# चाय पर चर्चा #

इतनी ठोकरें देने के लिए शुक्रिया -ऐ -ज़िन्दगी ,
चलने का न सही संभलने का हुनर तो आ ही गया ..

vermavkv's avatarRetiredकलम

कभी कभी ज़िन्दगी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ी कर देती है जब अपने पास समय भी होता है, पैसे भी होते है , पर साथ बैठ कर चाय पिने वाला कोई नहीं होता है |

आज लोगों के पास इतनी फुर्सत कहा है कि अपने बुजुर्गों के मन की बात को समझ सके | आज उन बुजुर्गों के मन की बात और उनकी व्यथित भावनाओं को कुरेदने का प्रयास है …

चाय पर चर्चा

आओ किसी का यूँ ही इंतजार करते हैं

चाय के साथ फिर कोई बात करते हैं

उम्र पचपन की हो गई है तो क्या

अपने बुढ़ापे का इस्तक़बाल करते है

किसको पड़ी है फिक्र हमारी सेहत की

आओ हम एक दूसरे की देखभाल करते हैं,

बच्चे हमारी पहुँच से दूर हैं तो क्या

आओ उन्ही को फिर से रिकॉल करते हैं

जिंदगी जो बीत गई सो बीत गई

जो बची है उससे ही प्यार करते हैं.

View original post 76 more words



Categories: Uncategorized

Leave a comment