वक़्त, दोस्त और रिश्ते ऐसी चीजें हैं,जो मिलती तो मुफ्त में है ,
मगर इसकी कीमत का पता तब चलता है, जब ये कहीं खो जाते है |

राधिका का अनुमान बिलकुल सही निकला | वैसे उसे यह आभास नहीं था कि सोफ़िया उसके संदीप को इतनी जल्दी अपने मोह माया के जाल में फांस लेगी |
उसने राधिका के बारे में भी नहीं सोचा जो उसकी बचपन की सहेली है, कि उसके दिल पर क्या बीतेगी ?
इन सब बातों को सोच कर राधिका के आँखों में आँसू आ गए और वह जैसे ही सोफ़िया के कंपाउंड का गेट पर पहुँची तो देखा … सामने दरवाजे पर ही संदीप और सोफ़िया खड़े है |
सोफिया अपने घर के दरवाजे पर ताला लगा रही थी, शायद वो लोग कही बाहर निकल रहे थे |
राधिका अभी उनलोगों को टोकना उचित नहीं समझा, बल्कि उसका पीछा करके यह पता लगाने का निश्चय किया कि इतना बन – ठन कर संदीप को साथ लेकर वह जादूगरनी कहाँ जा रही है …??
राधिका छुपते छुपाते उनलोगों का पीछा करने लगी |छोटा…
View original post 1,259 more words
Categories: Uncategorized
Leave a comment