# रिक्शावाला की अजीब कहानी #…8

जिस मनुष्य के ह्रदय में सच्ची मानवता हो उसकी सोच हमेशा
यही होगी कि मुझे मिला हुआ दुःख …किसी को ना मिले…
और मुझे मिला हुआ सुख …सबको मिलव….\\

vermavkv's avatarRetiredकलम

कभी कभी ज़िन्दगी में ऐसा मोड़ आ जाता है ..

जहाँ से ना तो “ऑटो” मिलता है और ना “रिक्शा”

बस, हमें पैदल ही चलना पड़ता है …..

 अंजिला को उसके होटल छोड़ कर रघु  काका के झोपडी की ओर वापस चल दिया …उस समय घंटा चौक पर लगी बड़ी घड़ी रात के दस बजा रहे थे |

दिन भर की भाग दौड़ के कारण  मुझे  थकान हो रही थी | मैंने सोचा , काका के पास जाते ही चादर तान कर सो जाऊंगा |

रास्ते में न जाने कैसे – कैसे ख्याल आ रहे थे | सच, आज का दिन मेरे ज़िन्दगी में बड़ा अजीब ही गुजरा था |

रघु काका  का एक्सीडेंट होना और फिर अंजिला द्वारा बड़े ही मनोयोग से उनकी सेवा करना |. यह सब देख कर मैं काफी भावुक हो गया था |

अंजिला के एक और बात से काफी प्रभावित हुआ | वो विदेशी…

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