#तुमसे दूर चले जाएँगे#

Good afternoon friends,

vermavkv's avatarRetiredकलम

आजकल लोगों मे अपनापन की कमी नज़र आती है | हर इंसान सिर्फ अपने लाभ के बारे मे सोचता है | कभी कभी जिन्हे हम अपना करीबी समझते है वो भी वक़्त आने पर मुंह फेर लेते है |

किसी पर कोई दया नहीं करता है | ऐसा लगता है कि “सारी दुनिया शैतान के कब्ज़े में पड़ी हुई है। लोगों मे भावनात्मक लगाव कम होता जा रहा है | उन्ही वेदना को संजोए यह कविता प्रस्तुत है | मुझे आशा है कि आप इसे पसंद करेंगे …

तुमसे दूर चले जाएँगे

इस शहर को छोड़ चला हूँ मैं

पास तुम्हारे अब नहीं आएंगे

दुख और गम से थक गया हूँ मैं

लोगों के तानों से पकगया हूँ मैं

तेरे शहर में अब न रह पाएंगे

यहाँ से कही दूर चले जाएंगे

बाकी बची ज़िंदगी जीने के लिए

ज़िंदगी में सुकून पाने के लिए

अपनी ख्वाबों की दुनिया में लौट…

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4 replies

  1. Sadly, there is a tendency for people nowadays to ask the question “How can this benefit me?” rather than “How can I help others?”

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  2. Bahut sundar kavita.Accha laga.

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