अंजना हैरान – परेशान उस नन्हे से बच्चे को लेकर पास के शहर में स्थित एक अनाथालय में पहुँची | उसे अस्त व्यस्त हालत में देख कर वहाँ की संचालिका ने समझा कि वह कुवांरी माँ बनने के डर से इस बच्चे को यहाँ छोड़ने आई है |
जब उनलोगों ने इस बारे में तहकीकात करने लगे तो अंजना ने तभी एक झूठी कहानी बना कर उनलोगों को सुनाया…..मैं इस बच्चे की अभागिन माँ हूँ | मेरे घर वाले मेरे किए इस पाप के कारण मुझे घर से निकाल दिया है |
मैं बहुत दुखी हूँ और आप के पास बहुत आशा लेकर आयी हूँ | संचालिका बहुत अच्छे स्वभाव की थी | उसे अंजना की स्थिति पर दया आ गई |
उन्होंने अंजना के सिर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा … घबराओ नहीं बेटी, तुम बिलकुल सुरक्षित जगह आई हो | तुम मेरी बेटी समान हो | यहाँ मैं तुम्हारे रहने का पूरा इंतज़ाम कर देती हूँ |
अंजना कुछ ही दिनों में सबकी चहेती बन गई | अंजना पढ़ी लिखी और काफी समझदार थी इसलिए किसी भी काम के फैसले में उसकी राय ली जाने लगी | अंजना को भी वहाँ का माहौल घर जैसा और वहाँ के लोग परिवार जैसे लगने लगे थे |
उस बच्चे की परवरिश सभी लोग मिल कर करने लगे थे | इस अनाथालय में अनाथ बच्चो के साथ साथ बारह औरते भी थी और सभी के ज़िन्दगी की कहानी काफी दर्दनाक थी | वे सभी औरतें पुरुष प्रधान समाज की सताई हुई थी |
इस अनाथालय के लिए donation भी बहुत कम मिल रहे थे , इसलिए यहाँ की आर्थिक स्थिति दयनीय थी |
अंजना ने इस अनाथालय के लिए डोनेशन लाने के लिए काफी कोशिश करने लगी और इसका फायदा भी हुआ | कुछ ही दिनों में चंदे की रकम काफी बढ़ गई और इस तरह अंजना एक तरह से वहाँ के संचालन मंडली की सदस्या हो गई |
उसने संस्था के लिए कुछ सिलाई मशीन की खरीद की और वहाँ बेकार बैठी औरतों को गारमेंट्स बनाने के कामों में लगा दिया | इस तरह इस अनाथालय के लिए पैसों के स्रोत खुल गए और वे औरतें खुश रहने लगी |
देखते ही देखते अंजना काफी लोकप्रिय हो गई और बहुत सारी ऐसी संस्थओं से जुड़ गई जो समाज में दबी – कुचली औरतों के जीवन के उत्थान के लिए काम कर रही थी |
एक दिन अंजना ने उस बच्चे की हकीकत अनाथालय के लोगों को बता दी और कहा …मुझे यह बच्चा एक झाड़ी में पड़ा मिला था | फिर क्या था, सभी लोगों की नज़रों में अंजना महान बन गयी | सब लोगों ने उसकी ऐसे काम के लिए बहुत सराहना की और उस बच्चे की परवरिश की जिम्मेवारी सभी महिलाओं ने मिलकर उठा ली |
अंजना उस बच्चे के देख – भाल से मुक्त होने के बाद अपना सारा समय सामाजिक कामों में देने लगी | और वह काफी व्यस्त रहने लगी | अपने मिहनत और लगन से वह एक ऐसा मुकाम बना चुकी थी कि बहुत सी निजी और सरकारी संस्थाएं उसे सम्मानित करने लगी और एक अच्छे motivational स्पीकर के रूप में उसे काफी ख्याति मिल रही थी |
अंजना की ज़िन्दगी से जुडी सारी घटनाओं को वह कहानीकार कलमबद्ध करता रहा और कितनी ही ऐसे भावनात्मक मौके भी आये जब उसके आँखों से आँसू छलक आये थे |
वह अंजना की संघर्षपूर्ण जीवन की यात्रा को जान कर अनायास ही मन ही मन उससे स्नेह और प्रेम करने लगा |
उसने अंजना की ओर मुखातिब हो कर बोला …आप सचमुच लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है | आप ने अपनी ज़िन्दगी में इतनी तकलीफों का सामना किया, फिर भी आप के चेहरे पर ख़ुशी और चमक को देख कर कोई नहीं कह सकता है कि आप अपने अन्दर समाज और लोगों के प्रति इतनी कटु अनुभव संजोय रखी है |
तभी उस कहानीकार के मन में कुछ प्रश्न उभर आये और उसने पूछ लिया …अंजना जी, क्या आपने अपने हक़ के लिए चाचा-चाची से क़ानूनी लड़ाई नहीं लड़ी ?
अंजना ने हँस कर ज़बाब दिया …जब मैं लोगों के हक़ की बात करती हूँ तो मैं अपने उस हक़ के पैसों को कैसे छोड़ सकती हूँ | अब तो मैं इस स्थिति में आ गई हूँ कि कानूनी लड़ाई लड़ कर उनसे अपने माता पिता के पैसे को वापस प्राप्त कर सकूँ |
इसके लिए मैंने कानूनी नोटिस भेज दी है और उसके बाद की कार्यवाही की शुरुआत करने जा रही हूँ |
फिर उस कहानीकार, राजेश ने अंजना से कहा …मैं चाहता हूँ कि आप इस कहानी को छापने की इज़ाज़त दें ताकि लोगों को इसे पढ़ कर अपने ज़िन्दगी में हिम्मत और हौसला प्राप्त हो |
अंजना ने मुस्कुरा कर कहा ..आपकी कहानी अभी पूरी कहाँ हुई है | थोडा समय और इंतज़ार करें | आपको और भी कुछ घटनाओं के बारे में जानकारी मिलेगी |
इधर चाचा -चाची अंजना द्वारा वकील का नोटिस पाकर काफी चिंतित थे | उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अंजना को कैसे मनाया जाए | इसी उधेड़ – बुन में नोटिस का ज़बाब समय पर नहीं भेजा जा सका |
अंजना के वकील ने नोटिस का ज़बाब नहीं मिलने पर कोर्ट में केस फाइल कर दिया और तुरंत ही कोर्ट द्वारा तत्काल कार्यवाही करते हुए एक निश्चित तारीख पर हाज़िर होने का नोटिस जारी कर दिया .|
आज कोर्ट में काफी गहमा गहमी थी, कुछ पत्रकार लोग भी उपस्थित थे | इसका कारण यह था कि अंजना आजकल काफी चर्चित चेहरा बन चुकी थी ,| पीड़ित महिलाओं की मसीहा बन चुकी थी, आज उसके खुद के साथ हुए नाइंसाफी के लिए कोर्ट में केस लड़ने जा रही थी |
चाचा – चाची पहले से ही कोर्ट में उपस्थित थे और अपने केस की पैरवी के लिए एक वकील भी उनके साथ था |
थोड़ी देर के बाद अंजना भी कोर्ट में दाखिल हुई और सामने ही बैठे चाचा चाची पर उसकी नज़र पड़ी | वह चाचा – चाची के पास जाकर उनके पैर छुए और फिर आकर अपने वकील के साथ दूसरी तरफ बैठ गयी |
सुबह के दस बज रहे थे और उसी समय जज साहब आ कर अपने स्थान ग्रहण कर लिए |
अंजना का केस पहले नंबर पर था इसलिए तुरंत ही कोर्ट की कार्यवाही शुरू हो गई |
अंजना के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा…हमारे मुवक्किल के नाम से पचास लाख रूपये ज़मा था जिसका कस्टोडियन चाचा जी थे | हमारी मुवक्किल अब बालिग हो गई है, इसलिए उन्हें सारा पैसे लौटा दिए जाएँ |
इस पर चाचा पक्ष के वकील ने पैसे देने में असमर्थता जताई और कहा कि अंजना की पढाई लिखाई और उसके परवरिश में काफी पैसे खर्च हो गए |
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जज साहब ने चाचा चाची को एक affidafit फाइल करने का आदेश दिया, जिसमे अंजना पर किये गए तमाम खर्चो का विस्तृत ब्यौरा और ज़मा राशी पर बैंक द्वारा प्रदान की गई व्याज की राशी की जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए …
इस पर चाचा के वकील ने दो महीने का समय माँगा | लेकिन उनकी दलील को कोर्ट ने नहीं माना और कोर्ट ने कहा कि एक महिना के अन्दर ही सारी सूचना एफिडेविट के माध्यम से कोर्ट में जमा कराया जाए | इस तरह कोर्ट ने एक महिना बाद की तारीख दे कर आज की कारवाही समाप्त कर दी |
कोर्ट की कार्यवाही समाप्त होते ही अंजना वहाँ से उठकर चल दी | कोर्ट रूम के बाहर निकलते ही कुछ पत्रकारों के अंजना को घेर लिया और इस केस से जुड़े सवाल पूछने लगे |
इस पर अंजना ने सिर्फ इतना कहा ..अभी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इस बारे में कोई भी चर्चा करने में मैं असमर्थ हूँ |
इतना कह कर वह अपनी गाडी में बैठ कर वहाँ से निकल गयी | अंजना की लोकप्रियता और उसके ठाठ – बाट को देख कर चाची तो जैसे जल – भुन कर रह गयी…(क्रमशः ).
लम्हों की खुली किताब है ज़िन्दगी ,
ख्यालों और सांसो का हिसाब है ज़िन्दगी
कुछ ज़रूरतें पूरी , कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
इन्ही सवालों के ज़वाब है ज़िन्दगी
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Story progressing nicely. Keep writing
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thank you sir. Hope you will enjoy the coming episode also..
Happy diwali sir…
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मत पूछो के मेरा कारोबार क्या है दोस्तों…
मुस्कुराहटों की छोटी सी दुकान है, नफरतों के बाज़ार में |
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