मदद करने के लिए धन की नहीं ,
बल्कि अच्छे मन की ज़रुरत होती है ,,,
आँसुओं से लिख रहे है बेबसी की दास्तां
लग रहा है दर्द की तस्वीर बन जायेंगे हम…
बेबसी की दास्तान
आज सुबह – सुबह राजेश्वर दुकान पर गया और कालू को सब काम समझा कर वो सीधे वकील साहब के पास आया |
वकील साहब चैम्बर में ही मिल गए और राजेश्वर को देखते ही बोल पड़े ..आइये राजेश्वर जी, मैं आपका ही इंतज़ार कर रहा था |
राजेश्वर चुपचाप कुर्सी पर बैठ गया,| उसके चेहरे से उदासी साफ़ झलक रही थी | उदास हो भी क्यों नहीं, उसके ना चाहते हुए भी साहूकार ने उसके खेत की खड़ी फसल को काट कर ले गया था | वो असहाय देखता रहा और कुछ भी नहीं कर सका |
वकील साहब इतना तो उपाय करो कि खेत किसी तरह साहूकार के कब्ज़े में ना जा पाए, वर्ना वह उसे कम कीमत पर बेच देगा और उससे अपने क़र्ज़ की पूरी…
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