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कहानियाँ ज़रूर सुननी चाहिए | पता नहीं कौन सी कहानी की सीख हमारे जीवन की दशा और दिशा दोनों को ही बदल दे | आइये ऐसी ही एक कहानी की बात करते है …
एक समय की बात है | गंगा नदी के किनारे एक पीपल का बड़ा सा पेड़ था और मैं उस पेड़ के नीचे बैठ कर पुरे वेग से बहती गंगा नदी को देख रहा था | उस ठंडी हवा के बयार का मजा ले रहा था | मन को सुकून और दिल को ठंडक महसूस हो रहा था | उस असीम शांति में मेरी आँखें बंद हो रही थी |
इतने में देखा कि उस पीपल के पेड़ से दो पत्ते टूट कर नदी में गिर पड़े |
पीपल का एक पत्ता तिरछा गिरा और दूसरा पत्ता बिलकुल सीधा |
जो पत्ता तिरछा गिरा था वो थोडा अलग और जिद्दी सा दिख रहा था |
वह अपने जिद पर अड़ गया और कहने लगा – चाहे जो हो जाए, आज मैं इस नदी को बहने से रोक कर ही रहूँगा, इसमें चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए |
मैं इस धारा को आगे नहीं बढ़ने दूंगा | वो जोर जोर से चिल्लाने लगा — रुक जा गंगा | अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती | मैं तुझे यही रोक दूंगा |

लेकिन नदी जो थी, वो तो अपने मस्ती के वेग में बहती चली जा रही थी | उसे तो पता भी नहीं था कि कोई एक साधारण सा पीपल का पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है |
कुछ समय बाद, उस पत्ते की जान पर बन आई थी | वो लगातार संघर्ष कर रहा था | उसे तो इस बात का एहसास ही नहीं था कि वह बिना लड़े भी वही पहुंचेगा जहाँ लड़ कर, थक हार कर पहुचेंगा |
लेकिन अब और तब के बीच का समय उसके लिए दुःख और संताप का समय बन चूका था | संघर्ष भी कर रहा था और दुखी भी था, क्योकि कामयाबी तो मिल ही नहीं सकती थी | इस बात से वह वाकिफ था |
दूसरी तरफ, वो पीपल का पत्ता जो सीधा गिरा था, वह तो नदी के प्रवाह के साथ बड़े मजे से बहता चला जा रहा था |
वह मस्ती में पानी के ऊपर उसके साथ बहता जा रहा था और कहता जा रहा था — चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुँचा के ही दम लूँगा | चाहे जो हो जाए मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूंगा | तुझे मैं सागर तक पहुँचा कर ही मानूंगा |
नदी को इस पीपल के पते के बारे में भी कुछ पता नहीं था | वो गंगा तो अपनी धुन में सागर की ओर बढती जा रही थी | लेकिन वो पीपल का पत्ता बहुत खुश था , वह तो यही समझ रहा था कि वही नदी को अपने साथ बहाए ले जा रहा है |

तिरछे पत्ते की तरह सीधा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या न दे, नदी तो वहीँ पहुंचेगी जहाँ उसे पहुँचना है |
पर सीधे पत्ते के लिए अब और तब के बिच का समय सुख और आनंद का समय बन चूका था |
जो पत्ता नदी से लड़ रहा था संघर्ष कर रहा था , उसका जीत पाना संभव नहीं था और जो पत्ता नदी को बहाए जा रहा था उसकी हार की सम्भावना नहीं थी |
तभी मैं चौक कर उठ गया | मेरी आँखे नींद से अब खुल चुकी था | गंगा नदी अभी भी अपने मौजो में बह रही थी और शीतल हवा का अभी भी एहसास हो रहा था |
लेकिन वे दोनों पीपल के पत्ते न जाने कहाँ बह कर चले गए थे लेकिन उन्होंने मेरे लिए एक सन्देश ज़रूर छोड़ गए |
मैं उन बातों को याद कर मन ही मन कहा —
सचमुच , जिस दिन हम अपने अन्दर के उपजे मतभेद से छुटकारा पा लेते है, उसी दिन खुशियाँ हमारा पता ढूंढ लेती है |
यह जो निरन्तर हम लड़ते जा रहे है हर चीज़ से– दुनिया से, प्रकृति से , समय से, यही हमारी ख़ुशी में बाधक है | यही सच्चाई है |

एक बार अपने अन्दर के और बाहर की लड़ाई छोड़ कर देखें, शायद हम अपनी बेहतर ज़िन्दगी जीना शुरू कर देंगे |
हाँ, लड़ना छोड़ने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप अपने सपनो के लिए संघर्ष करना छोड़ दे | बस उन चीजों पर अपनी उर्जा और अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए जिसे आप बदल ही नहीं सकते |
मतलब लोगों को बदलने के बजाये खुद को बदल लें |
एक ही तो ज़िन्दगी है हमारे पास और वक़्त भी सिमित है | हमें अपनी प्राथमिकता तय कर लेनी चाहिए और उसी के अनुसार ज़िन्दगी में आगे बढ़ना चाहिए |
अगर हम हर लड़ाई में कूद पड़ेंगे तो हम कोई भी लड़ाई नहीं जीत पाएंगे |
पहले हमें अपनी लड़ाई तय करनी होगी, फिर उसे योजना बना कर ही उस पर फतह कर सकते है, ……………… यही जीवन जीने का मूल मंत्र है |

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Categories: story
नमस्ते जी, 🙏
बहुत ही शानदार कहानी है …
उम्मीद है ऐसी ही कहानियां लिखो…👏👍👍
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
मेरी कोशिश जारी है | आपके हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया |
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Bahut Badhia. Jindegj ek sangharsa hai.Jab tak jindegj rahegi, sangharsa rahega. Geet Bahut achha.
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Thank you sir,
Yes, there is a struggle in life.. Thanks for sharing your thoughts..
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शिक्षाप्रद रचना।
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बहुत बहुत धन्यवाद ।
इस कहानी से हमें अच्छी शिक्षा मिलती है ।
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बहुत बहुत धन्यवाद ।
इस कहानी से हमें अच्छी शिक्षा मिलती है ।
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सही बात है, हमारे दंव्द ही हमारे ज्यादातर दुखों का कारण होते है। बहुत अच्छी कहानी के लिए आभार।
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बिलकुल सही कहा है सर ,
हमारे अन्दर चल रहे द्वंद ही हमारे दुखों का कारण है |
आपका बहुत बहुत आभार..|
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🙏🙏
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आप जुड़े रहे |
शुभ रात्रि |
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Very nice
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Nice story with powerful message of not wasting time and energy and missing out on various opportunities that life offers
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Yes Sir,
we should not waste time and energy in
unproductive works . This story has beautiful lesson..
Thanks you sir for sharing your views..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Locks are never manufactured without a key .
Similarly, God never gives problems without solutions.
Only, we need to have patience to unlock them.
Stay happy…Stay blessed..
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Thank you very much..
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