# दिल और दिमाग # 

आज की कविता दिल और दिमाग के बीच की कशमकश का है, मुश्किल तो यही है कि दिल की सुनो या दिमाग की ? कुछ लोग रिश्ते दिल से निभाना चाहते है और कुछ दिमाग से।

आप क्या करते है, दिल की सुनते है या दिमाग की ? आप अपने विचार जरूर मेरे साथ शेयर कीजियेगा ।

दिल और दिमाग

कागज़ पर कलम दौड़ता दिखाई देता है

आज जख्म फिर हरा  दिखाई देता है

यूँ तो किसी चीज़ की कमी नहीं है लेकिन.

दुःख आज अपना हँसता दिखाई देता है |

न जाने क्यूँ मन उदास होता है

 तनहाइयों में बार बार खोता है

ज़िन्दगी जैसे नीरस हो चली हो

 दिल अपना बार बार रोता है |.

बहुत समझाया ज़िन्दगी को …

“शांति” में ही आनंद होता है ,

दिल और दिमाग में द्वंद है

दिल कहता, आनंद में शांति होता है

पर दिमाग इसे नकारता है

और कहता है कि

आनंद पैदा करो

शांति खुद आ जाएगी |

( विजय वर्मा )

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Categories: kavita

10 replies

  1. अच्छी कविता।

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  2. बेहतरीन 👍🏽🙏🏼

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  3. How true! A lovely poem about that worst of all emotions, sadness when all is well.

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  4. Kavita dil aur dimag bahut badhiya.

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