कौन कहता है कि बड़ी गाड़ियों में ही सफ़र अच्छा होता है ,
सच्चे रिश्ते और अच्छे मित्र साथ हो तो ज़िन्दगी पैदल भी मजेदार होती है |
स्वस्थ रहें …मस्त रहे,..

दोस्तों ,
कभी कभी हम अकेले में होते है तो अपने अतीत में खो जाते है और फिर बीती कुछ घटनाएँ याद आने लगती है, जिसे याद कर चेहरे पर एक मुस्कान बिखर जाती है |
मेरा प्रयास है कि उन सब यादों को समेत कर आप के साथ शेयर करूँ | उन्ही प्रयासों को सार्थक करने की कोशिश है यह संस्मरण |
यह बात उन दिनों कि जब मैं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था | मैं रांची में था और इंडस्ट्रियल एरिया होने की वजह से हम सभी क्वार्टर में रहते थे | मैं रोज अपने कमरे की खिड़की से देखता था कि हमारे बगल के क्वार्टर से एक ३० -३५ साल का युवक दिन के नौ बजे अपने घर से निकलता था | बाएं हाथ में एक छोटा सा बैग दबाये हुए तेज़ कदमो से वह जाता दिखाई देता | शाम के ठीक छ बजे…
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