
लोग सही कहते है कि अगर ज़िन्दगी में चैलेंज (challenge) नहीं तो ज़िन्दगी को जीने का मज़ा ही क्या है |
कुछ लोग जीवन में आने वाले अवरोधों को समस्या मान कर डर जाते है और वो अपनी ज़िन्दगी डर डर कर जीते है, दूसरी तरफ अगर किसी भी अवरोध को अगर चैलेंज के रूप में हमारा मन ग्रहण करता है तो फिर उसका सामना पुरे शक्ति के साथ करता है और उसका समाधान भी पा लेता है |
यहाँ मैं एक कहानी का ज़िक्र करना चाहता हूँ, मुझे पूरा यकीन है इससे कुछ न कुछ हम सीख ग्रहण कर सकेंगे |
यह सच है कि हमें सकारात्मक सोच और मजबूत मनःस्थिति की आज जितनी ज़रुरत है शायद पहले कभी नहीं थी |
आज कल हम सब एक चुनौती भरे दिनों से गुज़र रहे है | कोरोनाकाल के ऐसे माहौल को एक चैलेंज के रूप में लेना होगा और उसका समाधान ढूंढना होगा |
इसी के सन्दर्भ में एक कहानी यहाँ प्रस्तुत है |
जापान के एक छोटे से गाँव में एक फ़क़ीर ठहरा हुआ था | देखने में जवान और सुन्दर तो था ही, साथ ही साथ उसकी कीर्ति बहुत थी | वह लोगो के समस्याओं का पलक झपकते ही समाधान कर देता था | तभी तो गाँव वाले उसे बहुत सम्मान और आदर देते थे, उसे भगवान् की तरह मानते थे |

लेकिन एक दिन स्थिति बदल गयी | वही गाँव वाले हाथ में डंडे और पत्थर लेकर उस फ़क़ीर के पास आ धमके | सारे गाँव के लोग उसके विरोध में हो गए थे | इसलिए गाँव के लोग उसके झोपड़े पर टूट पड़े | उसके झोपड़े तोड़ डाले, उसमे आग लगा दी और उस फ़क़ीर को पत्थर से मारने लगे |
वो फ़क़ीर इस घटना से हक्का बक्का होकर उन लोगों से पूछने लगा … अरे, आप लोग मेरे साथ अचानक आज ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे है ? मेरा कुसूर तो कोई बताओ ?
तभी उस भीड़ से एक आदमी एक बच्चे को गोद में लिए प्रकट हुआ और उस बच्चे को फ़क़ीर की गोद में पटकते हुए जोर जोर से चिल्ला कर कहने लगा — गाँव की एक लड़की को यह बच्चा पैदा हुआ है और उस लड़की का कहना है कि इस बच्चे के बाप तुम हो …यह बच्चा तुम्हारा है |
हमसे तो बड़ी भूल हुई कि तुम्हे इतना सम्मान दिया, तुम्हे देवता का दर्ज़ा दिया | यहाँ तक कि तुम्हारे रहने के लिए यह झोपड़ा बनाया और तुम्हारे भोजन की व्यवस्था की |
तुम ऐसे चरित्रहीन सिद्ध होगे हमने कभी सपने में भी सोचा नहीं था | यह बेटा तुम्हारा है |
तभी बच्चा जोर जोर से रोने लगा तो फ़क़ीर उस बच्चे को चुप कराने लगा | और फ़क़ीर ने उनलोगों से कहा — अगर इतने सारे लोग मिल कर यह कह रहे है कि यह मेरा बेटा है तो आप लोग ठीक ही कह रहे होंगे | वह उस छोटे से नन्हे बच्चे को प्यार से निहारने लगा |
गाँव वाले उस फ़क़ीर के झोपड़े को जला कर और उसके सामान को फेक – फाक कर गलियां देते हुए वापस लौट गए |
दोपहर का समय होने को आया , तो फ़क़ीर उस गाँव में भिक्षा मांगने निकला | उसके गोद में वो नन्हा बच्चा भी था |
शायद कोई फ़क़ीर इतना छोटा बच्चा को लेकर गाँव में इस तरह भिक्षा मांगने पहले कभी नहीं निकला होगा |
वो छोटा सा बच्चा भूख के मारे रो रहा था | फ़क़ीर उस गाँव के दरवाजे – दरवाजे घूम कर भीख मांग रहा था , लेकिन उसे कोई भी भिक्षा देने को तैयार नहीं था |.

वे लोग उसे नफरत भरी निगाहों से देखते और उसके सामने अपने घर के दरवाजे बंद कर लेते थे | कुछ लोग तो उसके ऊपर पत्थर भी फेंकते थे | वह किसी तरह उस नन्हे से बच्चे को बचते -बचाते हुए उस घर के दरवाजे पर जा पहुंचा जहाँ उस बच्चे की माँ अन्दर थी |
फ़क़ीर उस घर के दरवाजे पर भी पहुँच कर चिल्लाता हुआ कहा — चाहे तुम लोग मुझे खाना मत दो परन्तु इस बच्चे पर तरस खाओ, यह भूख से बिलख बिलख कर रो रहा है , इसे कोई तो दूध पिला दो |
मानता हूँ कि मैं तुम्हारा कुसूरवार हूँ लेकिन इसमें इस बच्चे का क्या कुसूर , जो इसे भूख मिटाने को थोड़ी सी दूध ना मिले ?
भीड़ उस दरवाजे पर लगी थी और सब लोग तमाशा देख रहे थे | तभी उस बच्चे की रोने की आवाज़ सुन कर उस घर के अन्दर बैठी बच्चे की माँ का ह्रदय पिघल गया |
वो बच्चे की बिलखती आवाज़ को सुन कर अपने को रोक न सकी और वो दौड़ कर अपने बाप का पैर पकड़ लेती है, और कहती है – पिता जी, मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी | उस बच्चे का बाप वो फ़क़ीर नहीं है बल्कि कोई और है |
मैं उसे ही बचाने के चक्कर में इस फ़क़ीर का नाम झूठ से ले लिया था | मैं तो इस फ़क़ीर को जानती भी नहीं | मैंने तो सोचा था कि थोड़ी बहुत गाली – गलौज कर के आप वापस लौट आयेंगे, बात इतनी बढ़ जाएगी मैंने सोचा न था | मुझे क्षमा कर दें पिताजी |
बाप अपने बेटी की बात सुन कर हैरान रह गया | वह जिस फ़क़ीर से इतनी नफरत करने लगा था वो तो बिलकुल निर्दोष था |

वह दौड़ कर घर का दरवाज़ा खोल कर बाहर आ गया और उस फ़क़ीर के पैर पर गिर गया |
मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी , आप को इतनी कष्ट मैंने दी | वह इतना बोल कर उस बच्चे को फ़क़ीर की गोद से लेने लगा |
इस पर फ़क़ीर ने पूछा — बात क्या है ? आप मेरे बेटे को छीन क्यों रहे हो ?
उस लड़की के बाप ने कहा – यह आप का बेटा नहीं है | हमसे बड़ी भूल हो गयी जो आप पर गलत इल्जाम लगा दिया | सच तो यही है कि इस बच्चे का बाप कोई और है |
फ़क़ीर ने उसकी बात सुन कर कहा — यह तुम क्या कह रहे हो ? यह बच्चा मेरा नहीं है ?
लेकिन अभी सुबह ही तो तुमने कहा था कि यह बच्चा मेरा है |
इस पर सारे गाँव के लोग मिल कर कहने लगे — अरे फ़क़ीर , तुम पागल हो क्या ? ..
तुम सुबह ही क्यों नहीं कहा कि तुम इस बच्चे के बाप नहीं हो |
फ़क़ीर ने मुस्कुरा कर कहा – क्या फर्क पड़ता है कि बच्चा किसका है ? किसी न किसी का तो होगा ही |
और जब इतने सारे लोग मिल कर कह रहे थे तो ठीक ही कहते होगे |
एक झोपड़ा तो तुमने जला ही दिया था , एक आदमी को गालियाँ दे ही चुके थे |
अगर मैं कहता कि यह मेरा बच्चा नहीं है तो तुमलोग एक और झोपड़ा जला देते , एक और आदमी को गालियाँ निकालते |
वे लोग हाथ जोड़ कर पूछा — क्या , तुम्हे अपने सम्मान की फिक्र नहीं थी ?
उस फ़क़ीर ने हंस कर उत्तर दिया — जिस दिन से मुझे यह दिखाई पड़ गया कि जो बाहर है वो सब सपना है, उस दिन से सम्मान और अपमान में कोई फर्क नहीं रह गया | उस दिन से हमारे लिए सब बराबर है |
सपने में सम्मान और अपमान में क्या फर्क हो सकता है ? हाँ, अगर असलियत हो तो फर्क हो सकता है | असलियत न हो तो क्या फर्क है | इतना कह कर उस बच्चे को उसकी माँ को सौप कर फ़क़ीर उस गाँव से न जाने कहाँ चला गया |
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Categories: motivational
Very nice
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अच्छी एवम शिक्षाप्रद कहानी
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर /
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Story is an example. It is presented in nice way to understand the reality in our daily life.
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Yes dear ,
That represents the reality of Life , we are
facing in present situations..
Thanks for sharing your views..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
I have not seen anyone dying of laughter, but
I know millions who are dying just because
they are not laughing ..
Stay happy…Stay alive….
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बहुत सुंदर कथा।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
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थैंक यू डिअर |
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