निकाल कर पढूंगा |
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You read your own blog..wonderful.
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Sorry, that was a misprint.
I wanted to say that I have visited your Blog Post .
I like your articles very much..
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Thanks and most welcome,dear!!🌷
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Your Blog posts are amazing ..
I love your Blog post..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Patience is not about the ability to wait,
but the ability to keep a good attitude while waiting…
Be happy…Be healthy…Be alive..
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अति उत्तम
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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Thank you dear..
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