
झुमरी तिलैया, एक ऐसा नाम जो bollywood में भी बहुत मशहूर था, बिनाका गीत माला में इस नाम की खूब चर्चे थे . ,मुझे भी यहाँ रहने का मौका मिला..
इस जगह को इतना मशहूर होने का कारण तो पता नहीं चल सका, लेकिन मैं अपने ज़िन्दगी में संघर्ष की शुरुआत यही से की थी | वैसे तो बैंक नौकरी के दौरान बहुत सारी जगह में रहने का और जानने का मौका मिला.. लेकिन यह जगह हमेशा मेरे दिल के बहुत करीब रहता है |
इस जगह से हमारे बहुत सारे संस्मरण जुड़े हुए है …परत दर परत खोलता हूँ तो कुछ पुराने दोस्त याद आते है ,,किसी की याद तो दिल को गुदगुदा जाता है और कोई रुला देता है… .
लोग कहते थे कि “चंडाल चौकड़ी” थी हमारी ….जहाँ हम चार यार मिल जाते थे तो रात क्या, दिन भी गुलज़ार हो जाते थे | खेल का मैदान हो या आस पास की जगहों में भ्रमण | हम चारो ही सदा साथ नज़र आते थे |
हमारे इस चौकड़ी के चार सदस्य थे ..अजित ..परेश,…अजय और मैं |

परेश मुस्लिम होते हुए भी हमारा ही धर्म मानता था …मानवता का धर्म | वह गरीब था, कम पढ़ा लिखा था और एक दुकान में काम करके अपने माँ बाप का सहारा था |
लेकिन था बहुत दिलदार और दोस्तों का कोई भी काम करने को हमेशा तत्पर रहता था | और दूसरा सदस्य अजित ..हम लोगों का ग्रुप लीडर था.. वो मेरा मित्र भी था ,और भाई से बढ़ कर भी | हमारे चौकड़ी में उसी की बात चलती थी |
तीसरा सदस्य था अजय.. बहुत ही मिलनसार और खुश मिजाज़ किस्म का इंसान | वह रेलवे स्पाटेशन के पास ही रेलवे क्वार्टर में रहता था क्योकि उसके पिता रेलवे में कोई बड़े पद पर कार्यरत थे |
अजय हमलोगों का चहेता दोस्त था उसकी हर बात हमलोग मान लिया करते थे | लेकिन उसे देख कर कही दिल में उसके प्रति सहानुभूति उभर आती थी , क्योकि अभी २६ साल की उम्र में ही पता चला कि उसके दिल में छेद है |
और डॉक्टर फालतू बेकार की बात किया करता था कि इसकी आयु ज्यादा दिनों की नहीं है ..इसके बाबजूद उसके चेहरे पर कभी उदासी नहीं देखी | हमारे ग्रुप का सबसे जिंदा दिल इंसान था वह |

मुझे आज भी अच्छी तरह याद है वह दिन …. २५ जून १९८३, दिन बुधवार और मैं बैंक के कार्य में उलझा हुआ था, तभी अजित और परेश हांफता हुआ मेरे पास आया और कहा कि अजय के सिने में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है |
उसे जल्द किसी बड़े डॉक्टर को दिखलाना होगा | और सबसे मुसीबत यह कि उसके माता पिता पटना गए हुए है और वो यहाँ अकेला ही है |
अब हमलोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, क्योंकि झुमरी तिलैया छोटी जगह होने के कारण यहाँ Heart specialist डॉक्टर नहीं था |
बहुत माथा – पच्ची करने के बाद हमलोगों इस नतीजे पर पहुँचे कि उसे जल्द से जल्द पटना भेज दिया जाए जहाँ किसी बड़े डॉक्टर से उसका ईलाज हो सके और उसके माता – पिता भी तो वही थे |
बस, बिना समय गवाएं पटना भेजने के लिए हमलोगों ने एक जीप ठीक किया गया, लेकिन सवाल उठा कि अजय के साथ पटना कौन जायेगा | यहाँ से पटना की दुरी थी १७० किलोमीटर, और दिन के दो बज रहे थे |
परेश तुरंत ही बोल पड़ा… हम जाएंगे अजय के साथ | अग्रवाल से छुट्टी दिला दो बस. |. वो अग्रवाल जो हमलोगों का दोस्त भी था और उस दुकान का मालिक था जहाँ परेश काम करता था |
अरे, यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी,वो तो अपना ही जिगरी यार था, वो भला क्यों नहीं परेश को छुट्टी देगा | मैं मन ही मन कहा |
तुरंत ही जीप आ गया और परेश, अजय के साथ गाड़ी में बैठ गया | मैं ने परेश से कहा भी कि अपने घर तो खबर कर दो और कुछ कपडे साथ ले लो |
पता नहीं वहाँ रुकना भी पड़ गया तो ? परेश घबराहट में बोल पड़ा ..अभी उन सब बातों का वक़्त नहीं है, हमें जल्द से जल्द पटना पहुँचना होगा और हाँ, तुम लोग मेरे घर खबर कर देना | उस ज़माने में ना मोबाइल था ना टेलीफोन की सुविधा सब जगह थी |

मैं परेश के हाथों में कुछ पैसे दिए और तुरंत उनलोगों को रवाना होने को कहा |.
पेट्रोल पम्प पर गाड़ी खड़ी थी | गाड़ी में पेट्रोल भरे जा रहे थे और मैंने देखा अजय के आँखों से आँसू बहे जा रहे थे….
उसके आँखों में इस तरह आँसू देख कर हम लोगों की भी आँखे भर आयी,
वो तो हमलोगों को ऐसे देख रहा था मानो कह रहा हो .. दोस्त, यह अंतिम विदाई है मेरी …सभी को राम राम |||
किसी ने ठीक ही कहा है कि ज़िन्दगी छोटी नहीं होती …लोग जीना ही देरी से शुरू करते है,,,
जब तक रास्ते समझ आते है… तब तक लौटने का वक़्त हो जाता है …
तीसरे दिन मुझे वह आकाश में नज़र आया …टिमटिमाते हुए तारे बनकर .. ..कुछ धुंधला – धुंधला सा दिख रहा था….
आँसू भरी आँखों से देख रहा था शायद …मैं बस इतना ही बोल सका … अलविदा मेरे दोस्त.. अलविदा …

वो लम्हेl
ऐ बीते हुए लम्हों…
मैं फिर पाना चाहता हूँ तुम्हे
मैं भुलाना नही चाहता हूँ तुम्हें
मैं गले लगाना चाहता हूँ तुम्हें
पर शायद नाराज हो तुम
जिंदगी ने तुम्हे नहीं
हमे छीना है तुमसे
तुम तो हर पल
हमारे अन्दर ज़िंदा हो
और सदा ही रहोगे
हमारे आँसू
में सदैव बहते मिलोगे…
…………विजय ….
इसके बाद की घटना जानने के लिए नीचे दिए link को क्लिच करें ..
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
If you enjoyed this post don’t forget to like, follow, share and comments.
Please follow me on social media.. and visit
V nice
Gd morning have a nice day sir ji
LikeLiked by 1 person
very good morning dear..stay safe..
LikeLiked by 1 person
Nice
LikeLiked by 1 person
thank you
LikeLike
हिरदय बिदारक घटना
LikeLiked by 1 person
यह सच्ची घटना है जो हमें ज़िन्दगी का सही अर्थ सिखलाती है / उस दोस्त से बहुत कुछ सिखने को मिला जो आज भी मेरे ज़िन्दगी में काम आ रहा है /मौत को कंधे पर रख कर जीना साधारण बात नहीं है …
LikeLike
Nice story with photos, paintings and poems.👌👌👌
LikeLiked by 1 person
thank you dear ..This is a real incidence of my life ,
stay connected and stay happy,,..
LikeLike
Bhut khub sir ji
LikeLiked by 1 person
Thank you dear ..
Stay connected and stay happy..
LikeLiked by 1 person
You seem to have repeated the blog. I remember having read this blog. Anyhow, quite emotional blog.
LikeLiked by 1 person
yes sir, this is a repetition of the blog ..
all of sudden, this blog came before me and got emotional .
I have published and paid tribute to him.
LikeLike