# नमक हराम #….11

बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ

धुप कितनी भी तेज़ हो समंदर नहीं सुखा करते

सत्य की जीत

राजेश्वर  ज्योहिं चैम्बर में घुसा, उसने बड़े वकील साहब के सामने अपने हाथ जोड़ लिए | उसके आँखों से आँसू बह रहे थे  और मुहँ से कोई आवाज़ नहीं निकल पा रही थी, बस वह अपना सिर झुका कर खड़ा था | तभी बड़े वकील साहब अपने कुर्सी से उठ कर राजेश्वर के पास आये और उनके पैर छू कर प्रणाम किया |

 राजेश्वर भौचक रह गया | एक पल के लिए राजेश्वर को विश्वास ही नहीं हुआ कि यह हकीकत है या सपना |

 वो पत्थर के बुत की तरह अपनी जगह खड़ा रहा | तभी बड़े वकील ने राजेश्वर को अपने सामने वाली कुर्सी पर आदर के साथ  बैठाया और पानी  का  गिलास अपनी हाथो से उनको दिया | और छोटे वकील भी राजेश्वर के बगल में बैठ गए |

पानी पिने के बाद, जब राजेश्वर सामान्य हुआ, तब अपने रुंधे गले से बोला …आप क्यों मुझ पर पाप चढ़ा रहे है / आप तो मेरे लिए भगवान् की तरह है | आप ने मेरे केस का फैसला मेरे हक़ में करा कर मुझे नयी ज़िन्दगी और नया भविष्य दिया है …पैर तो मुझे आपके छूने चाहिए |

कुछ देर तक तो शांति रही | फिर बड़े वकील साहब ने कहा ..आप चाहे जो बोले, लेकिन सच बात तो यह है कि आप मेरे लिए भगवान् तुल्य है |

आज मैं जो कुछ भी हूँ, आप की बदौलत  ही हूँ |

मैं कुछ समझा नही…राजेश्वर उनकी ओर आश्चर्य से देखा |

याद कीजिये  वो कालू राम जी के बेटे को …जिनको न केवल आगे पढने और बारिस्टर बनने के लिए प्रोत्साहित किया  था बल्कि उसके कॉलेज में एडमिशन हेतु आपने आर्थिक मदद भी की थी |

Rice farm with farmer’s hut, countryside of Thailand

लॉ कॉलेज में दाखिला होते ही जैसे लगा मेरा सपना सच हो गया हो | मैंने  खूब मिहनत किया और परिणाम स्वरुप मुझे कॉलेज की तरफ से छात्रवृति भी मिलने लगी |

इसके अलावा आप ने भी समय समय पर मेरे पिता जी के माध्यम से किताब कॉपी एवं अन्य खर्चों के पैसे देते रहते थे और वही वो लड़का आप की एक बात को गाँठ बाँध लिया था ..जिस चीज़ में मन लगता हो उसी  में अपना ध्यान लगाओ ,सफलता ज़रूर मिलेगी | और मैं सफल हो गया |

अगर उस समय आप मेरे पिता जी की मानसिकता नहीं बदले होते और आर्थिक मदद नहीं मिल पाता, तो आज मैं आपके सामने इस कुर्सी पर नहीं बैठा होता | यह सब कुछ आप के ही कारण  हुआ ना |

राजेश्वर उसकी बातों को सुनकर बहुत खुश हुआ और उसे आशीर्वाद देते हुए बोला कि आज मुझे अपने ज़िन्दगी में दो – दो खुशियाँ एक साथ प्राप्त हुई है… एक तो आज मुझे मुक़दमे में न्याय मिला है और दूसरा तुम्हारे जैसा लायक और एहसान को मानने वाला बेटा मिला है | मैं बहुत खुश हूँ |

जब छोटा भाई, दिनेश इंजिनियर बना था तो गाँव भर में मिठाई बांटी थी | आज मैं फिर आप का और सारे गाँव का मुँह मीठा कराना चाहता हूँ ….राजेश्वर खुश होकर बोले  |

बड़े वकील साहब ने मुस्कुराते हुए कहा…. मैं तो पहले आप की मिठाई नहीं खाऊंगा बल्कि उनकी मिठाई खाऊंगा जो कुछ ही मिनटों में यहाँ मिठाई लेकर आने वाले है |

राजेश्वर कुछ सोच पाता तभी बड़े वकील साहब ने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा ….देखिये वो मिठाई लेकर आ भी गए |

राजेश्वर ने पीछे मुड कर देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा …..कालू राम जी मिठाई का डिब्बा हाथ में लेकर खड़े थे | राजेश्वर उठा और कालू राम को गले से लगा लिया | कालू राम को देख कर उसको अपनी दूकान की याद आ गई /

तभी बड़े वकील साहब ने कहा …मैंने पिता जी को यह वचन दिया था कि हर हाल में यह केस जीतूँगा और पहली मिठाई इनकी हाथो से ही खाऊंगा |

कालू राम जी ने डिब्बा खोला और सभी को मिठाई खिलाया | राजेश्वर आश्चर्य चकित था | इतनी सारी खुशियाँ वो भी एक साथ | उसे तो  विश्वास ही नहीं हो रहा था |

सच ही कहा गया है कि जब भगवान् देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है |

कुछ  देर के बाद वकील साहब ने राजेश्वर से कहा … आप के विपक्षिये लोग जमानत की अर्जी जल्द ही दाखिल करेंगे | हालाँकि नक़ल निकालने में और फाइल करने में कम से कम 15 से २० दिन तो लग ही जायेंगे |.

मैं तो जमानत का विरोध करूंगा और जमानत नहीं होने दूँगा |  शायद  फिर आप के छोटे भाई की तरफ से कुछ लोग आप के पास आयेंगे, विनती और क्षमा याचना के साथ |

इस मामले में, आगे क्या करेंगे आप खुद निर्णय करेंगे | इसमें मैं कोई दखल देना नहीं चाहता हूँ | लेकिन मेरा एक आग्रह है कि आप थोडा कठोर रुख अपनायेगे और जब तक आप का छोटा भाई  साहूकार वाला  अपना क़र्ज़ चुकाने के लिए राज़ी नहीं हो जाता तब तक आप किसी समझौते की बात स्वीकार नहीं करेंगे |

वकील साहब ने कहा …अब मैं ज्यादा देर तक यहाँ नहीं रोकूंगा, क्योकि आपको  गाँव जाकर चाची जी को  भी यह खुश खबर सुनाना होगा |

तभी कालू राम मिठाई का डब्बा राजेश्वर को देते हुए बोला ..यह मेरी तरफ से थोड़ी सी मिठाई है | आप पहले खुशखबरी भाभी जी को देंगे  और उनका भी  मुँह मीठा कराएँगे | राजेश्वर ख़ुशी ख़ुशी मिठाई का डब्बा लेकर अपने गाँव की ओर चल दिया |

जैसे ही राजेश्वर अपने जीत की ख़ुशी गाँव वालो को सुनाई तो पूरा गाँव ख़ुशी से झूम उठा | ऐसे लगा जैसे सारे  गाँव की जीत हुई हो |

सब इसे न्याय की जीत बता रहे थे ……. कह रहे थे कि न्याय परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं हो सकता… …(क्रमशः)

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Categories: story

7 replies

  1. I literally wept while reading

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  2. Very well written. I thought that the story would end today but there seems to be more twists and turns in the plot.

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  3. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    दुनिया की भीड़ में इंसान चाहे सब कुछ भूल जाए …
    कितना ही मौज मस्ती में खो जाए , पर अकेले में वो
    उसे ही याद करता है , जिसे वह दिल से प्यार करता है….

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