एक कविता लिख रहा हूँ

आज कल के हालत ऐसे हो गए है कि सब को कोई ना कोई तकलीफ़ हैं अपनी ज़िंदगी से । कोई बहुत अच्छी,  बिना तकलीफ़ वाली लाइफ नहीं जी सकता ।

यह सच है कि  अगर हम  अपना ध्यान तकलीफ या परेशानी पे लगायेंगे  तो सिर्फ परेशान ही रहोगे । जो मिला हैं उसका सुक्रिया अदा करना सीखना होगा ।

दुनिया की सबसे अच्छी और सबसे बुरी.. एक  बात याद रखनी चाहिए….

“# यें वक्त भी गुज़र जायेगा # “

सबसे ज़्यादा अच्छी बात भी ख़तम हो जाएगी और बुरी भी। बस, भगवान पर भरोसा चाहिए ….

मेरी कविता

ज़िन्दगी के कुछ अनुभव कागज़ को  दे रहा हूँ

मन का कहा मान,  आज एक कविता लिख रहा हूँ

रात और दिन हमारे काले सफ़ेद मोहरे हैं 

ज़िन्दगी की बिसात पर सतरंज खेल रहा हूँ

 सह और मात से बच बच कर

रेत सी फिसलती ज़िन्दगी झेल रहा हूँ 

यह सच है, आज एक कविता लिख रहा हूँ 

ज़िन्दगी ने बहुत कुछ दिया.. पर 

मेरी कुछ भावनाओं को..लुटा भी है

कुछ ख़ुशी के दिए है पल.. पर

 कुछ दुःख के आंसू से.. दिल टुटा भी है  

आज  उन लम्हों का  हिसाब लगा रहा हूँ

हां,.. आज मैं एक कविता लिख रहा हूँ

कभी अपनों  ने जलाया.. कभी खुद भी जला हूँ

अपने घाव पर खुद ही..मलहम लगा रहा हूँ 

आपको अपने वो…. घाव गिना रहा हूँ, 

 हाँ.. आज  मैं  एक कविता लिख रहा हूँ

……………….एक  कविता लिख रहा हूँ…

विजय वर्मा

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,

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Categories: kavita

12 replies

  1. Bhut khub sir ji

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  2. thank you Anuj ,just trying to write something about my feelings.

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद् /आगे भी अच्छी कविता लिखने की कोशिश कर रहा हूँ /

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  4. I agree completely. Young people get the mistaken impression from social media that they “must” have happy and perfect lives. This is an impossibility. Every life has highs and lows. We must endure and learn from these. By the way, your self-portrait is spectacular!

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  5. Very nice

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