# एक सजा और सही #…21

Never accept the definition of Life from others,
It is your Life, define it yourself..

Retiredकलम

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इलायची की महक ओढ़े

अदरक का श्रृंगार करके सजी थी,

केतली की दहलीज़ से निकल कर

प्याली की डोली में वो बैठी थी

इस भागते हुए वक़्त पर….

कैसे लगाम लगाया जाए

ऐ वक़्त …तू बैठ इधर ,

तुझे एक कप चाय पिलायी जाये |

मैं सुबह – सुबह अकेला  “नन्हकू चाय” की दूकान में बैठ कर चाय पीते हुए सोच रहा था कि …

कभी कभी मनुष्य जो सोचता है वैसा नहीं होता है और जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है वो बात हो जाती है |

 और हम परेशान हो उठते है | सच, कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हो रहा था |

कल की घटना ने इतना परेशान कर दिया है कि आज तो बैंक जाने का इच्छा ही नहीं हो रही थी |

लेकिन कहते है ना कि  ज़िन्दगी है तो परेशानियाँ  रहेगीं ही, और  परेशानी से भागना नहीं बल्कि उसका सामना करना…

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