सोचता हूँ अब सफ़र अब यहीं छोड़ दूँ ,
ज़िन्दगी तुझको तेरे घर छोड़ दूँ …
ये गम साथ तूने निभाया बहुत ,
तू बता तुझको किधर छोड़ दूँ …

मैं कुछ दिनों से महसूस कर रहा था कि बात बात पर मुझे गुस्सा आ रहा है / मैंने यह जानने की कोशिश कि ऐसा क्यों हो रहा है ?
तो मुझे ये एहसास हुआ कि इसका मुख्य कारण है, हम दूसरों में तो गलतियाँ ढूंढते रहते है परन्तु हमारी खुद की गलती हमें दिखाई नहीं पड़ती है, जिसका परिणाम यह होता है कि हम भी परेशान और पूरा परिवार भी परेशान, | …
एक सच्ची कहावत जो बचपन से सुनते आ रहे है कि ….
बुरा जो देखन मैं चला बुरा ना मिलया कोय,
जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा ना कोय…
कैसे इस परिस्थिति से निपटा जाए ?, उसपर विचार करना ज़रूरी है ताकि हमारे जीवन में सुख चैन हो और सुखमय जीवन जिया जा सके | आज मैं जब अकेले में बैठ कर अपने बारे में चिंतन किया तो पता चला कि मुझ में भी बहुत…
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