
कई बार ये ज़िन्दगी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहाँ सच बातें बोल दी जाए तो रिश्ते मर जाते है और अगर दिल में रख ली जाए तो इंसान खुद मर जाता है |
ऐसे हालात में इंसान चुप रहना ही उचित समझता है | चुप रहना यानी मौन रहना एक भावनात्मक नियंत्रण के साथ साथ अभिव्यक्ति भी है।
यह एक भाषा है जिसके माध्यम से अनर्गल विवाद से स्वयं को बचा सकते है । मौन में बहुत शक्ति है |
चुप चुप रहते हो
चुप चुप रहते हो, अब कोई सवाल क्यों नहीं करते,
मेरे रूठने पर, अब कोई बबाल क्यों नहीं करते
माना कि रिटायरमेंट से खालीपन आ जाता है
अब अपनी अधूरी शौक का, इंतजाम क्यों नही करते
ज़िन्दगी में ना जाने कितने काम है अधूरे
उन्हें पूरा करने का..फरमान क्यों नहीं करते,
यह सच है कि शरीर कमजोर हो गए है मगर .
दिल में जो जूनून है, उसका इस्तेमाल क्यों नहीं करते
ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है. यारों .
इसकी खूबसूरती का एहसास क्यों नहीं करते,
अशांत मन, उदास चेहरा रहता हरदम
दोस्तों के साथ मिल कर धमाल क्यों नहीं करते
चुप चुप रहते हो, अब कोई सवाल क्यों नहीं करते,
मेरे रूठने पर, अब कोई बबाल क्यों नहीं करते

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Categories: kavita
Absolute right. Unpleasant truth creates conflict. It is better to remain silent and not to speak unpleasant truth.Nice
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Absolutely correct ..
Silence is the best answer..
Thanks for sharing your thought..
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