
मुझे अच्छी तरह याद है वो दिन, जब पहली बार हवाई जहाज में बैठा था |
कुछ दिनों पहले तक जब भी मैं आकाश में किसी जहाज को उड़ते देखता था तो मैं थ्रिल हो जाता था, लेकिन अगले ही पल मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगता था यह सोच कर कि अगर जहाज़ का इंजन बंद हो जाएगा तो क्या होगा ?
बचने का कोई कारण ही नहीं, न ही लाश मिलने की गारंटी।
मुझे हवाई जहाज़ की यात्रा से बहुत डर लगता था. | ..
आज भी अपने ऑफिस में सीट पर बैठा काम कर रहा था तभी खिड़की से बाहर उड़ते जहाज पर मेरी नज़र पड़ी |
और सोच रहा था — कैसा अनुभव होता होगा उसमे बैठ कर उड़ने का ?
मुझे तो बहुत डर लगता है भई, | ट्रेन एक्सीडेंट में तो बचने का भी चांस होता है पर हवाई जहाज़ के मामले में तो बिलकुल ही नहीं।

अचानक मेरी तन्द्रा भंग हुई जब हमारे मैनेज़र साहेब ने मुझे प्लेन की टिकेट पकड़ाते हुए कहा –, तुम्हारी आज तीन बजे की फ्लाइट है और तुम्हे दिल्ली जाकर कल हिंदी दिवस के अवसर पर होने वाले समरोह में (प्रसासनिक कार्यालय में) भाग लेना है |
मेरा दिल अचानक जोर जोर से धड़कने लगा | मैं पहले कभी प्लेन में नहीं बैठा था और इंजन फेल होने की बात भी इसी समय मेरे ख्याल में आ रहा था ।
मै ने लगभग दयनीय दृष्टी से उन्हें देखा और आग्रह करते हुए पूछा — ..क्या कोई दुसरे ऑफिसर को नहीं भेज सकते ?
वो मेरी बात सुन कर आश्चर्य चकित होकर मुझे घूर कर देखा और कहा – लोग टूर पर जाने में तो ख़ुशी महसूस करते है,.. प्लेन की यात्रा, बड़े होटल में ठहरना ओर मनचाहा भोजन का मजा लेना, वो भी फ्री में।
मैं ने फिर निवेदन में सिर को “ना” में हौले से हिलाया ।
बस क्या था, मेनेजर साहेब आपे से बाहर हो गए, और लगभग चीखते हुए बोले, — आप हिंदी ऑफिसर हो , तो इस समारोह में दूसरा ऑफिसर कैसे जा सकता है ? …
अच्छा होगा, अपने मन को समझा लें, और जाने की तैयारी करें।
मरता क्या न करता, नौकरी की बात थी | , दिल को अपनी मज़बूरी बताई और अपने मन को भी मजबूत किया।
प्लेन का टिकट लेकर पहले घर गया और फिर भोजन करके एअरपोर्ट के लिए रवाना हो गया |..
आज भी वो घटना याद आता है तो बरबस हँसी आ जाती है । मैं पटना एयर पोर्ट पर धड़कते दिलो से पहुँचा और सीधे सहारा एयर के काउंटर पर गया । उन दिनों सहारा एयरलाइन्स का चलन था |
एक मधुर मुस्कान के साथ एक लेडी स्टाफ ने वेलकम किया और हौले से पूछा — कौन सी सीट ?
मैं अचरज में पड़ गया,.. क्या कहूँ ? हमारी मनः स्तिथि को भाप कर ,उन्होंने ही बोल दिया –..विंडो वाली सीट दे रही हूँ ।
मैंने कुछ नहीं कहा ,पर मन ही मन सोचा विंडो सीट का क्या करूँगा ,ये तो खुलती भी नहीं , जिससे कूद कर जान बचाई जा सके ।

खैर , मैं निर्धारित समय पर प्लेन में दाखिल हुआ और अपने गंतब्य सीट पर बैठ गया. | तभी एयर होस्टेस का फरमान सुनाई दिया ..– ..अपनी सीट बेल्ट बाँध ले, | हम Smooth टेक ऑफ की गारंटी लेते हैं |
मैं मन में सोचा, क्या लैंडिंग भी Smooth हो पायेगी ?
वो मोहतरमा हमलोग को देख कर अपनी मुस्कराहट बिखेर रही थी मानो कह रही थी…टेक ऑफ और लैंडिंग दोनों जहाज के कप्तान के हाथ में है, |
परन्तु मन में एक अनजाना डर और घबराहट के कारण उनकी उन्मुक्त मुस्कान भी अच्छी नहीं लग रही थी।
खैर, प्लेन हवा में उड़ चला, | कुछ हिचकोले खाकर फिर बराबर हवा में तैरने लगा | सभी यात्री अब सहज हो गए। कुछ लोग एक दुसरे से परिचय करने लगे |
,कुछ सोने का मजा उठा रहे थे ,कुछ मूवी देखने में व्यस्त हो गए । मैं भी आँखे बंद कर मन ही मन प्रभु को याद कर रहा था और सोच रहा था कि the journey of life is also like the journey of this plane.. . जिसका take off और landing यानि जन्म और मृत्यु मेरे कप्तान यानि प्रभु के हाथ में ही तो है।
सच है, हमारा जन्म हमारे वश में नहीं है, हम किस जाति धर्म , परिवार , शहर में पैदा होंगे | हमारा गोरापन-कालापन, आमिर या गरीब घर, माता पिता सब संयोग मात्र है, जो ऊपर वाला हीं तय करता है।
पर जो हमारे वश में है वो जनम – मरन के बीच का बिताया हुआ पल |,
ख़राब मौसम के कारण जहाज में जैसे turbulence आ जाती है वैसे ही हमारी ज़िन्दगी में कुछ मुसीबतें का सामना भी करना पड़ता है।
YES, it is true,. In the journey of life…. the take-off.. the landing ..and the turbulence is not in our control. However, what is in our control are the choices, the decision we can make, and… solutions to some of the problems may be in our control but not for all..
I BELIEVE THAT DESPITE SOME TURBULENCE IN OUR LIFE WE SHOULD ENJOY THE BEAUTIFUL LIFE TO THE FULLEST BECAUSE OUR LIFE IS A BEAUTIFUL GIFT OF GOD....
BE POSITIVE… BE HAPPY …..BE ALIVE..
LIFE IS BEAUTIFUL ENJOY IT TO THE FULLEST..
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Categories: मेरे संस्मरण
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Thank you so much.
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💯
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Thank you so much.
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Bahut sunder varnan.
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Thank you so much, dear.
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Loved it💖
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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