ख़ुशी से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि से ख़ुशी मिलती है …
परन्तु फर्क बहुत बड़ा है ….ख़ुशी थोड़े समय के लिए संतुष्टि देती है
और संतुष्टि हमेशा के लिए ख़ुशी देती है …
Be happy….Be healthy….Be alive….

मुझे हैरत है मुहब्बत पर मेरी….. ये कैसा मुकाम मेरी ज़िन्दगी में आया
लाकर खड़ा कर दिया दिल ने ऐसे दोराहे पर.. ना आगे बढ़ सका ना पीछे जा पाया …
दोराहे पर खड़ी ज़िन्दगी
सुमन की बात सुनकर रामवती को विश्वास हो चला था कि उसका पति उसे बहुत ज़ल्द मिल जायेगा | उसे तो सुमन के व्यवहार से ऐसा लग रहा था जैसे उसे बहुत पहले से जानती हो |
सुमन के लिए उसके दिल में इज्जत बढ़ गई थी | रामवती, सुबह उठ कर यही सोचते हुए अपना बिस्तर ठीक कर रही थी | तबतक सुमन की भी नींद खुल चुकी थी |
क्या कर रही हो दीदी…सुमन ने आँखें मलते हुए पूछा |
कुछ नहीं, थोडा घर की सफाई कर दूँ ..रामवती हँसते हुए बोली |
तुम रहने दो, मैं कर लुंगी…सुमन ने कहा |
लगता है, तुमने अभी तक मुझे अपना नहीं समझा है…
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