
एक बार की बात है कि राघव का मन अपने व्यवसाय से उचाट हो गया | हालांकि उसे पैसों की कोई कमी नहीं थी | सुंदर और सुशील बीवी के अलावा वह एक सुंदर पुत्र का पिता भी था | सब कुछ होते हुए भी उसके मन के अंदर एक खालीपन रहता था |
इस कारण से वह हमेशा बेचैन और उदास रहता था | उसकी पत्नी हर तरह से उसे खुश रखने की कोशिश करती थी | लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी |
अचानक एक दिन राघव घर छोड़ देता है और बिना किसी उद्देश्य के रात के अंधेरे में सुनसान जंगल की तरफ बढ़ा जा रहा था | चलते चलते रात बीत गई और सुबह की पहली किरण दिखी | उस घने जंगल में सूरज की लालिमा और प्रकृति की उस सुंदर छ्टा को देख कर राघव मंत्रमुग्ध हो गया |
वह वही एक पेड़ के नीचे बैठ गया और उस खूबसूरत दृश्य का आनंद लेने लगा | उधर से एक संत फकीर गुज़र रहे थे | उन्होंने राघव को इस समय जंगल में देख कर आश्चर्य से पूछा — तुम इतने घने जंगल में अकेले इस समय क्या कर रहे हो ?

राघव ने अपनी समस्या उस संत को बता दी और कहा कि मुझे कहीं भी किसी चीज़ में मन नहीं लगता है | जीवन में एक खालीपन सा लगता है |
लेकिन इस समय इस प्रकृति की सुंदरता को देख कर मुझे बहुत सुकून का अनुभव हो रहा है |
संत ने उसकी बातें सुनी और फिर कहा — तुम्हारे भीतर एक कलाकार मन छुपा है, उस कलाकार को ज़िंदा करो | फिर देखो, तुम्हारी ज़िंदगी खूबसूरत लगने लगेगी |
राघव ने कहा — यह कैसे संभव है, इस उम्र में ? मैं कलाकार कैसे बन सकता हूँ ? और कला का ज्ञान कौन देगा मुझे ?
मैं दूंगा तुझे वह ज्ञान – संत ने उसे देखते हुए कहा |
संत की बात सुनकर उसे बहुत खुशी हुई और वह उस संत के साथ चल पड़ा |
कुछ दूर चलने के बाद जंगल के दूसरी छोर पर वह संत की कुटिया में पहुंचा |
राघव वही संत के साथ रहने लगा और उनकी सेवा करने लगा | संत बदले मे उसे पेंटिंग के गुण सिखाता रहा | इस तरह छह माह गुज़र गए | राघव अपनी मेहनत और लगन से एक अच्छा पेंटर बन गया | एक दिन संत ने राघव से कहा — अब तुम्हारी शिक्षा पूरी हुई | अब परीक्षा की घड़ी आ गई है |
तुम्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ की पेंटिंग बनानी है | तुम जाओ और घूम घूम कर देखो और सबसे सुंदर चीज़ की पेंटिंग बना कर लाओ|
राघव संत से आज्ञा लेकर आगे की ओर चल पड़ा |

उसके मन में अनेकों विचार उठ रहे थे | वह सुबह में उगते सूरज की लालिमा को देखा |
क्या उगते सूर्योदय की लालिमा सबसे सुंदर है, या फिर सूर्यास्त जो अपने ज्वलंत नारंगी, रंगों को बिखेरती दिखती है |
रात्रि के समय आकाश में लटका हुआ पुर्णिमा का चाँद सबसे खूबसूरत है या फिर आकाश में लाखों तारे मणि-धूल की तरह बिखरे हुए हैं ?
कभी उसके मन में जंगल के देवदार वृक्षों को देख कर कौतूहल होता तो कभी कल कल बहते झरने उसका मन मोहने लगते |
कुछ दूर और आगे चला तो स्तब्ध कर देने वाली, “पहाड़ों की नीली शृंखलाओं” को देख कर उसके कदम ठिठक गए । वहाँ का एक एक सुंदर दृश्य उसके दिमाग में अपना दावा ठोक रहे थे |
लेकिन वह अभी तक कुछ निश्चित नहीं कर पा रहा था कि सबसे खूबसूरत चीज़ क्या है ?

वह आगे बढ़ता गया | और फिर उसे एक पादरी मिला | वह चर्च जा रहा था | राघव ने उसे रोक कर कहा –” क्या आप मेरी समस्या का समाधान कर देंगे ?
पादरी ने पूछा — तुम क्या जानना चाहते हो, माइ सन ?
राघव ने पादरी से प्रश्न किया — दुनिया में सबसे खूबसूरत चीज क्या है ?’
पादरी ने तुरंत अपनी प्रतिक्रिया दी । उसने जो कहा, वह उन चीजों से बहुत अलग था जिनके बारे में राघव सोच रहा था ।
पादरी ने कहा — ‘विश्वास ! विश्वास, इस धरती पर सबसे खूबसूरत चीज़ है !’
राघव असमंजस मे पड़ गया | अब इसकी पेंटिंग कैसे बना सकता हूँ ?
खैर, उसने पादरी को धन्यवाद दिया और आगे बढ़ गया |
वह अपनी धुन में चलता रहा | उसे तो भूख प्यास की भी सुध नहीं थी | वह तो अपनी परीक्षा में पास होना चाहता था |

वह आगे घने जंगल से गुज़र रहा | तभी उसकी नज़र एक नागा बाबा पर पड़ी | उसके तन पर कोई वस्त्र नहीं था | वह बिलकुल नग्न अवस्था में एक बरगद के विशाल पेड़ के नीचे आंखे बंद किए बिलकुल शांत चित अपनी साधना मे लीन था |
राघव उन्हे देख उनके सामने ही बैठ गया और उनके आँखें खुलने का इंतज़ार करने लगा |
थोड़ी ही देर मे नागा बाबा की आंखे खुली और सामने बैठे राघव पर उनकी नज़र पड़ी |
राघव ने बाबा को प्रणाम किया और फिर उनसे पूछा — ‘हे नागा बाबा, पृथ्वी पर सबसे सुंदर चीज क्या है ?’
शांति से प्रज्ज्वलित चेहरे के साथ नागा बाबा ने उत्तर दिया – ‘मन की शांति | यही धरती पर सबसे खूबसूरत चीज है।’
राघव का कलाकार मन उस नागा बाबा के एकतरफा शांतिपूर्ण चेहरा को देख कर विश्वास करने की कोशिश करने लगा |
फिर भी वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं था। उसने नागा बाबा को धन्यवाद दिया और आगे चल पड़ा |.
राघव आगे बढ़ता रहा और जंगल का रास्ता समाप्त होने पर उसने अपने आपको नगर के प्रवेश द्वार पर पाया | वह नगर मे प्रवेश कर गया |
थोड़ी ही दूर पर राघव ने संगीत और मस्ती की हलचल देखी। उसने महसूस किया कि यहाँ शादी का समारोह चल रहा है |
राघव वहाँ पहुँच कर दूल्हा और दुल्हन को शुभकामनाएं और बधाई दी | वह सुंदर दुल्हन राघव को देखकर खुशी से मुस्कुराई ।
हालाँकि ऐसे माहौल मे इस तरह की बातें करना उचित नहीं था | फिर भी राघव खुद को नियंत्रित नहीं कर सका और आवेग में आ कर उस खूबसूरत दुल्हन से पूछा — हे प्यारी दुल्हन, धरती पर सबसे खूबसूरत चीज क्या है ?’

दुल्हन ने अपने दीप्तिमान मुस्कान बिखेरी और जवाब दिया — ‘प्यार । प्यार धरती पर सबसे खूबसूरत चीज है।
उस दुल्हन के चेहरे पर खुशी और आंखो मे प्यार साफ झलक रहा था |
राघव का कलाकार मन वापस फिर मुसकुराया | खूबसूरत दुल्हन का जवाब सुनकर वह बेहद खुश हुआ ।
राघव उन लोगों से इजाजत लेकर वहाँ से चल दिया और कुछ ही दूर चला होगा कि उसने देखा सामने उसका अपना घर है |
दरवाजे पर खड़ी उसकी पत्नी और बच्चे पर उसकी नज़र पड़ी |
उसका बच्चा, राघव को देख कर खुश हुआ और छलांग मार कर उसकी गोद मे चढ़ना चाहा |
उसे ज़मीन पर गिरने का भी डर नहीं था | क्योंकि उसे विश्वास था कि उसके पिता उसे गिरने नहीं देंगे |
पत्नी दौड़ कर आई और भावुक होकर गले लगते हुये बस इतना कह पायी — हमें क्यों छोड़ कर चले गए थे ?
उसकी आँखों मे बस प्यार ही प्यार था |
राघव सीधे अपने घर में प्रवेश कर अपने अध्ययन कक्ष मे गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया |

करीब एक घंटे के बाद वह अपने कमरे से बाहर निकला और अपनी पत्नी के पास आ कर कहा — आओ, मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूँ |
उसका कलाकार मन ने एक खूबसूरत पेंटिंग बनाई थी |
पत्नी ने उसकी आँखों मे देख कर पूछा — यह क्या है ?
वह एक पेंटिंग था जिसका शीर्षक था – “घर” ।
उसमे उसका अपना बच्चा था और उस बच्चे की आंखों में विश्वास था | उसकी पत्नी थी जिसके आंखों में प्यार ही प्यार था | पत्नी और बच्चे की उस पेंटिंग में उपस्थिति ने उस घर को स्वर्ग बना दिया था ।
राघव के कलाकार मन के द्वारा बनाई गई पेंटिंग मे पृथ्वी पर सबसे खूबसूरत तीनों चीजों में से कोई एक नहीं था, बल्कि सभी का एक सामंजस्यपूर्ण जुड़ाव था | और यही चीज़ आज, ठीक उसकी आंखों के सामने था |
उसकी पत्नी का कोमल मन, राघव के प्यार की गर्माहट को महसूस किया और उसके गले लग कर कुछ देर यूं ही खड़ी रही |
राघव भी अपनी पत्नी की आँखों से बह रहे बूंदों की गर्माहट को महसूस कर रहा था | तभी अचानक उसकी आंखे खुल गई और इसी के साथ उसके सपनों की दुनिया का पटाक्षेप हो गया | राघव अपनी आँख मलता हुआ बिस्तर से उठ बैठा |
अब उसका मन बिलकुल शांत था | अब उसके मन का खालीपन दूर हो चुका था | उसने परिवार की एक सुंदर परिभाषा को महसूस किया , और यह कि सचमुच घर एक घर मंदिर होता है |
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Beautifully written sir
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Thank you so much, dear.💕
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❣️
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Thank you so much.💕
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NICE POST 💗💯🌺
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Thank you so much.💕
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💯🫂
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Good morning. Have a nice day.
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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Thank you so much.
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मन की शान्ति एक बहुत बड़ी चीज है।कहानी बहुत सुंदर लगी।
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Bahut sunder kahani.Bahut prerana usme hai.Jaise vishwas.Akhir Ghar me Jo milati hai vahi Santi hai.Bahut accha Raghav ko usko Milne ke liye bahut paapad belena pada.Voh ek kalakar ban gaya.
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Thank you so much, dear.
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