# सुकून की तलाश # 

दोस्तों, हर इंसान इस भाग – दौड़ भरी ज़िन्दगी में सुकून के पल चाहता है |

पल दो पल के सुकून के लिए  कहाँ – कहाँ भटकता रहता है, तभी एक दिन उसे एहसास होता है कि जिस सुकून को वर्षो से बाहरी दुनिया में ढूंढ रहा है , वह तो उसके अन्दर ही छिपा बैठा था |

उस दिन जब उसे वह मिल गया तो उसने यही  कहा था …..


सुकून की तलाश

सुकून की तलाश में, फिरता रहा इधर उधर

तू कहाँ छिपा हुआ ..क्यूँ नहीं आता  नज़र

गली  गली  शहर शहर, ढूंढता रहा किधर किधर

मैं चला  उधर उधर  तू चला जिधर जिधर |

खुश हुई मेरी नज़र, जो मिली तेरी खबर 

धुंधला सा अक्श  दिखा, मुहँ फेरे थी मगर

दूर तुम  क्यों खड़ी ,अब पलट भी  इधर

खुद का अक्श देख, फैल गई मेरी नज़र

इठलाती सी बोली वो, मैं तो तुझ मे थी यहीं

पास तेरे ही रहूंगी… अब ना जाउंगी कही |

(विजय वर्मा)

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE..

If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments

Please follow the blog on social media …link are on contact us page..

www.retiredkalam.com



Categories: kavita

Tags: , ,

6 replies

  1. बहुत ही सुन्दर

    Liked by 1 person

  2. christinenovalarue's avatar

    💚💚

    Liked by 1 person

  3. मोहन "मधुर"'s avatar

    सुन्दर

    Liked by 1 person

Leave a comment