
ऐसा नही होनी चाहिए कि आप अपनी अहमियत इसलिए कम कर दें कि आप लोगों की अपेक्षाओं में खड़े उतर सकें है , आप जैसे है वैसे ही ठीक है , दुसरे हमारे बारे में क्या सोचते है, इसकी परवाह किए बगैर खुद की ज़िन्दगी जीयें…. अपनी शर्तो पर.. .
मैं अब तक एक स्टूडेंट लाइफ को एन्जॉय कर रहा था क्योकि यह एक ऐसा समय होता है जब कि हम कई जिम्मेवारियों से मुक्त रहते है |
आज इस शाखा में ज्वाइन किए छः माह बीत गया था ,लेकिन अभी भी स्टूडेंट जैसा ही कभी कभी व्यवहार कर देता हूँ | मेनेजर साहेब भी कितनी बार बड़े प्यार से मुझे समझा चुके है कि अब तुम प्रोफेशनल लाइफ में हो और वैसा ही बनो ..
इन सब विचारों में उलझा अपने चैम्बर में बैठा था कि कुर्सी सरकने की आवाज़ से मेरी तंत्रा टूटी और मैं ने देखा एक भला सा दिखने वाला किसान मेरे सामने नमस्कार कर बैठने की कोशिश कर रहा था |
उसने बैठते ही अपना परिचय दिया ..मैं “मंदार” गाँव का ठाकुर हूँ, करीब सौ बीघे में कपास, जीरा और सौफ की खेती करता हूँ | अभी बोआई का समय है इसलिए मुझे एक ट्रेक्टर लेना है |

मेरे मन में विचार आया कि ठाकुर भला दिखता है और खेती लायक ज़मीन भी काफी है | खेती भी cash crop की करता है, इसलिए बैंक की क़िस्त आराम से दे पायेगा | मैं सोच ही रहा था कि ठाकुर जसवंत सिंह, यही नाम उन्होंने बताया था ,फिर बोले …मुझे ट्रेक्टर ऋण ७ दिनों में ही देना होगा ताकि ज़मीन में नमी रहते फसल की बोआई कर…. उनको वाक्य पूरा करने से पहले मैं बोल पड़ा .. आज से तीसरे दिन वो ट्रेक्टर आपके फार्म हाउस पर होगा |
..यह सुनते ही वे आँखों बड़ी कर मुझे देखने लगे | ..उन्हें हमारी बातों पर जैसे विश्वास ही नहीं हुआ क्योंकि formality पूरा करने में ही सात दिन लग जाते है | उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि आप बहुत जोशीले लगते हो और हो भी क्यों नहीं ..अभी शायद कॉलेज की पढाई पूरी करके नई नई नौकरी ज्वाइन किए है | जैसा मैंने आप के बारे में सुना है …
उसी समय रामू काका चाय लेकर आ गए | और फिर बातों का सिलसिला चल पड़ा .. उन्होंने अपने बारे में बताया कि मैं इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हूँ और ८० के दशक की इंजिनियर की बहुत वैल्यू भी थी |
परन्तु उन्होंने नौकरी को छोड़ खेती को चुना | इस इलाके में सौफ और जीरे की खेती करने में उन्हें महारत हासिल है | फिर, चाय समाप्त होते ही वे कुर्सी से उठे और बोले ….अब मैं चलता हूँ | आज मजदूरों को साप्ताहिक पेमेंट भी करनी है | ये लोग गरीब है लेकिन काफी मिहनती लोग है |
मैं ने भी उनके नमस्कार का जबाब दिया और अपने काम में लग गया |

उनके जाते ही मुझे लगा कि जोश में कुछ ज्यादा ही बोल गया मैं , जो नहीं बोलना चाहिए था | लेकिन अब तो बात मेरे बैंक की मान और सम्मान की थी |
दुसरे ही दिन सुबह सुबह उनके फार्म हाउस पहुँच गया और उनके ज़मीन के कागजात वगैरह की जांच किया और inspection की formality को पूरा किया / ट्रेक्टर का quotation और कुछ ज़रूरी पेपर लेकर वापस ब्रांच आ गया और साथ ही साथ सभी सम्बंधित डाक्यूमेंट्स तैयार कर लिए |
उन दिनों बैंक के सभी कार्य manual होते थे, बैंक का computerization तो बाद में हुआ था | तो तीसरे दिन उनको बैंक बुलाया और डाक्यूमेंट्स (document) पर हस्ताक्षर वगैरह की formality पूरी की और साथ साथ ट्रेक्टर खरीदने हेतु चेक उनके हाथ में सौप दिया |
वो चेक देख कर चौक पड़े | उन्हें तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ कि इतनी अच्छी बैंकिंग सुविधा इस ग्छोरामीण शाखा में भी उपलब्ध हो सकती है | उन्होंने मुझे दिल से धन्यवाद कहा और ख़ुशी ख़ुशी चले गए |
करीब सात दिनों के बाद ठाकुर साहेब अपनी जीप से शाखा में पधारे | मैं ने उनको देखते ही बोला पड़ा …आपने ट्रेक्टर का inspection अभी तक नहीं कराया ?
उन्होंने थोड़ा रुक कर बोला कि अब्जी बोआई करना ज़रूरी था, क्योंकि ज़मीन की नमी चली जाती तो समय पर बोआई नहीं कर पाता | अब मैं फ्री हूँ इसलिए मेरी विनती है कि आज शाम को मेरे फार्म हाउस ( farm house) पर आएं | छोटी सी पार्टी रखी है और उस समय ट्रेक्टर का inspection भी कर लेंगे…

मैं थोड़ा भावुक होकर बोला… मैं अकेला ऐसे पार्टियों में नहीं जाता | वो तुरंत अंपनी भूल सुधार करते हुए बोले …मैं तो शाखा के सभी स्टाफ के लिए ही पार्टी रखी है | और सभी स्टाफ के तरफ मुखातिब होकर हाथ जोड़कर निवेदन करने लगे |
वैसे भी मेनेजर साहेब को छोड़ कर इस छोटी से गाँव की शाखा के सभी स्टाफ बिना परिवार के अकेले ही रहते थे, इसलिए डिनर का invitation हमलोगों ने स्वीकार कर लिया /
उसी शाम ठाकुर साहेब ने स्टाफ लोगों के लिए दो जीप भेज दी | शाम के पाँच बज रहे थे और हमलोगों ने ब्रांच का सारा काम पूरा कर लिया था | सब लोग एक साथ जीप पर सवार होकर चल पड़े… “मंदार फार्म हाउस ” की तरफ जो करीब दस किलोमीटर दूर था |
फार्म हाउस का नज़ारा बहुत प्यारा था | चारो तरफ चीकू और बेर के पेड़ और गेहूं के लहलहाते खेत के बीच फार्म हाउस.. उफ़, इतना सुंदर एहसास 5 स्टार होटल में भी नहीं होता |
हलकी गर्मी महसूस हो रही थी इसलिए वहाँ tube well की ठंडी ठंडी पानी से स्नान कर दिन भर की थकान को मिटाकर अपने आप को तरो राजा कर लिया ..शाम के करीब सात बज चुके थे..
वहाँ एक बड़े से पेड़ के नीचे ही हम सबों के लिए खाट बिछा दिया गया था | हमलोग खाट पर जमें ही थे कि ..तभी ठाकुर साहेब ने दारु की बोतल वहाँ पड़े टेबल पर रखते हुए कहा …. हमारा यह tradition है कि हम मेहमानों का स्वागत इसी तरह करते है |
साथ साथ गरम गरम पकौड़े और रोस्टेड चिकन भी प्लेट में सजा दिया गया | सच बताऊँ तो पिछले छः माह में ढंग का भोजन नसीब नहीं हुआ था | आज इतना कुछ देख कर रेगिस्तान में जल की बूंदों का एहसास हो रहा था |
हमारा एक स्टाफ जो जोधपुर का रहनेवाला राजपूत था, खुश होते हुए कहा कि मेरे पैग में पानी नहीं मिलाया जाए,… मैं तो neat ही पिऊंगा |
उसे देख कर मुझे भी जोश आ गया और मैं भी बोल गया … मेरा भी |
पीने पिलाने का दौड़ चल पड़ा | ..करीब आधे घंटे बाद, नशे से मेरी हालत बिगड़ने लगी क्योंकि मैं ने कभी इस तरह neat व्हिस्की नहीं पी थी | सभी लोग स्वादिस्ट पकवान का मजा ले रहे थे और मेरी उल्टियाँ चालु थी |
उनलोगों ने मुझे खट्टी आचार वगैरह भी खिलाया लेकिन कोई फायदा नहीं | अब तो मुझे कुछ होश नहीं था |

सुबह नींद खुली तो थोडा सिर भारी लग रहा था, और मैं अपने ही घर के बिस्तर पर अपने को पाया | मैं हड्बडा कर उठा और रात की घटना को याद करने लगा |
करीब सात बजे ठाकुर साहेब भी मेरे घर पर आ गए और मेरी खैर खबर लेने लगे | उनका छोटा भाई रात भर हमारे पास ही रह कर मेरी देख – भाल करता रहा था | मुझे पिछली रात की घटना पर बहुत पछतावा हो रहा था |
मैं ने ठाकुर साहेब से उस दुर्घटना के लिए माफ़ी मांगी | वो हँसते हुए बोले …हमारे ठाकुरों की पार्टी में यह सब नहीं हो तो पता कैसे चलेगा कि हमलोगों ने कोई जश्न मनाया है | आप के लिए फिर से एक पार्टी रखूँगा ….मैं बस हाथ जोड़ दिया ….दूध का जला अब मट्ठा भी फुक फुक कर पीता हूँ ….
सचमुच अब मुझे एक बात हमेशा याद रहती है कि ” जोश में होश खोना नहीं “..

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Uncle..autobiography तैयार करो… अच्छा लगा। Good morning uncle
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hahahaha…you are right..I can write..thanks dear..stay connected and stay safe..
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मजे.लिजिए. जिवन. जिनदा दिलो का नाम है.. मजा आगया ःःःःःः
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सही है /ज़िन्दगी जिन्दा दिली का नाम है /
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अच्छा लगा आप का.लिखा हुआ एसे. ही. लिखाकरे…
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वाह अंकल,लिखने का सिलसिला जारी रखिये।
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हहाहाहा…thank you dear..
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The commitment was challenging but I’m proud that u made it in time.
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yes, I was full time devotee of the bank as I was alone there…hahahah..
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