मैं रोज़ लिखता क्यों हूँ ?

आज सारी सृष्टि है जिसकी शरण में ,
सभी नमन है उन महादेव के चरण में …

आप सभी को महा शिवरात्रि की हार्दिक बधाई ..
ॐ नमः शिवाय ||

vermavkv's avatarRetiredकलम

एक दिन मैंने खुद से ही प्रश्न कर डाला कि मैं लिखता क्यों हूँ? सचमुच मेरे लिए इसका उत्तर आसान नहीं था | तभी मेरे मन के किसी कोने से आवाज़ आई –

जब मैं अपने अन्दर की भावनाओ को व्यक्त करने के लिए व्याकुल हो उठता हूँ तो उसकी अभिव्यक्ति कागज़ के पन्नो पर शब्दों के रूप में होती है जिससे मुझे असीम शांति मिलती है | …

मेरे वही शब्द कभी कभी कविता का रूप ले लेते है | आज उन्ही शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत है …..”मैं लिखता क्यों हूँ ” ?

मैं रोज़ लिखता क्यों हूँ ?

दिल और दिमाग में एक द्वंद है

मेरी भाषा कही गद्य कहीं छंद है

कभी सपनो को जीता हूँ

कभी गम को पीता हूँ

मैं रोज ही लिखता हूँ

पर लेखक नहीं दीखता हूँ

इसे कोई पढता है

कोई नहीं भी पढता है

फिर भी मैं लिखता हूँ

हाँ…

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12 replies

  1. Har har har mahadev 🌹🙏🌹

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  2. Bhut hi achi kavita he 👏🏻👏🏻🙌🏻
    Yeh kavita sabhi writers k mann ki baat ache se batati he

    Liked by 1 person

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