
अपने वसूल कुछ ऐसे भी तोड़ने पड़े मुझे
जहाँ मेरी गलती नहीं थी,
वहाँ भी हाथ जोड़ने पड़े मुझे …
इंसानियत के दुश्मन
अगर वो केस करता है तो हमें अपना बचाव तो करना ही होगा, इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है हमारे पास . ..वकील साहब राजेश्वर को समझाते हुए बोल रहे थे |
एक विकल्प तो है वकील साहब …राजेश्वर मन ही मन बुदबुदाया |
मैं अपने भाई के पास जाऊंगा और उससे बात करूँगा | आखिर वो छोटा भाई है मेरा | मुझे देखते ही उसका मन अवश्य पसीज जाएगा |
और वो वकील साहब के ऑफिस से उठ कर वापस दूकान पर आ गया |
दूकान पर आकर बैठा ही था कि कालू चाय लेकर आया और राजेश्वर को देते हुआ पूछा ..वकील बाबु ने क्या कहा ?
उनका कहना है कि अगर दिनेश केस करता है तो केस लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है | लेकिन मैं समझता हूँ कि सुलह का भी एक रास्ता बचता है |
बिलकुल ठीक सोच रहे है सेठ जी |
आप को एक बार अपने छोटे भाई से इस मामले में बात करनी ही चाहिए और इसमें देर भी मत कीजिये .. …कालू तुरंत बोल पड़ा |
ठीक है कल ही मैं जाने की कोशिश करता हूँ | इतना बोल कर वो घर जाने के लिए उठे और कालू से कहा कि दूकान बढ़ा कर चाभी लेते आना |
ठीक है सेठ जी …कालू ने कहा |
घर पहुँच कर राजेश्वर अपनी यात्रा वाला बैग निकाल कर कुछ कपडे डालने लगे, तभी उधर से कौशल्या आयी और प्रसाद देते हुए बोली… आज मंदिर गयी थी, यह उसी का प्रसाद है |
प्रसाद खाते हुए राजेश्वर ने कहा ..मैं कल दिनेश से मिलने जा रहा हूँ | शायद कुछ बात बन जाये |
मुझे तो ऐसा कुछ नहीं लगता है …जिसकी नियत खराब हो जाती है, वो सही-गलत में अंतर ही नहीं कर पाता | फिर भी जाना चाहते हैं तो मैं आपको नहीं रोकूंगी |
और हाँ, आज मंदिर में अपने पुराने पंडित जी मिल गए थे | उनको सारी बातें बताई तो उन्होंने पूजा और हवन कराने की सलाह दी है | मुझे भी लगता है कि घर में पूजा करा ही लेना चाहिए …कौशल्या अपनी मन की बात कह रही थी |
ठीक है, जब उधर से लौट कर आऊंगा तो पूजा और हवन करा लेंगे ……राजेश्वर बोला |
मैं अभी रात में ही आप का बैग तैयार कर देती हूँ ताकि आप सुबह की ट्रेन आराम से पकड़ सकें |
काफी रात हो गई थी और राजेश्वर बिस्तर पर लेटा तो था परन्तु उसे नींद नहीं आ रही थी | बार बार एक ही सवाल उसके मन में उठ रहे थे कि अगर उसने मेरी बात ठुकरा दी तो फिर क्या होगा ?

इस झगड़े से तो समाज में मेरी इज्जत क्या रह जाएगी ? और समाज वाले इस झगडे का मज़ा लेंगे वो अलग |
किसी तरह रात कट गई और सुबह तडके ही बिस्तर छोड़ दिया | तैयार होकर पांच बजे स्टेशन जो पहुँचना है |
इधर कौशल्या भी सुबह जल्दी उठ कर खाना तैयार कर दी ताकि राजेश्वर खाना खा कर इत्मीनान से सफ़र पर निकल सके |
चार घंटे की यात्रा के बाद अंततः छोटे भाई के ऑफिस पहुँच गया | सामने दिनेश को बड़ा सा टेबल और कुर्सी पर बैठा देख कर उसे भी गौरव का एहसास हुआ |
छोटे भाई की नज़र ज्योंही राजेश्वर पर पड़ी वो आश्चर्य से देखा और उठ कर उसने भाई के पैर छू लिए |
राजेश्वर कोने में रखे एक सोफे पर बैठ गया ताकि भाई अपना कार्य बिना बाधा के निपटा सके | वो उसके भव्य ऑफिस को निहार रहा था और खुश हो रहा था |
तभी चपरासी उसके चैम्बर में आया तो दिनेश ने दो चाय लाने को कहा |
चपरासी उत्सुकतावश पूछ लिया …ये आप के कौन है साहब |
दिनेश ने उससे धीरे से कहा …ये हमारे गाँव से आये है | मेरी गाँव की खेती की देख भाल करते है |
अच्छा ,आप के खेतिहर मजदूर है | आप की शक्ल उनसे थोड़ी मिलती दिखी तो हमने सोचा कि आप के सगे सम्बन्धी है …चपरासी सामने ही खड़े होकर बोल रहा था |
दिनेश जबाब में कुछ नही बोला, बस अपना काम करता रहा | लेकिन राजेश्वर ने सब सुन लिया |
उसे अपने कानो पर भरोसा ही नहीं हुआ, क्या दिनेश ऐसा कह सकता है ? मेरे कपडे कीमती और सलीके के नहीं है तो क्या हुआ, हम तो उसका अपना खून है, जी हाँ… ,उससे खून का रिश्ता है और एक चपरासी को मेरे बारे में क्या बताया …..राजेश्वर सुन कर स्तब्ध रह गया |
हे भगवान् , क्या कोई ज्यादा पढ लेने और बड़ी नौकरी पा लेने से अपना संस्कार भी भूल जाता है ? किसी को भी नीचा दिखाने का यह अधिकार उसे किसने दिया ? .. राजेश्वर के दिल को ठेस लगी और उसका मन हुआ कि अभी ही यहाँ से उठ कर वापस चला जाए |
फिर कुछ सोच कर अपने आप को रोक लिया, क्योंकि जिस कार्य से वह यहाँ आया है वो खटाई में पड़ जायेगा | वह खून के घुट पी कर रह गया |
जब ऑफिस का कार्य समाप्त कर लिया तो दिनेश उनकी ओर मुखातिब हुआ और कहा …चलिए भैया घर चलते है, वही, इत्मिनान से बातें करेंगे |
दिनेश अपनी कार का गेट खोला और राजेश्वर को पहले बैठाया और फिर खुद ही ड्राइव करने लगा |
राजेश्वर कार में बैठ बैठे अपनी भाई की तरक्की पर बहुत खुश हो रहा था | चलो जैसा भी है लेकिन समाज में इसके कारण अपने परिवार की इज्जत तो बढ़ी ही है |
राजेश्वर यह सब सोच ही रहा था कि दिनेश ने भाई की तरफ देखते हुए बोला ..घर में सब कुशल मंगल तो है ना और खेती बारी ?
सब ठीक है छोटे .., किसी बात की चिंता नहीं है …राजेश्वर हँसते हुए बोला |

और तब तक दोनों घर भी पहुँच गए |
राजेश्वर पहली बार यहाँ आया था | इस आलीशान मकान को देख कर उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी | वाह, कितना बड़ा घर है और क्या शानदार भी | वह ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठ गया, तब तक घर का नौकर पानी और चाय लेकर आ गया और सामने टेबल पर रख दिया | दिनेश भी आ कर बैठ गया |
राजेश्वर चाय का कप उठा कर पीने लगा और बातो का सिलसिला शुरू करते हुए दिनेश की तरफ देखते हुए बोला …तुमने जो नोटिस भिजवाया है, इससे सारे समाज में हमारी बेइज्जती हो रही है | उसे तुम वापस ले लो |
भैया, आप तो जानते ही है, नया फ्लैट लेने से हाथ तंग हो गया है और क़र्ज़ भी हो गया है | ,इसलिए हम चाहते है कि अपने हिस्से की आधी ज़मीन बेच कर पैसे दे दीजिये तो मैं अपना क़र्ज़ उतार सकूँ |
अरे, तुम कैसी बात कर रहे हो ? तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारी पढाई के लिए आधी ज़मीन गिरवी रखी हुई, और साहूकार बार बार धमकी दे रहा है कि कर्जे की रकम वापस करो या फिर खेत मेरे नाम कर दो |
अजी सुनते हो .. तभी छोटे भाई की बहु किचन से आवाज़ लगा रही थी |
दिनेश उठा और जल्दी से किचेन में गया और पूछा …हाँ, बोलो , क्या बात है ?
देखो, आप अपने भाई साहब से साफ़ साफ़ कह दो कि हमलोगों को पैसे की ज़रुरत है | तुम उनको बताओ कि अभी तुमको लोन भी नहीं मिल सकता है इसलिए पैसे हर हाल में चाहिए |..देखो जी, जो बात हो, साफ़ साफ़ हो | किसी को, बुरा लगे तो लगे | और ज़मीन गिएवी रखी होने की बात वे किस मुँह से कर रहे है |
उन्होंने इतने दिनों तक खेती से जो आमदनी हुआ वो तो अकेले ही अकेले डकार गए | हमारा हिस्सा तो दिया ही नहीं .तो गिरवी ज़मीन भी उसी आमदनी से छुडवा लेनी चाहिए थी |
अच्छा ठीक है, मैं बात करता हूँ …दिनेश बोल कर वापस राजेश्वर के सामने बैठ गया |
उनलोगों की सारी बाते राजेश्वर सोफे पर बैठा सब सुन रहा था | अब उसे यकीन हो गया कि कौशल्या ठीक ही कहती थी इसकी बहु के बारे में |
फिर भी, राजेश्वर बहु की बातों को नज़रंदाज़ करके छोटे भाई से बोला …देखो दिनेश, जमीन गिरवी रखे काफी दिन बीत गए है और साहूकार बार बार तगादा कर रह है |
मैं मोहलत पर मोहलत लिए जा रहा हूँ | उसका तो हिसाब- किताब हमलोगों को कर देना चाहिए |
गाँव – समाज में भी चर्चा होने लगी है कि हमलोगों के पास सामर्थ होते हुए भी पुरखो की ज़मीन को अब तक नहीं छुड़ा पाए है |
बड़े भाई की बातों से दिनेश भावुक हो उठा | आखिर था तो अपना ही खून | अच्छा ठीक है भैया ..हम दोनों मिल कर इस समस्या का कोई हल ढूंढने का प्रयास करते है |
अब दिनेश की पत्नी अपने पति की चिकनी चुपड़ी बातें सुन कर जल भुन गई…..और तमतमाते हुए सामने आई और राजेश्वर से बोली | आप को खेती के पैसो से ही कर्जा चुकाना चाहिए था | हमलोग का हाथ आज कल तो ऐसे ही तंग रहता है | और हमें पैसों की सख्त ज़रुरत है |अतः हमारा हिस्सा बाँट कर हमें दे दीजिये |

राजेश्वर बहु की बातें सुनकर स्तब्ध रह गया | आज तक उसके परिवार में किसी औरत ने मर्दों से इस तरह से बात नहीं किया था |
राजेश्वर को सुन कर बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा | वह दिनेश की तरफ देखने लगा, उसने सोचा शायद दिनेश पत्नी को ऐसी भाषा बोलने के लिए मना करेगा | लेकिन यह क्या ?…दिनेश बिलकुल चुप चाप सुनता रहा, जैसे उसकी भी इसमें सहमती हो |
राजेश्वर को बहुत जोर का गुस्सा आया और सोचा कि उसे बता दें कि तुम्हारी पढ़ाई में जितना पैसा लगा है, सब हमारा है, कोई ससुराल वाले पढ़ा कर इंजिनियर नहीं बनाया है | लेकिन फिर उसने सोचा कि ऐसा बोल कर मैं खुद अपनी नजरो में गिर जाऊंगा |
अतः वो अपने गुस्से को पी गए | .उनका मन इतना आहत हुआ कि अब एक पल भी यहाँ ठहरना जैसे दम घुटने के समान लग रहा था |
वो वहाँ से तुरंत उठ खड़े हुए और अपना बैग उठाया ही था कि दिनेश बोला …अब रात में तो रुक जाइये ,सुबह वाली ट्रेन से चले जाइएगा |
नहीं, एक बहुत ज़रूरी काम याद आ गई है | मुझे आज ही जाना होगा और फिर बिना देर किये गुस्से में वहाँ से निकल गए |
स्टेशन पहुँचने पर पता चला कि अभी रात में कोई ट्रेन नहीं है |,अब तो चार बजे सुबह ही ट्रेन मिलेगी | छोटे स्टेशन की यही मजबूरी होती है | अब इस जाड़े की रात को कैसे काटा जाए इस प्लेटफार्म पर | चूँकि रात में कोई ट्रेन आने वाला नहीं था तो प्लेटफार्म भी बिलकुल सुनसान था | कोई भी आदमी नज़र नहीं आ रहा था |
तभी थोड़ी दूर पर एक चाय वाले की दूकान नज़र आई | राजेश्वर उसके पास पहुँचा और एक चाय पिलाने को कहा |
चाय वाला चाय देते हुए आश्चर्य से पूंछा ..आप को कहाँ जाना है साब | अभी तो कोई ट्रेन का टाइम ही नहीं है |
हाँ, मुझे पता है ,लेकिन रात तो यहाँ काटनी ही पड़ेगी ..राजेश्वर चाय पीते हुए कहा |
आप के कोई जान पहचान इस शहर में नहीं है , उसी के पास रात आराम से बिताइए, ,यहाँ ठण्ड में क्यों परेशान होंगे ..चायवाले ने उपाए सुझाया |
तुम ठीक कहते हो, मेरा भाई तो यहाँ है | लेकिन अब दुबारा वहाँ जाना नहीं चाहता हूँ ..राजेश्वर दुखी मन से बोला |
उस चाय वाले को समझते देर नहीं लगी कि भाइयों में झगडा हुआ है | इसलिए बोला .. आप सही बोल रहे है …जहाँ दिल नहीं मिलता वहाँ जाने की इच्छा नहीं होती है | छोडिये ,आइये इस चूल्हे की आग से अपनी ठंढक को भगाइए | और अपनी स्टूल को बैठने हेतु दे दिया ……..(क्रमशः)

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# नमक हराम #…4
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कोई कहता है , रिश्ते नशा बन जाते है ,
कोई कहता है, रिश्ते सजा बन जाते है
पर रिश्ते निभाओ सच्चे दिल से तो…
वे रिश्ते…जीने की वजह बन जाते है…
Be happy….Be healthy….Be alive…
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