# क्या यह प्यार है #…15

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आज रविवार होने के कारण,  मैं बहुत relax महसूस कर रहा था | और जब से मनका छोरी दिन का  खाना खिला कर गई थी तब से ही सो रहा था |

अभी शाम के पांच बजे रहे थे और मेरी नींद खुल गई | अब तो रात के दारु का हैंगओवर भी दूर हो गया था |

मन बिलकुल तरो – ताजा और खुश लग रहा था |

अचानक मेरी नज़र दीवार पर टंगी हुई पतंग पर गई और मेरा बचपना जाग गया | मैं पतंग लेकर छत पर चला आया  |

छत पर सभी बच्चे लोग खेल रहे थे | मैं भी बच्चो के साथ पतंग उड़ाने  की कोशिश करने लगा |

तभी गुड्डी पतग उड़ाने  की जिद करने लगी | मैंने हवा में कलाबाज़ी खाते पतंग की डोर छोटी बच्ची को दे दिया, |

उसे आकाश में उड़ती पतंग की डोर खिंच कर उडाने में खूब मज़ा आ रहा था | और सभी बहने भी साथ मिलकर उस पतंगबाजी पर  खुश हो रही थी | छत पर हल्ला – गुल्ला की आवाज़ सुन कर पिंकी भी नीचे से दौड़ कर छत पर आ गई |

मैं दीवार के सहारे खड़ा बच्चो को पतंग उड़ाते देख रहा था | पिंकी भी मेरे पास बिलकुल करीब आ कर खड़ी  हो गई |

मैंने उससे कहा — मेरे इतने नजदीक मत खड़ी हो | दुसरे छतों से लोग इधर ही देख रहे है | तुम्हारे चाचा से फिर शिकायत कर देंगे |

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वो हँसते हुए बोली… इसीलिए तो चिपक कर खड़ी  हूँ |

वो सामने जो औरत छत पर खड़ी  इधर देख रही है , ..वही  दूर की मेरी रिश्तेदार है | हमलोग उन्हें मासी कहते है | उन्होंने ही मेरे चाचा से मेरी शिकायत की थी और बीच का दरवाज़ा बंद किया गया था |

उसी की नज़रों से बचने के लिए तुम्हारी ओट का सहारा ले रही हूँ |

लेकिन, आज तो बड़ी अच्छी खुशबु  का आभास हो रहा है |..इतना नजदीक होने का प्रभाव है शायद –..मैंने छेड़ा उसे |

वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और  बोली — कल तो तुम्हारे मुँह से भी शराब की खुशबू  आ रही थी | रात पांच घंटे तुम्हारे साथ रहते हुए मैं बर्दास्त की थी |

मैंने कहा …मुझ जैसे शराबी को देख कर तुम्हे गुस्सा नहीं आता है ?

आता है, बहुत गुस्सा आता है, | अगर किसी शराबी को देख लेती हूँ |

लेकिन जब तुम नशे में होते हो तो बिलकुल  original लगते हो | दिल की बात और सच्ची बात करते हो | .वही तो तुम्हारे नजदीक रहने का कारण है | मुझे दिखावा करने वाले लोग पसंद नहीं है |

फिर मैंने कहा –.क्या मतलब..?

तुम चाहती हो .मैं रोज़ शराब  पिऊँ … original दिखने  के लिए ?…बताओ तो ..?

यह तो मुझे नहीं मालूम | लेकिन मुझे शराब से बहुत नफरत है |

लेकिन पता नहीं क्यों तुम जब शराब पीते हो तो मुझे गुस्सा नहीं आता है | ..

खैर छोडो , ..यह बताओ कि बीच का दरवाज़ा कैसे खुला ?

तुमको अचानक रात में अपने पीछे खड़ा देख कर लगा कि तुम कोई चुड़ैल हो | , क्योंकि घर के सभी दरवाजे बंद होते हुए भी तुम मेरे सामने थी |  

तुमको जब छुआ तो मुझे तसल्ली हुई कि  तुम कोई चुड़ैल नहीं हो |

गलत बोल रहे हो तुम | ..मैं चुड़ैल ही हूँ | .इसीलिए बार बार तुम्हारे भगाने पर भी नहीं भाग पाती हूँ.| और तुम्ही से चिपकी हूँ |

अच्छा एक बात बताओ .– .हमारे हर पसंद और नापसंद का पता तुम्हे कैसे है ? …

जैसे, तुम्हे मेरे बारे में सब कुछ पता है –..पिंकी ने तिरछी आँखों से देखते हुआ बोली |

लेकिन मैं तो यह भी नहीं जानता था कि तुम्हारी माँ अब इस दुनिया में नहीं है | ..तुम्हारे पिता जी के सामने उस दिन बड़ी दुविधा की स्थिति हो गई थी | ..

क्या तुम्हे पता है ?.. मैं आधा इंजिनियर हूँ.–. पिंकी की बात सुनकर हम चौक गए |..

उसने आगे बताया  …मैं जयपुर में  इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष की छात्रा थी |

मामा के यहाँ जयपुर में रह कर ही मैंने schooling की थी |  एक दिन अचानक  मेरी माँ हम सभी को छोड़ कर चल बसी |

मेरी छोटी -छोटी तीन बहने तो आप देख ही रहे है | कितनी छोटी है और इन तीन  बहनों को संभालना पिता के बस की बात नहीं थी |

उनकी खेती के अलावा फैक्ट्री भी है ..वे काफी बिजी रहते है | , मुझे ही घर का सभी कुछ मैनेज करना होता है |

पिता जी बिज़नस की ज़रूरी फैसले में भी मेरी सहमती लेते है |  मैं यहाँ सिर्फ खाना बनाने के लिए नहीं हूँ | , सभी बच्चों के पढाई की  जिम्मेवारी भी है |

मेरे घर में चाचा बहुत धूर्त है, वो पिता जी को बेवकूफ बना कर पैसे ठगते रहते है | विरोध करने पर हमारे विरूद्ध कुछ ना कुछ षड़यंत्र करते रहते है, | जैसे अभी उन्होंने बीच के दरवाजे पर ताला डाल दिया |

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लेकिन वो दरवाज़ा की चाभी तुम्हे कैसे मिली ?  ..

तुम उस चाभी के पीछे परेशान क्यों हो –..वो मुझे देख कर बोली |

मैंने हँसते हुए कहा — मैं पूरी घटना जानना चाहता हूँ |

सच है, एक तुम्ही हो जिससे  दिल की बात शेयर करने की इच्छा होती है | लेकिन तुम पूरी बात जान कर नाराज़ मत होना |

पिंकी की बात सुन कर मैं आश्चर्य से उसकी ओर देखा | .

उसने आगे कहा — जब तुम शाम के सात बजे तक घर नहीं आये तो मुझे चिंता होने लगी और मैं बाहर वरामदे में बैठ कर तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रही थी |

तभी मैंने देखा., . तुम गली में लड़खड़ाते हुए चले आ रहे हो और मेरे सामने से गुज़र कर भी मुझे नहीं देखा तो मुझे लगा कि जनाब अपने कण्ट्रोल में नहीं है |

फिर तुम्हारे बाथरूम से आवाज़ सुन कर मैं बेचैन हो गई | तुम्हे उल्टियाँ हो रही थी | ,

हमें लगा कि  मेरी जरूरत है और मैं भाग कर छत के रास्ते तुम्हारे पास आने की कोशिश की,| परन्तु तुमने सीढ़ी का दरवाज़ा बंद कर रखा था | और तब मैं मजबूर होकर अपने घर में रखी लोहे की रॉड से बीच के दरवाजे का ताला को तोड़ दिया और फिर…….

अचानक गुस्से में मेरा हाथ उठा ही था कि देखा बच्चे मेरी ओर देख रहे थे …( क्रमशः )  

इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link पर click करें ..

मुझे भी प्यार है….16

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Categories: मेरे संस्मरण, story

12 replies

  1. I enjoyed the story daily early in the morning.

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  2. thank you dear ..your words mean a lot..stay connected and stay safe..

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  3. Sir, now i am very curious to know what happens in the end. The excitement is same, that we use to have when reading stories in our early days. Thank you for rekindling the same enthusiasm.🙏🙏

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  4. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    ज़िन्दगी में एक दुसरे के जैसा होना ज़रूरी नहीं होता ,
    बल्कि .. एक दुसरे के लिए होना ज़रूरी होता है |

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