हेल्लो फ्रेंड्स ,
जब मेरी पोस्टिंग राजस्थान के गाँव में हुई थी तो उस समय मैं बहुत घबडाया था | जी हाँ, यह बात है १९८५ की | मेरे दिमाग में राजस्थान की जो तस्वीर थी उसके अनुसार वहाँ रेगिस्तनी इलाका होगा | जहाँ रेत वाली रास्ते होने के कारण लोग वहाँ ऊंट की सवारी करते होंगे , वगैरह |
लेकिन जब मैंने पहली शाखा रेवदर ज्वाइन किया तो मन को थोड़ी राहत मिली कि चलो यह इलाका वैसा नहीं है जैसा हमने सुन रखा था | इस इलाके की मिटटी बहुत अच्छी थी और यहाँ का मुख्य फसल .. जीरा, कपास और सौफ थी | जो मेरे लिए कौतुहल का विषय था , क्योकि हमारे यहाँ तो धान और गेहूं की फसल हुआ करती थी |
एक दिन की बात है कि मैं शाखा की जीप से इंस्पेक्शन करने निकला | गर्मी का दिन था तो पसीने के कारण थकान भी जल्दी आ जाती थी |
मैं अपनी पहली शाखा रेवदर में ज्वाइन करने के बाद पहली बार मैं फील्ड विजिट के लिए निकला था | कच्ची पगडण्डी में हमारी जीप चली जा रही थी | मेरे ड्राईवर शंकर लाल भी मस्त मौला था |
कुछ दूर चलने के बाद पगडण्डी के दोनों तरफ सौफ की फसल खड़ी नज़र आयी | उनमे सौफ के दाने भी आ चुके थे | हमारे आस पास सौफ की खुशबू बिखर रही थी | सच बताऊँ तो सामने का दृश्य बहुत मनोरम दिख रहा था | चारो तरफ हरियाली और सौफ के पौधे खड़े थे |
मैंने जीप को वहाँ रुकवा दी | मैं जीप से उतर कर सौफ के खेत में घुस गया और सौफ की बाली को तोड़ कर खाने लगा, बहुत ही स्वादिस्ट था | मैंने कुछ बालियाँ तोड़ कर अपने पास रख ली | फिर हमारी जीप आगे मंदार गाँव की ओर चल पड़ी |
गाँव पहुँचने में अभी देरी थी लेकिन मुझे प्यास लग रही थी | कुछ दूर ही चला था कि एक झोपडी दिखा | ड्राईवर से जब पूछा तो उसने बताया कि वह चाय की दुकान है | गाँव की दूकान कच्ची झोपडी में ही होती है |
मैंने कहा – आप वहाँ जीप रोकिये मुझे चाय पीने की इच्छा हो रही है |
वहाँ मैंने पानी पीकर प्यास बुझाई और फिर चाय पीकर गर्मी के कारण हुई थकान को मिटाने की कोशिश करने लगा |
चाय का स्वाद मुझे कुछ अलग तरह का महसूस हुआ | मैंने ड्राईवर शंकर लाल से कहा – मैंने आज तक इतनी स्वादिस्ट चाय नहीं पी है | इस छोटे से गाँव में शुद्ध दूध का बढ़िया चाय है यह |
उसने मेरी ओर देख कर पूछा – क्या आप जानते है,, यह किस दूध का चाय है ?
मैंने कहा .. गाय के दूध का होगा |
ड्राईवर हँसते हुए बोला – साहब जी, यह ऊंट के दूध का चाय है | यहाँ चाय के लिए ऊंट का दूध का इस्तेमाल होता है |
मैं उनकी बातें सुन कर भौचक्का रह गया | मैंने ज़िन्दगी में पहली बार ऊंट के दूध का चाय पिया और वो मुझे बहुत स्वादिस्ट लगी |
कुछ ही देर में मंदार गाँव पहुँच गया जहाँ एक ट्रेक्टर लोन का निरिक्षण करना था | मैं निरिक्षण कर वापस चलने को था तभी पकिया रेवारी मिल गया | उसने हाथ जोड़ कर कहा – मुझे भी ऊंट के लिए लोन लेना है |
मैंने पहले कभीं ऊंट के लिए ऋण नहीं दिया था | लेकिन अब ऊंट में मेरी दिलचस्पी बढ़ गयी थी, क्योकि शंकर ड्राईवर रास्ते में बहुत सारी जानकारी ऊंट के बारे में दी थी |
मैंने पकिया से कहा – मैं तो पहले कभी ऊंट के लिए लोन नहीं दिया है |
उसने कहा –मैं रेबारी जाति का हूँ और मैंने पहले से पांच ऊंट और कुछ भेड़ और बकरियाँ पाल रखे है , आप मेरे झोपड़े में भी पधारो |
मैं उत्सुकता वश उसके घर की ओर चल दिया | मैं उसके घर पहुँचा तो देखा घर के पास ही जानवरों का एक बाड़ा है जिसमे ऊंट खड़े थे |
उसने वही चारपाई लगा दी और दौड़ कर लोटा में जल लेकर आया | मैं पानी पीकर उसे बातें करने लगा |
उसने बताया कि यह जानवर 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है यही वजह है कि अब भीं रेतीले और रेगिस्तानी इलाकों में रहने वाले लोग एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए और अपने सामान को ढोने के लिए इसी जानवर का सहारा लेते हैं |
वैसे तो ऊँट बहुत ही शांत स्वभाव का होता है लेकिन जब कभी इस शर्मीले जानवर को गुस्सा आता है तो इसे संभालना बहुत मुश्किल होता है | जब कभी इस जानवर को गुस्सा आता है तो यह अपने मुंह से गहरे हरे रंग का एक झाग निकालना शुरू कर देता है और यकीन मानिए अगर कभी आप ऊंट के मुंह से निकलने वाले इस झाग को देख लेंगे तो डर के मारे आपका शरीर काँप जाएगा |
यह दृश्य देखने में बहुत ज्यादा डरावना होता है यही वजह है जब ऊंट को गुस्सा आता है तो लोग उस समय उसके पास जाने से डरते है |
पकिया ने एक और बात बताई जिसे सुनकर एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ | उसने बताया कि कभी कभी ऊँट को एक ऐसी अजीबो – गरीब बीमारी हो जाती है,| इस बीमारी के कारण उसके शरीर में एक जहर बनने लगता है | अगर इसका सही वक्त पर अगर इलाज ना किया जाए तो ऊंट की मौत हो जाती है।
इस बीमारी से बचाने के लिए ऊंट को जहरीला सांप खिला देते हैं और कई बार ऐसा होता है जब वह खुद ही इस जहरीले सांपों को खा लेता हैं।
सांप के जहर के असर से पहले तो ऊंट बीमार हो जाते हैं और कुछ दिनों तक खाना पीना त्याग देते है और चुप चाप पड़ा रहता है | जैसे ही सांप के जहर का असर खत्म होता है तो ऊंट को बहुत जबरदस्त भूख और प्यास लगती है ।
इसके बाद यह ऊंट बहुत सारी पानी पी जाता है लेकिन फिर भी इस की प्यास नहीं बुझती और बार बार पानी पीता है | और कुछ ही दिनों के बाद उसकी बीमारी पूरी तरह से खत्म हो जाती है। जिसके बाद यह एकदम से तंदुरुस्त हो जाता हैं।
जी हां, इस बीमारी के कारण ऊंट कभी-कभी खुद ही सांप को खा जाता हैं और आपको बता दें कि ऊंट जब जहरीले सांपों को खाता है तो उस वक्त उसकी आंखों से आंसू निकलते हैं | हमलोग उसकी आंखों से निकलने वाले आंसुओं को इकट्ठा कर लेते हैं |
आपको जानकर हैरानी होगी कि इन आंसुओं की बहुत अधिक कीमत मिलती है क्योंकि उनका इस्तेमाल सांपों के जहर का एंटीडोट तैयार करने में किया जाता है ।
वैसे ऊंट एक बहुत ही उपयोगी और निराला जानवर है । इसका दूध बहुत कीमती होता है और यह बहुत दिनों तक बिना पानी पिए भी जीवित रह सकता है ।
उसकी बातों का सिलसिला जैसे ख़त्म ही नहीं हो रहा था लेकिन हमें शाखा में लंच से पहले वापस पहुँचना था , इसलिए हमने पकिया से हाथ जोड़ कर इज़ाज़त लिया | ..आगे की बातें अगले ब्लॉग में बताऊंगा |
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Categories: मेरे संस्मरण
मजेदार एवं नई जानकारियों से युक्त।पढ़ कर अच्छा लगा।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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Good information. I had seen a video. The disease is called Hayam. I think it has got some mention in Qur’an too.
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Yes sir, that is true .
I don’t have idea about Qur’an..
Thank you Sir for this information..
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Very interesting facts about Camel.Good information through your nice presentation.
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Thank you dear,
Yes, these are the interesting facts we should know..
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Fascinating information.
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Yes dear,
That is very interesting and we should know the facts..
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Your blogs contain interesting information which even I was not aware of
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Thank you Sir,
These are interesting facts sir, which I want to share .
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Respect your Body when it is asking you for a Break,
Respect your Mind when it is seeking Rest,
Honor yourself when you need a moment for Yourself.
Stay happy…Stay healthy..
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