बड़े दौड़ गुज़रे हैं ज़िन्दगी के ,
यह दौड़ भी गुज़र जायेगा …
थाम लो अपने पांव को घरो में ,
यह तूफ़ान भी थम जायेगा …..


मैं तेरी दीवानी
अनजान राहों में मिले थे हम, अजनबी कहानी थी,
दरमियाँ अपने खामोश निगाहें थी, मंजिल अनजानी थी
मैं जान लूँ कुछ तुमको .. ये तो बस बहाना था
मैं तेरी दीवानी थी …. तू मेरा दीवाना था |
मुझे आजकल मैनेजर साहेब की नियत कुछ ठीक नहीं लग रही हैं उनकी यह बराबर कोशिश रहती है कि सुमन को ज्यादा से ज्यादा मुझसे दूर रखा जाये और वो खुद हमेशा कोई ना कोई काम में उलझा कर उसे अपने आस पास रखे |..
वो तो भला हो सेठ जी का कि सुमन को इतना मानते है और भरोसा करते है कि उसे लगातार आगे बढ़ने का मौका देते रहते है और उसे कंपनी का मार्केटिंग हेड बना दिया |
सुमन हाथ में फाइल लिए मैनेजर साहेब के चैम्बर में पहुँची | शायद उस पर कुछ ज़रूरी वार्तालाप करनी थी |
उसी समय सेठ जी ने मुझे…
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