# कैसे हो तुम ?

कभी – कभी हमारा मन उदास हो जाता है , इसके बहुत से कारण हो सकते है | कभी कोई पुराना जख्म हमारे  दिल पर दस्तक दे देता है या  कभी कभी कोई टूटे रिश्ते की कसक हमें  झकझोर देती हैं।

ऐसे में कभी – कभी कुछ लिख कर सोशल मीडिया पर पोस्ट हो जाता है और फिर किसी दोस्त का कॉल आ जाता है … हेल्लो विजय, सब कुछ ठीक तो है ना ?

उन्ही वेदनाओं को परिभाषित करती यह आज की कविता है …

अचानक किसी ने पूछा

हेल्लो विजय ..

कैसे हो तुम..?

तुम पहले जैसे नहीं दीखते

अब खुल कर हँसा नहीं करते ,

नहीं मित्र,

मैं बिलकुल ठीक हूँ

और पहले मैं  जैसा था

आज भी वैसा ही हूँ |

कुछ कुछ खुश  .

कुछ कुछ उदास

कभी देखता तारे

कभी देखता ख्वाब |

लाख टूटे सपने

पर टुटा नहीं है आस

बनेगे  बिगड़े काम सभी

ऐसा मन में है विश्वास |

चाहता था मैं उड़ना

ख्वाबो के पंख लगा कर

किस्मत ने रुलाया

 हकीकत मुझे  बता कर |

अब न उड़ने की ख़ुशी

और न ही गिरने का डर

सुख में खुश होता नहीं

दुःख में अब मैं रोता नहीं |

(विजय वर्मा)

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Categories: kavita

22 replies

  1. सुन्दर पंक्तियां 👌

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  2. हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..|

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  3. बेहद उम्दा💕

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  4. अच्छी कविता।

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद /

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  6. वाह, सुख में खुश नहीं तो गम में दुःख नहीं… बहुत अच्छे…

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  7. सुख दुखऔर दर्द समय और परिस्थितियों का खेल होता है। वक्त के माधुर्य और कड़वाहट ही हमें सुख दुख के बोध कराते हैं। परिस्थितियों से समझौता एक विवेकपूर्ण निर्णय होता है। कविता भावपूर्ण है।
    :– मोहन”मधुर”

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    • वाह , क्या बात कही है ..वक़्त से समझौता करना विवेकपूर्ण निर्णय होता है |
      मेरी कविताओं को तुम्हारा आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है …
      बहुत बहुत धन्यवाद |

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  8. Bahut sundar kavita.

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  9. बहुत ही सुंदर पंक्तियां

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  10. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    मुस्कान और मदद, ये दो ऐसे है,
    जिन्हें जितना अधिक, आप दूसरों पर छिड़केंगे
    उतने ही सुगन्धित आप स्वयं होंगे …

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