अच्छे लोगों का स्वभाव गिनती के शुन्य जैसा होता है ,
जैसे शुन्य की कोई कीमत नहीं होती, परन्तु….
शुन्य जिसके साथ होता है , उसकी कीमत बढ़ जाती है |

चिल-चिलाती धूप में सड़क पर है रिक्शा दौड़ता,
किसी अपनों के सपने संजोये है रिक्शा दौड़ाता .
छिपाते हुए अपने मुफलिसी के घावों को
देखो, वो जा रहा अपने गाँव है रिक्शा दौड़ाता…..
कल रात की घटना को याद करके मन सिहर जाता है | ऐसा लग रहा था जैसे रघु काका की आत्मा इस झोपडी में भटकती रही हो | इसलिए अब इस झोपडी में रहने का कोई मतलब ही नहीं है |
यहाँ अब ना तो मेरे पास कोई काम है और ना ही खाने पीने का कोई साधन |
वैसे भी सोहन काका और बहुत से लोग कल ही अपने – अपने गाँव के लिए पैदल ही रवाना हो चुके है |
इन्ही सब बातों को सोचता हुआ आज सुबह ही सुबह कुछ ज़रूरी सामानों को रिक्शे पर लाद कर रस्सी से अच्छी तरह बाँध दिया | ताकि उबड़ खाबड़ रास्ते पर चलने से भी रिक्शे से…
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