You can not go back and change the beginning,
but you can start where you are and change the ending..

आज कल सामान्यतः लोग दिखावा की ज़िन्दगी जी रहे है | हर आदमी अपनी झूठी शान और चेहरे पर नकली मुस्कान लिए एक दुसरे से बेहतर दिखने की होड़ में जी रहे है |
और यह सच भी है आज के समय में इंसान की पहचान उसके कपड़ो और पहने हुए जूतों से की जा रही है | लेकिन सिक्के की पहचान उसे एक झलक में तो कर कर सकते है, लेकिन इंसान की सही पह्चान सिर्फ एक मुलाक़ात से नहीं हो सकती |
इस कथन को चरितार्थ करता एक ख़ूबसूरत घटना, जो बैंक से संबंधित है… आइये आप भी सुने ..
बात कुछ साल पुरानी है, मेरी पोस्टिंग उन दिनों एक शाखा में थी | उन्ही दिनों की बात है कि एक साधारण सी दिखने वाली एक बुजुर्ग महिला जिसके हाथ में एक सब्जी से भरा झोला था, और वो cash counter की लम्बी कतार में खडी अपने टर्न…
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But now it will attract lot of cash handling charges!
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You are right Sir..
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Beautifully penned. Liked “but you can start where you are and change the ending..”
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Yes dear,
we can change the ending ..with honest efforts
and positive attitude…
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