दुनिया की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं है ,
खुद को समझ लीजिये, सब समस्याओं का समाधान हो जायेगा |

आज जब मोर्निंग वाक कर वापस घर लौटा तो पाया कि सुबह – सुबह घर में ढोसा बन रहा है और उसकी खुशबू मुझ तक पहुँच रही है |
ढोसा का स्मरण होते ही अचानक मुझे वो घटना याद आ गई जो बचपन में मेरे साथ घटी थी .| .इसे आप इस तरह समझिये कि बचपन में मेरा ढोसा से परिचय दुर्घटना वश ही हुआ था और उन दुर्घटना को आज भी जब याद करता हूँ तो मेरे चेहरे पर मुस्कराहट बिखर जाती है |
सच, आज जब घर में ढोसा को बनते देखा तो वह दुर्घटना हमें अचानक याद आ गई और मैं बस अपने टेबल पर बैठ कर इस वक़्त उसी के बारे में ब्लॉग लिख कर अपनी उस पुरानी यादों को ताज़ा कर रहा हूँ |
जी हाँ , मैं ढोसा की कहानी लिख रहा हूँ | वैसे तो ढोसा का जन्म साउथ इंडिया में हुआ था…
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